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धारा ९९-क : धारा ४७ के अधीन तब तक किसी आदेश को..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ९९-क : धारा ४७ के अधीन तब तक किसी आदेश को उलटा न जाना या उपान्तरित न किया जाना जब तक मामले के विनिश्चय पर प्रतिकूल नहीं पडता है : धारा ९९ के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, धारा ४७ के अधीन कोई भी आदेश,… more »