Archives for: "May 2018"
धारा ५५ : नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ५५ : नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील : सिविल मामलों में यह तथ्य कि किसी व्यक्ति का शील ऐसा है जिससे नुकसानी की रकम पर, जो उसे मिलनी चाहिए प्रभाव पडता है, सुसंगत है । स्पष्टीकरण :… more »
धारा ५४ : उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ५४ : उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है : दाण्डिक कार्यवाहियों में यह तथ्य कि अभियुक्त व्यक्ति बुरे शील का है, विसंगत है, जब तक कि इस बात का साक्ष्य न दिया गया… more »
धारा ५३-क : कतिपय (कुछ) मामलों में शील या पूर्व लैंगिक...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ५३-क : कतिपय (कुछ) मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य को सुसंगत न होना : भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५ ) की धारा ३५४, ३५४-क, ३५४-ख, ३५४-ग, ३५४-घ, ३७६, १.(३७६-क,… more »
धारा ५३ : दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ५३ : दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है : दाण्डिक कार्यवाहियों में यह तथ्य सुसंगत है कि अभियुक्त व्यक्ति अच्छे शील का है । Indian Evidence Act 1872 hindi section 53,… more »
धारा ५२ : सिविल मामलों में अध्यारोपित (लांछन लगाना ) ...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : शील (चरित्र) कब सुसंगत है : धारा ५२ : सिविल मामलों में अध्यारोपित (लांछन लगाना ) आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है : सिविल मामलों में यह तथ्य कि किसी सम्पृक्त व्यक्ति का शील ऐसा है कि जो उस पर अध्यारोपित किसी… more »
धारा ५१ : राय के आधार कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ५१ : राय के आधार कब सुसंगत है : जब कभी किसी जीवित व्यक्ति की राय सुसंगत है, तब वे आधार भी जिन पर वह आधारित है, सुसंगत है । दृष्टांत : कोई विशेषज्ञ अपनी राय बनाने के… more »
धारा ५० : नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ५० : नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को एक व्यक्ति की किसी अन्य के साथ नातेदारी के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी नातेदारी के अस्तित्व के बारे में ऐसे… more »
धारा ४९ : प्रथाओं, सिद्धातों आदि के बारे में रायें कब ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४९ : प्रथाओं, सिद्धातों आदि के बारे में रायें कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को - मनुष्यों के किसी निकाय या कुटुम्ब की प्रथाओं और सिद्धांतो के, किसी धार्मिक या खैराती… more »
धारा ४८ : अधिकार या रुढि के अस्तित्व के बारे में रायें...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४८ : अधिकार या रुढि के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को किसी साधारण रुढि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी रुढि या अधिकार के… more »
धारा ४७-क : इलेक्ट्रॉनिक चिन्ह के बारे में राय कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४७-क : इलेक्ट्रॉनिक चिन्ह के बारे में राय कब सुसंगत है : जब न्यायालय को किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक चिन्ह के बारे में राय बनानी हो, तब उस प्रमाणकर्ता प्राधिकारी की राय,… more »
धारा ४७ : हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४७ : हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है : जबकि न्यायालय को राय बनानी हो कि कोई दस्तावेज किसी व्यक्ति ने लिखि या हस्ताक्षरित की थी, तब उस व्यक्ति के हस्तलेख से, जिसके… more »
धारा ४६ : विशेषज्ञों की रायों से संबंधित तथ्य :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४६ : विशेषज्ञों की रायों से संबंधित तथ्य : वे तथ्य, जो अन्यथा सुसंगत नहीं है, सुसंगत होते है, यदि वे विशेषज्ञों की रायों का समर्थन करते हो या उनसे असंगत हो जबकि ऐसी रायें… more »
धारा ४५-क : इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक की राय :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४५-क : इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक की राय : जब न्यायालय को किसी कार्यवाही में किसी कम्प्युटर साधन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक या अंकीय रुप से पारेषित या भंडारित किसी… more »
धारा ४५ : विशेषज्ञों की राय : जब की न्यायालय..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है : धारा ४५ : विशेषज्ञों की राय : जब की न्यायालय को विदेशी विधि की या विज्ञान की या कला की किसी बात पर या अंगुली चिन्हों की अनन्यता के बारे में राय बनानी हो तो तब उस बात पर ऐसी… more »
धारा ४४ : निणय अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि अथवा..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है : धारा ४४ : निणय अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि अथवा न्यायालय की अक्षमता साबित की जा सकेगी : वाद या अन्य कार्यवाही का कोई भी पक्षकार यह दर्शित कर सकेगा कि कोई निर्णय, आदेश या… more »
धारा ४३ : धाराओं ४० से ४२ में वर्णित से भिन्न निर्णय..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है : धारा ४३ : धाराओं ४० से ४२ में वर्णित से भिन्न निर्णय आदि कब सुसंगत है : धाराएँ ४०, ४१ और ४२ में वर्णित भिन्न निर्णय, आदेश या डिक्रियाँ विसंगत है जब तक कि ऐसे निर्णय, आदेश या… more »
धारा ४२ : धारा ४१ में वर्णित भिन्न निर्णयों, आदेशों या..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है : धारा ४२ : धारा ४१ में वर्णित भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव : वे निर्णय, आदेश या डिक्रियाँ जो धार ४१ में वर्णित से भिन्न है, यदि वे जाँच में सुसंगत लोक… more »
धारा ४१ : प्रोबेट (संप्रभाव /वसीयतनामा) इत्यादि विषयक...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है : धारा ४१ : प्रोबेट (संप्रभाव /वसीयतनामा) इत्यादि विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति : किसी सक्षम न्यायालय के प्रोबेट विषयक, विवाह विषयक, नावधिकरण (जल सेना से संबंधित)… more »
धारा ४० : द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ (वर्जन...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है : धारा ४० : द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ (वर्जन योग्य) पूर्व निर्णय सुसंगत है : किसी ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री का अस्तित्व, जो किसी न्यायालय को किसी वाद के संज्ञान से या कोई… more »
धारा ३९ : जबकि कथन किसी बातचीत, दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : किसी कथन में से कितना साबित किया जाए : धारा ३९ : जबकि कथन किसी बातचीत, दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, पुस्तक अथवा पत्रों या कागज-पत्रों की आवली (क्रमबद्धत) का भाग हो, तब क्या साक्ष्य दिया जाए : जबकि कोई कथन, जिसका… more »
धारा ३८ : विधि की पुस्तकों में अंतर्विष्ट किसी विधि के..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : विशेष परिस्थितियों में किए गए कथन : धारा ३८ : विधि की पुस्तकों में अंतर्विष्ट किसी विधि के कथनों की सुसंगति : जबकि न्यायालय को किसी देश की विधि के बारे में राय बनानी है, तब ऐसी विधि का कोई भी कथन, जो ऐसी किसी… more »
धारा ३७ : किन्हीं अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : विशेष परिस्थितियों में किए गए कथन : धारा ३७ : किन्हीं अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की सुसंगति : जबकि न्यायालय को किसी लोक प्रकृति के तथ्य के अस्तित्व के बारे में राय… more »
धारा ३६ : मानचित्रों, चार्टों और रेखांको के कथनों की..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : विशेष परिस्थितियों में किए गए कथन : धारा ३६ : मानचित्रों, चार्टों और रेखांको के कथनों की सुसंगति : विवाद्यक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों के वे कथन, जो प्रकाशित मानचित्रों या चार्टों में, जो लोक विक्रय के लिए साधारणत:… more »
धारा ३५ : कर्तव्य पालन में की गई लोक अभिलेख या...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : विशेष परिस्थितियों में किए गए कथन : धारा ३५ : कर्तव्य पालन में की गई लोक अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की प्रविष्टियों की सुसंगति : किसी लोक या अन्य राजकिय पुस्तक, रजिस्टर या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में की गई… more »
धारा ३४ : लेखा पुस्तकों की प्रविष्टियां, जिनके अंतर्गत...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : विशेष परिस्थितियों में किए गए कथन : धारा ३४ : लेखा पुस्तकों की प्रविष्टियां, जिनके अंतर्गत वे भी है, जो इलेक्ट्रॉनिक रुप में रखी गई हो, कब सुसंगत है : कारबार में अनुक्रम में नियमित रुप से रखी गई लेखा पुस्तकों की… more »
धारा ३३ : किसी साक्ष्य में कथित तथ्यों की सत्यता को ...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : उन व्यक्तियों के कथन, जिन्हें साक्षी के रुप में बुलाया नहीं जात सकता : धारा ३३ : किसी साक्ष्य में कथित तथ्यों की सत्यता को पश्चात्वर्ती कार्यवाही में साबित करने के लिए उस साक्ष्य की सुसंगति : वह साक्ष्य, जो किसी… more »
धारा ३२ : वे दशाएँ जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : उन व्यक्तियों के कथन, जिन्हें साक्षी के रुप में बुलाया नहीं जात सकता : धारा ३२ : वे दशाएँ जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि : सुसंगत तथ्यों के… more »
धारा ३१ : स्वीकृतियाँ निश्चायक सबूत नहीं है, किन्तु विवंध..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा ३१ : स्वीकृतियाँ निश्चायक सबूत नहीं है, किन्तु विवंध (स्तंभित करना ) कर सकती है : स्वीकृतियाँ, स्वीकृत विषयों का निश्चायक सबूत नहीं है, किन्तु एतस्मिन् पश्चात् अंतर्विष्ट उपबंधों के अधीन विवंध… more »
धारा ३० : साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा ३० : साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति तथा एक ही अपराध के लिए संयुक्त रुप से विचरित अन्य को प्रभावित करती है विचार में लेना : जबकि एक से अधिक व्यक्ति एक ही अपराध के लिए संयुक्त रुप से… more »
धारा २९ : अन्यथा सुसंगत संस्वीकृति का गुप्त रखने के वचन...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २९ : अन्यथा सुसंगत संस्वीकृति का गुप्त रखने के वचन आदि के कारण विसंगत न हो जाना : यदि ऐसी संस्वीकृति अन्यथा सुसंगत है, तो वह केवल इसलिए कि वह गुप्त रखने के वचन के अधीन या उसे अभिप्राप्त करने के… more »
धारा २८ : उत्पेरणा, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २८ : उत्पेरणा, धमकी या वचन से पैदा हुए मन पर प्रभाव के दूर हो जाने के पश्चात् की गई संस्वीकृति सुसंगत है : यदि ऐसी कोई संस्वीकृति, जैसी धारा २४ में निर्दिष्ट है, न्यायालय की राय में उसके मन पर… more »
धारा २७ : अभियुक्त से प्राप्त जानकारी में से कितनी साबित..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २७ : अभियुक्त से प्राप्त जानकारी में से कितनी साबित की जा सकेगी : परन्तु जब किसी तथ्य के बारे में यह अभिसाक्ष्य दिया जाता है कि किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति से, जो पुलिस ऑफिसर की अभिरक्षा में… more »
धारा २६ : पुलिस की अभिरक्षा में होते हुए अभियुक्त द्वारा...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २६ : पुलिस की अभिरक्षा में होते हुए अभियुक्त द्वारा की गई संस्वीकृति का उसके विरुद्ध साबित न किया जाना : कोई भी संस्वीकृति, जो किसी व्यक्ति ने उस समय की हो जब वह पुलिस ऑफिसर की अभिरक्षा में हो,… more »
धारा २५ : पुलिस ऑफिसर से की गई संस्वीकृति का साबित न..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २५ : पुलिस ऑफिसर से की गई संस्वीकृति का साबित न किया जाना : किसी पुलिस ऑफिसर से की गई कोई भी संस्वीकृति किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध साबित न की जाएगी । Indian Evidence Act 1872 hindi… more »
धारा २४ : उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २४ : उत्प्रेरणा, धमकी या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है : अभियुक्त व्यक्ति द्वारा की गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में विसंगत होती है, यदि उसके किए जाने… more »
धारा २३ : सिविल मामलों में स्वीकृतियाँ कब सुसंगत होती है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २३ : सिविल मामलों में स्वीकृतियाँ कब सुसंगत होती है : सिविल मामलों में कोई भी स्वीकृति सुसंगत नहीं है, यदि वह या तो इस अभिव्यक्त शर्त पर की गई हो कि उसका साक्ष्य नहीं दिया जाएगा या ऐसी… more »
धारा २२-क : इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों की अन्तर्वस्तु के बारे...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २२-क : इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियाँ कब सुसंगत होती है : किसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियाँ तब तक सुसंगत नहीं होती जब तक… more »
धारा २२ : दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २२ : दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियाँ कब सुसंगत होती है : किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियाँ तब तक सुसंगत नहीं होती, यदि और जब तक उन्हें साबित करने… more »
धारा २१ : स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २१ : स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध और उनके द्वारा या उनकी और से साबित किया जाना : स्वीकृतियाँ उन्हें करने वाले व्यक्ति के या उसके हित प्रतिनिधि के विरुद्ध सुसंगत है और… more »
धारा २० : वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रुप से निर्दिष्ट..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा २० : वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रुप से निर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियाँ : वे कथन, जो उन व्यक्तियों द्वारा किए गए है जिनको वाद के किसी पक्षकार ने किसी विवादग्रस्त विषय के बारे में… more »
धारा १९ : उन व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियाँ जिनकी स्थिति...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा १९ : उन व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियाँ जिनकी स्थिति वाद के प्रक्षकारां के विरुद्ध साबित की जानी चाहिए : वे कथन, जो उन व्यक्तियों द्वारा किए गए है जिनकी वाद के किसी पक्षकार के विरुद्ध स्थिति या… more »
धारा १८ : स्वीकृति - कार्यवाही के पक्षकार या उसके ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा १८ : स्वीकृति - कार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा : वे कथन स्वीकृतियाँ है, जिन्हें कार्यवाही के किसी पक्षकार ने किया हो, या ऐसे किसी पक्षकार के ऐसे किसी अभिकर्ता ने किया हो जिसे मामले… more »
धारा १७ : स्वीकृती की परिभाषा : स्वीकृति वह..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : स्वीकृतियाँ : धारा १७ : स्वीकृती की परिभाषा : स्वीकृति वह मौखिक या दस्तावेजी अथवा इलेक्ट्रॉनिक रुप में अन्तर्विष्ट कथन है, जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे में कोई अनुमान इंगित करता है और जो ऐसे… more »
धारा १६ : कारबार के अनुक्रम का अस्तित्व कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १६ : कारबार के अनुक्रम का अस्तित्व कब सुसंगत है : जबकि प्रश्न यह है कि क्या कोई विशिष्ट कार्य किया गया था, तब कारबार के ऐसे किसी भी अनुक्रम का अस्तित्व, जिसके अनुसार वह कार्य… more »
धारा १५ : कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १५ : कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाला तथ्य : जबकि प्रश्न यह है कि कार्य आकस्मिक या साशय था या किसी विशिष्ट ज्ञान या आशय से किया गया था, तब यह तथ्य कि ऐसा… more »
धारा १४ : मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवेदना का ...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १४ : मन या शरीर की दशा या शारीरिक संवेदना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य : मन की कोई भी दशा जैसे आशय, ज्ञान, सद्भाव, उपेक्षा, उतावलापरन, किसी विशिष्ट व्यक्ति के प्रति वैमनस्य… more »
धारा १३ : जबकि अधिकार या रुढि प्रश्नगत है तब सुसंगत तथ्य :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १३ : जबकि अधिकार या रुढि प्रश्नगत है तब सुसंगत तथ्य : जहाँ कि किसी अधिकार या रुढि के अस्तित्व के बारे में प्रश्न है, निम्नलिखित तथ्य सुसंगत है - क)कोई संव्यवहार, जिसके द्वारा… more »
धारा १२ : नुकसानी के लिए वादों में रकम अवधारित करने के लिए ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १२ : नुकसानी के लिए वादों में रकम अवधारित करने के लिए न्यायालय को समर्थ करने की प्रवृत्ति रखने वाले तथ्य सुसंगत है : उन वादों में, जिनमें नुकसानी का दावा किया गया है, कोई भी… more »
धारा ११ : वे तथ्य जा अन्यथा सुसंगत नहीं है कब सुसंगत है :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ११ : वे तथ्य जा अन्यथा सुसंगत नहीं है कब सुसंगत है : वे तथ्य, जो अन्यथा सुसंगत नहीं है, सुसंगत है - १)यदि वे किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य से असंगत है, २)यदि वे स्वयंमेव या… more »
धारा १० : सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा १० : सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा कही या की गई बातें : जहाँ कि यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार है कि दो या अधिक व्यक्तियों ने अपराद या अनुयोज्य… more »
धारा ९ : सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुन:स्थापन के ...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ९ : सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुन:स्थापन के लिए आवश्यक तथ्य : वे तथ्य, जो विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य के स्पष्टीकरण या पुन:स्थापन के लिए आवश्यक है अथवा जो किसी विवाद्यक… more »
धारा ८ : हेतु, तैयारी और पुर्व का या पश्चात् का आचरण :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ८ : हेतु, तैयारी और पुर्व का या पश्चात् का आचरण : कोई भी तथ्य, जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य का हेतु या तैयारी दर्शित या गठित करता है, सुसंगत है । किसी वाद या कार्यवाही… more »
धारा ७ : वे तथ्य जो विवाद्यक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ७ : वे तथ्य जो विवाद्यक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक (कारण / मामला ) या परिणाम है : वे तथ्य सुसंगत है, जो सुसंगत तथ्यों के या विवाद्यक तथ्यों के अव्यवहित (सीधा / तुरन्त / आसन्न ) या… more »
धारा ६ : एक ही संव्यवहार (कार्य-विवरण) के भाग होने वाले..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ६ : एक ही संव्यवहार (कार्य-विवरण) के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति : जो तथ्य विवाद्य न होते हुए भी किसी विवाद्यक तथ्य से उस प्रकार संसक्त (संबंधित / संयोजित) है कि वे एक ही… more »
धारा ५ : विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों को साक्ष्य ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ अध्याय २ : तथ्यों की सुसंगति के विषय में : धारा ५ : विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों को साक्ष्य दिया जा सकेगा : किसी वाद या कार्यवाही में हर विवाद्यक तथ्य के और ऐसे अन्य तथ्यों के, जिन्हें एतस्मिन् पश्चात् सुसंगत घोषित किया… more »
धारा ४ : उपधारणा कर सकेगा : जहाँ कहीं ..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ भाग १ : तथ्यों की सुसंगति : अध्याय १ : प्रारंभिक : धारा ४ : उपधारणा कर सकेगा (निर्णय या अनुमान / कुछ विवादित तथ्यों की सत्यता के बारे में कोई निष्कर्ष ) : जहाँ कहीं इस अधिनियम द्वारा यह उपबंधित है कि न्यायालय किसी तथ्य की… more »
धारा ३ : निर्वचन (प्रदत्त प्रसंग के आशय को पता करने वाली..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ भाग १ : तथ्यों की सुसंगति : अध्याय १ : प्रारंभिक : धारा ३ : निर्वचन (प्रदत्त प्रसंग के आशय को पता करने वाली रीति ) खण्ड : इस अधिनियम में निम्नलिखित शब्दों और पदों का निम्नलिखित भावों में प्रयोग किया गया है, जब तक कि संदर्भ से… more »
धारा २ : अधिनियमितयों का निरसन :
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ भाग १ : तथ्यों की सुसंगति : अध्याय १ : प्रारंभिक : धारा २ : अधिनियमितयों का निरसन : निरसन अधिनियम, १९३८ (१९३८ का १) की धारा २ और अनुसूची द्वारा निरसित । Indian Evidence Act 1872 hindi section 2, section 2 The Evidence Act… more »
धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ : साक्ष्य ...
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ भाग १ : तथ्यों की सुसंगति : अध्याय १ : प्रारंभिक : धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ(शुरवात): यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ कहा जाऐगा । इसका विस्तार जम्मू-काश्मिर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है और भूसेना… more »
धारा ५११ : आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय ...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय २३ : अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में : धारा ५११ : आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : आजीवन कारावास या कारावास से दंडनीय… more »
धारा ५१० : मत्त (शराब पिया व्यक्ती) व्यक्तीयों द्वारा लोक...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५१० : मत्त (शराब पिया व्यक्ती) व्यक्तीयों द्वारा लोक स्थान में अवचार : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : मत्तता की हालत में लोक स्थान, आदि में प्रवेश करना और किसी व्यक्ति को क्षोभ कारित करना । दण्ड :चौबीस घण्टे के लिए सादा… more »
धारा ५०९ : शब्द, अंग विक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०९ : शब्द, अंग विक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित हैं : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहना या कोई अंगविक्षेप करना, आदि । दण्ड :तीन वर्ष… more »
धारा ५०८ : किसी व्यक्ती को यह विश्वास करने के लिए ..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०८ : किसी व्यक्ती को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा, कराया गया कार्य : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन… more »
धारा ५०७ : अनाम (अज्ञात) आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०७ : अनाम (अज्ञात) आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : अनाम संसूचना द्वारा अथवा वह धमकी कहां से आती है उसके छिपाने की पूर्वावधानी करके किया गया आपराधिक अभित्रास । दण्ड :धारा ५०६ के अधीन दण्ड… more »
धारा ५०६ : आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) के लिए दण्ड :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०६ : आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : आपराधिक अभित्रास । दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ( राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश और… more »
धारा ५०५ : लोक रिष्टिकारक वक्तव्य : १) जो कोई..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०५ : १.(लोक रिष्टिकारक वक्तव्य : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : मिथ्या कथन, जनश्रुति, आदि को इस आशय से परिचालित करना कि विद्रोह हो अथवा लोक-शान्ति के विरुद्ध अपराध हो । दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या… more »
धारा ५०४ : लोक शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०४ : लोक शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : लोक-शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से अपमान । दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों । संज्ञेय या… more »
धारा ५०३ : आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय २२ : आपराधिक अभित्रास(धमकी), अपमान और क्षोभ के विषय में : धारा ५०३ : आपराधिक अभित्रास (धमकी / डराना) : जो कोई किसी अन्य व्यक्ती के शरीर, ख्याति या सम्पत्ति को, या किसी ऐसे व्यक्ती के शरीर या ख्याति को, जिससे कि वह… more »
धारा ५०२ : मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या ...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०२ : मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण (अंकित) पदार्थ का बेचना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : क) मानहानिकारक विषय अन्तर्विष्ट रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ का, यह जानते हुए विक्रय कि उसमें… more »
धारा ५०१ : मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित ...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०१ : मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण(अंकित) करना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : क) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के विरुद्ध मानहानिकारक जानते… more »
धारा ५०० : मानहानि के लिए दण्ड : जो कोई..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ५०० : मानहानि के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के विरुद्ध मानहानि जो उसके लोककृत्यों के निर्वहन में उसके लोककृत्यों के… more »
धारा ४९९ : मानहानि :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय २१ : मानहानि के विषय में : धारा ४९९ : मानहानि : जो कोई बोले गए या पढे जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्य रुपणों द्वारा किसी व्यक्ती के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है… more »
धारा ४९८ क : किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय २० क : १.(पति या पति के नातेदारों द्वारा कू्ररता के विषय में : धारा ४९८ क : किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी विवाहित स्त्री के प्रति क्रूरता करने… more »
धारा ४९८ : विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले ..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९८ : विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या ले जाना या निरुद्ध रखना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना या निरुद्ध रखना । दण्ड :दो के लिए कारावास, या जुर्माना,… more »
धारा ४९७ : जारकर्म (परगमन / अन्यगमन) :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९७ : १. (जारकर्म (परगमन / अन्यगमन) : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : जारकर्म । दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय । जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय । शमनीय या अशमनीय :… more »
धारा ४९६ : विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९६ : विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा कर लेना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : कपटपूर्ण आशय से विवाहित होने के कर्म को यह जानते हुए किसी व्यक्ति द्वारा पुरा किया जाना कि तद्धीनद्वांरा वह विधिपूर्वक… more »
धारा ४९४ : पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९४ : पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : पति या पत्नी के जीवनकाल में पुन: विवाह करना । दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय । जमानतीय या… more »
धारा ४९५ : वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ती को..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९५ : वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ती को छिपाकर जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया जाता है : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर, जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया… more »
धारा ४९३ : विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना (बहानेसे) से...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय २० : विवाह संबंधी अपराधों के विषय में : धारा ४९३ : विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना (बहानेसे) से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : पुरुष द्वारा स्त्री को, जो उससे… more »
धारा ४९२ : दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग ...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९२ : दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है : कर्मकार संविदा भंग (निरसन) अधिनियम, १९२५ (१९२५ का ३) की धारा २ और अनुसूची द्वारा निरसित । #Ipc 1860 in Hindi section 492… more »
धारा ४९१ : असहाय व्यक्ति की परिचर्या (ध्यान देना) करने..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४९१ : असहाय व्यक्ति की परिचर्या (ध्यान देना) करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किशोरावस्था या चित्तविकृति या रोग के कारण असहाय व्यक्ति परिचर्या करने या उसकी… more »
धारा ४९० : समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय १९ : सेवा संविदाओं के आपराधिक भंग के विषय में : धारा ४९० : समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग : कर्मकार संविदा भंग (निरसन) अधिनियम, १९२५ (१९२५ का ३) की धारा २ और अनुसूची द्वारा निरसित । #Ipc 1860 in Hindi… more »
धारा ४८९ ङ : करेंसी नोटों या बैंक नोटो से सदृश रखने ...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८९ ङ : १.(करेंसी नोटों या बैंक नोटो से सदृश रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : करेंसी नोटों या बैंक नोटों से सादृश्य रखने वाली दस्तावेजों की रचना या उपयोग। दण्ड :एक सौ रुपए का… more »
धारा ४८९ घ : करेंसी नोटों या बैंक नोटो की कूटरचना या ..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८९ घ : करेंसी नोटों या बैंक नोटो की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : करेंसी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए मशीनरी, उपकरण या सामग्री… more »
धारा ४८९ ग : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८९ ग : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना । दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या… more »
धारा ४८९ ख : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक ..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८९ ख : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली रुप में उपयोग में लाना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रुप में उपयोग में लाना । दण्ड :आजीवन कारावास,… more »
धारा ४८९ क : करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय १८ : १.(करेन्सी नोटों और बैंक नोटों के विषय में : धारा ४८९ क : करेन्सी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण । दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए… more »
धारा ४८९ : क्षति कारित करने के आशय से संपत्ति चिन्ह को..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८९ : क्षति कारित करने के आशय से संपत्ति चिन्ह को बिगाडना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : क्षति कारित करने के आशय से किसी सम्पत्ति चिन्ह को मिटाना, नष्ट करना या विरुपित करना । दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना,… more »
धारा ४८८ : किसी ऐसे मिथ्या चिन्ह को उपयोग में लाने के..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८८ : किसी ऐसे मिथ्या चिन्ह को उपयोग में लाने के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी ऐसे मिथ्या चिन्ह का उपयोग करना । दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।… more »
धारा ४८७ : जिसमें माल रखा है, ऐसे किसी पात्र के ऊपर..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८७ : जिसमें माल रखा है, ऐसे किसी पात्र के ऊपर मिथ्या चिन्ह बनाना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी पैकेज या पात्र पर, जिसमें माल रखा हुआ हो, इस आशय से मिथ्या चिन्ह कपटपूर्वक बनाना कि यह विश्वास कारित हो जाए कि उसमें… more »
धारा ४८६ : कूटकृत संपत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का विक्रय :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८६ : कूटकृत संपत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का विक्रय : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : कूटकृत सम्पत्ति चिन्ह से चिन्हित माल का जानते हुए विक्रय । दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों । संज्ञेय या असंज्ञेय… more »
धारा ४८५ : संपत्ति चिन्ह के कूटकरण के लिए कोई उपकरण...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८५ : १.(संपत्ति चिन्ह के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी लोक या प्राइवेट सम्पत्ति चिन्ह के कूटकरण के लिए कोई डाई, पट्टी, या अन्य उपकरण कपटपूर्वक बनाना या अपने कब्जे में… more »
धारा ४८४ : लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिन्ह का ..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८४ : लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिन्ह का कूटकरण : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिन्ह का या किसी सम्पत्ति के विनिर्माण, क्वालिटी आदि का द्योतन करने वाले किसी चिन्ह का, जो… more »
धारा ४८३ : अन्य व्यक्ती द्वारा उपयोग में लाए गए संपत्ति...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८३ : अन्य व्यक्ती द्वारा उपयोग में लाए गए संपत्ति चिन्ह का कूटकरण : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिन्ह का इस आशय से कूटकरण कि नुकसान या क्षति कारित हो । दण्ड :दो वर्ष के… more »
धारा ४८२ : मिथ्या संपत्ति चिन्ह का (प्रयोग किऐ जाने...
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८२ : मिथ्या संपत्ति चिन्ह का (प्रयोग किऐ जाने या) उपयोग करने के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : मिथ्या सम्पत्ति चिन्ह का इस आशय से उपयोग करना कि किसी व्यक्ति को प्रवंचित करे या क्षति करे । दण्ड :एक वर्ष के लिए… more »
धारा ४८१ : मिथ्या संपत्ति चिन्ह का प्रयोग किया जाना :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८१ : मिथ्या संपत्ति चिन्ह का प्रयोग किया जाना : जो कोई किसी जंगम संपत्ति या माल को या किसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र को, जिसमें जंगम संपत्ति या माल रखा है, ऐसी रिति से चिन्हित करता है या किसी पेटी, पैकेज या अन्य… more »
धारा ४८० : मिथ्या व्यापार चिन्ह का प्रयोग किया जाना :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४८० : मिथ्या व्यापार चिन्ह का प्रयोग किया जाना : व्यापार और पण्य चिन्ह अधिनियम, १९५८ (१९५८ का ४३) की धारा १३५ और अनुसूची द्वारा (२५ नवंबर, १९५९ से) निरसित । #Ipc 1860 in Hindi section 480 #Section 480 of Indin Penal… more »
धारा ४७९ : संपत्ति चिन्ह : वह चिन्ह जो..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४७९ : संपत्ति चिन्ह : वह चिन्ह जो यह द्योतन (सूचित) करने के लिए उपयोग में लाया जाता है कि जंगम संपत्ति किसी विशिष्ट व्यक्ती की है, उस चिन्ह को संपत्ति चिन्ह कहा जाता है । #Ipc 1860 in Hindi section 479 #Section 479 of… more »
धारा ४७८ : व्यापार चिन्ह : व्यापार और पण्य चिन्ह..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय १८ : १.(संपत्ति २.(***) चिन्हों और अन्य चिन्हों के विषय में) : धारा ४७८ : व्यापार चिन्ह : व्यापार और पण्य चिन्ह अधिनियम, १९५८ (१९५८ का ४३) की धारा १३५ और अनुसूची द्वारा (२५ नवंबर, १९५९ से) निरसित । --------- १. १८८९… more »
धारा ४७७ क : लेखा का मिथ्याकरण : जो कोई
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४७७ क : १.(लेखा का मिथ्याकरण : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : लेखा का मिथ्याकरण । दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय । जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय । शमनीय या अशमनीय :… more »