Tag: "भारत का संविधान"
अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को ....
भारत का संविधान : १.(अध्याय ४ : संपत्ति का अधिकार : अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना । किसी व्यक्ती को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं । ---------- १.संविधान… more »
अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां । १)भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पद वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस… more »
अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करते हुए की गई सभी संविदाएं, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा या उस राज्य के राज्यपाल १.(*) द्वारा की गई कही जाएंगी और वे सभी संविदाएं और संपत्ति संबंधी… more »
अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति । संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा : परंतु - क) जहां तक ऐसा… more »
अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना । १)भारत के राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि या अनन्य… more »
अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति । इसमें इसके पश्चात् यथा उपबंधित के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्रों में कोई संपत्ति जो यदि यह संविधान प्रवर्तन में नहीं आया होता तो राजगामी या व्यपगत होने… more »
अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । १) इस संविधान के प्रारंभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले पहली अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट राज्य के… more »
अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों...
भारत का संविधान : अध्याय ३ : संपत्ति, संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद : अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । इस संविधान के प्रांरभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से… more »
अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना । १)इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोर्स हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल… more »
अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना ।
भारत का संविधान : अध्याय २ : उधार लेना : अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना । संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद् समय-समय पर विधि द्वारा नियत करे, उधार लेने तक और… more »