Archives for: "June 2018"
धारा २०८ : सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अन्य मामलों में..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १६ : मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना : धारा २०८ : सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अन्य मामलों में अभियुक्त को कथनों और दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ देना : जहाँ पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित किसी… more »
धारा २०७ : अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १६ : मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना : धारा २०७ : अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना : किसी ऐसे मामले में जहाँ कार्यवाही पुलिस रिपोर्ट के आधार पर संस्थित की गई है,… more »
धारा २०६ : छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १६ : मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना : धारा २०६ : छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन : १)यदि किसी छोटे अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट की राय में मामले को धारा २६० या धारा २६१ के अधीन संक्षेपत:… more »
धारा २०५ : मजिस्ट्रेट का अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १६ : मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना : धारा २०५ : मजिस्ट्रेट का अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे सकना : १)जब कभी कोई मजिस्ट्रेट समन जारी करता है तब यदि उसे ऐसा करने का कारण प्रतीत होता है… more »
धारा २०४ : आदेशिका का जारी किया जाना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १६ : मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारंभ किया जाना : धारा २०४ : आदेशिका का जारी किया जाना : १)यदि किसी अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट की राय में कार्यवाही करेन के लिए पर्याप्त आधार है और - क)मामला समन-मामला… more »
धारा २०३ : परिवाद का खारिज किया जाना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १५ : मजिस्ट्रेटों से परिवाद : धारा २०३ : परिवाद का खारिज किया जाना : यदि परिवादी के और साक्षियों के शपथ पर किए गए कथन पर (यदि कोई हो), और धारा २०२ के अधीन जाँच अन्वेषण (यदि कोई हो) परिणाम पर विचार करने के पश्चात्… more »
धारा २०२ : आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी (आगे..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १५ : मजिस्ट्रेटों से परिवाद : धारा २०२ : आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी (आगे बढाना) करना : १)यदि कोई मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध का परिवाद प्राप्त करने पर, जिसका संज्ञान करने के लिए वह प्राधिकृत है या जो धारा १९२ के अधीन… more »
धारा २०१ : ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १५ : मजिस्ट्रेटों से परिवाद : धारा २०१ : ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है : यदि परिवाद ऐसे मजिस्ट्रेट को किया जाता है जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है, तो-… more »
धारा २०० : परिवादी की परीक्षा :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १५ : मजिस्ट्रेटों से परिवाद : धारा २०० : परिवादी की परीक्षा : परिवाद पर किसी अपराध का संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट, परिवादी की और यदि कोई साक्षी उपस्थित है तो उनकी शपथ पर परीक्षा करेगा और ऐसी परीक्षा का सारांश लेखबद्ध… more »
धारा १९९ : मानहानि के लिए अभियोजन :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९९ : मानहानि के लिए अभियोजन : १)कोई न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) के अध्याय २१ के अधीन दण्डनीय अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध से व्यथित किसी… more »
धारा १९८-ख : अपराध का संज्ञान : कोई ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९८-ख : अपराध का संज्ञान : कोई न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) की धारा ३७६-ख के अधीन दण्डनीय किसी अपराद का, जहाँ व्यक्तियों में वैवाहिक संबंध है,… more »
धारा १९८-क : भारतीय दण्ड संहिता, १८६० की धारा ४९८-क के...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९८-क : भारतीय दण्ड संहिता, १८६० की धारा ४९८-क के अधीन अपराधों का अभियोजन : कोई न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) की धारा ४९८-क के अधीन दण्डनीय… more »
धारा १९८ : विवाह के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९८ : विवाह के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन : १)कोई न्यायालय भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) के अध्याय २० के अधीन दण्डनीय अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध से… more »
धारा १९७ : न्यायाधीशों और लोक-सेवकों का अभियोजन :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९७ : न्यायाधीशों और लोक-सेवकों का अभियोजन : १)जब किसी व्यक्ति पर, जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या ऐसा लोक-सेवक है या था जिसे सरकार द्वारा या उसकी मंजूरी से ही… more »
धारा १९६ : राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐेसे अपराध..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९६ : राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐेसे अपराध करने के लिए आपराधिक षडयंत्र के लिए अभियोजन : १)कोई न्यायालय - क) भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) के… more »
धारा १९५-क : धमकी इत्यादि के मामले में साक्षियों के लिए..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९५-क : धमकी इत्यादि के मामले में साक्षियों के लिए प्रक्रिया : भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) की धारा १९५-क के अधीन किसी अपराध के संबंध में साक्षी या कोई… more »
धारा १९५ : लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिए और...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९५ : लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिए और साक्ष्य में दिए गए दस्तावेजों से संबंधित अपराधों के लिए लोक-सेवको के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के लिए अभियोजन :… more »
धारा १९४ : अपर और सहायक सेशन न्यायाधीशों को हवाले किए ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९४ : अपर और सहायक सेशन न्यायाधीशों को हवाले किए गए मामलों पर उनके द्वारा विचारण : अपर सेशन न्यायाधीश या सहायक सेशन न्यायधीश ऐसे मामलों का विचारण करेगा जिन्हें… more »
धारा १९३ : अपराधों को सेशन न्यायालयों द्वारा संज्ञान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९३ : अपराधों को सेशन न्यायालयों द्वारा संज्ञान (विचारण) : इस संहिता द्वारा या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा अभिव्यक्त रुप से जैसा उपबंधित है उसके सिवाय,… more »
धारा १९२ : मामले मजिस्ट्रेटों के हवाले करना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९२ : मामले मजिस्ट्रेटों के हवाले करना : १)कोई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेय, अपराध का संज्ञान करने के पश्चात् मामले को जाँच या विचारण के लिए अपने अधीनस्थ किसी सक्षम… more »
धारा १९० : मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९० : मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान (विचारन) : १)इस अध्यायों के उपबंधो के अधीन रहते हुए, कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट और उपधारा (२) के अधीन विशेषतया सशक्त… more »
धारा १९१ : अभियुक्त के आवेदन पर अंतरण :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १४ : कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें : धारा १९१ : अभियुक्त के आवेदन पर अंतरण : जब मजिस्ट्रेट किसी अपराध का संज्ञान धारा १९० की उपधारा (१) के खण्ड (ग) के अधीन करता है तब अभियुक्त को, कोई साक्ष्य लेने से… more »
धारा १८९ : भारत के बाहर किए गए अपराधों के बारे में ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८९ : भारत के बाहर किए गए अपराधों के बारे में साक्ष्य लेना : जब किसी ऐसे अपराध की जिसका भारत से बाहर किसी क्षेत्र में किया जाना अभिकथित है, जाँच या विचारण… more »
धारा १८८ : भारत से बाहर किया गया अपराध :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८८ : भारत से बाहर किया गया अपराध : जब कोइ अपराध भारत से बाहर - क)भारत के किसी नागरिक द्वारा चाहे खुले समुद्र पर या अन्यत्र; अथवा क)किसी व्यक्ति द्वारा, जो… more »
धारा १८७ : स्थानीय अधिकारीता के परे किए गए अपराध के...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८७ : स्थानीय अधिकारीता के परे किए गए अपराध के लिए समन या वारण्ट जारी करने की शक्ति : १)जब किसी प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण दिखाई देता… more »
धारा १८६ : संदेह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला ...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८६ : संदेह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला विनिश्चित करना जिसमें जाँच या विचारण होगा : जहाँ दो या अधिक न्यायालय एक ही अपराध का संज्ञान कर लेते है और… more »
धारा १८५ : विभिन्न सेशन खण्डों में मामलों के विचारण का...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८५ : विभिन्न सेशन खण्डों में मामलों के विचारण का आदेश देने की शक्ति : इस अध्याय के पूर्ववर्ती उपबंधो मे किस बात के होते हुए भी, राज्य सरकार निदेश दे सकती… more »
धारा १८४ : एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचारण का स्थान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८४ : एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचारण का स्थान : जहाँ - क)किसी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध ऐसे है कि प्रत्येक ऐसे अपराध के लिए धारा २१९, धारा २२० या… more »
धारा १८३ : यात्रा या जलयात्रा में किया गया अपराध :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८३ : यात्रा या जलयात्रा में किया गया अपराध : यदि कोई अपराध उस समय किया गया है जब वह व्यक्ति, जिसके द्वारा, या वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध, या वह चीज जिसके… more »
धारा १८२ : पत्रों आदि द्वारा किए गए अपराध :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८२ : पत्रों आदि द्वारा किए गए अपराध : १) किसी ऐसे अपराध की, जिसमे छल करना भी है, जाँच या उनका विचारण, उस दशा में जिसमें ऐसी प्रवंचना पत्रों या दूरसंचार… more »
धारा १८१ : कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८१ : कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान : १)ठग होने के, या ठग द्वारा हत्या के, डकैती के, हत्या सहित डकैती के, डकैतों की टोली का होने के, या अभिरक्षा… more »
धारा १८० : जहाँ कार्य अन्य अपराध से संबंधित होने के कारण..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १८० : जहाँ कार्य अन्य अपराध से संबंधित होने के कारण अपराध है, वहाँ विचारण का स्थान : जब कोई कार्य किसी ऐसे अन्य कार्य से संबंधित होने के कारण अपराध है, जो… more »
धारा १७९ : अपराध वहाँ विचारणीय होगा जहाँ कार्य किया...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १७९ : अपराध वहाँ विचारणीय होगा जहाँ कार्य किया गया या जहाँ परिणाम निकला : जब कोई कार्य किसी की गई बात के और किसी निकले हुए परिणाम के कारण अपराध है तब ऐसे… more »
धारा १७८ : जाँच या विचारण का स्थान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १७८ : जाँच या विचारण का स्थान : क)जहाँ यह अनिश्चित है कि कई स्थानीय क्षेत्रों में से किसमें अपराध किया गया है , अथवा ख)जहाँ अपराध अंशत: एक स्थानिय क्षेत्र… more »
धारा १७७ : जाँच और विचारण का मामूली स्थान :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १३ : जाँचों और विचारणों में दण्ड न्यायालयों की अधिकारिता : धारा १७७ : जाँच और विचारण का मामूली स्थान : प्रत्येक अपराध की जाँच और विचारण मामूली तौर पर ऐसे न्यायालय द्वारा किया जाएगा जिसकी स्थानिय अधिकारीता के अन्दर वह… more »
धारा १७६ : मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७६ : मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच : १)जब मामला धारा १७४ की उपधारा (३) के खण्ड (एक) या खण्ड (दो) में निर्दिष्ट प्रकृति का है तब मृत्यु के कारण की… more »
धारा १७४ : आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जाँच करना और रिपोर्ट देना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७४ : आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जाँच करना और रिपोर्ट देना : १)जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी, या राज्य सरकार द्वारा उस निमित्त विशेषतया सशक्त किए गए किसी… more »
धारा १७५ : व्यक्तियों को समन करने की शक्ति :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७५ : व्यक्तियों को समन करने की शक्ति : १)धारा १७४ के अधीन कार्यवाही करने वाला पुलिस अधिकारी यथापूर्वोक्त दो या अधिक व्यक्तियों को उक्त अन्वेषण के प्रयोजन से… more »
धारा १७३ : अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७३ : अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट : १)इस अध्याय के अधीन किया जाने वाला प्रत्येक अन्वेषण अनावश्यक विलम्ब के बिना पूरा किया जाएगा ।… more »
धारा १७२ : अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७२ : अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी : १)प्रत्येक पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण करता है, अन्वेषण में की गई अपनी कार्यवाही को दिन-प्रतिदिन एक… more »
धारा १७१ : परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७१ : परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना : किसी परिवादी या साक्षी से, जो किसी न्यायालय में… more »
धारा १७० : जब साक्ष्य पर्याप्त है तब मामलों का मजिस्ट्रेट..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १७० : जब साक्ष्य पर्याप्त है तब मामलों का मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाना : १)यदि इस अध्याय के अधीन अन्वेषण करने पर पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह… more »
धारा १६९ : जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोडा..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६९ : जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोडा जाना : यदि इस अध्याय के अधीन अन्वेषण पर पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह प्रतीत होता है कि ऐसा पर्याप्त… more »
धारा १६८ : अधीनस्थ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण की..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६८ : अधीनस्थ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण की रिपोर्ट : जब कोई अधीनस्थ पुलिस अधिकारी इस अध्याय के अधीन कोई अन्वेषण करता है तब वह उस अन्वेषण के परिणाम की… more »
धारा १६७ : जब चौबीस घण्टे के अन्दर अन्वेषण पूरा न किया..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६७ : जब चौबीस घण्टे के अन्दर अन्वेषण पूरा न किया जा सके तब प्रक्रिया : १)जब कभी कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध है और यह प्रतीत हो… more »
धारा १६६-ख : भारत के बाहर के किसी देश या स्थान से भारत..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६६-ख : भारत के बाहर के किसी देश या स्थान से भारत में अन्वेषण के लिए किसी न्यायालय या प्राधिकारी को अनुरोध-पत्र : १)भारत के बाहर के किसी देश या स्थान के ऐसे… more »
धारा १६६-क : भारत के बाहर किसी देश या स्थान में अन्वेषण..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६६-क : भारत के बाहर किसी देश या स्थान में अन्वेषण के लिए सक्षम प्राधिकारी को अनुरोध पत्र : १)इस संहिता में किसी बात के होते हुए भी, यदि किसी अपराध के… more »
धारा १६६ : पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६६ : पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारण्ट जारी करने की अपेक्षा कर सकता है : १)पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या उपनिरिक्षक से… more »
धारा १६५ : पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६५ : पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी : १) जब कभी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी या अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के पास यह विश्वास करने के उचित आधार है कि किसी… more »
धारा १६४-क : बलात्संग के पीडित व्यक्ति की चिकित्सीय..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६४-क : बलात्संग के पीडित व्यक्ति की चिकित्सीय परिक्षा : १) जहाँ, ऐसे प्रक्रम के दौरान जब बलात्संग या बलात्संग का प्रयत्न करने के अपराध का अन्वेषण किया जा… more »
धारा १६४ : संस्वीकृतियों (अपराध स्वीकृती / कबुल करना) और..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६४ : संस्वीकृतियों (अपराध स्वीकृती / कबुल करना) और कथनों को अभिलिखित करना : १)कोई महानगर मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट, चाहे उसे मामले में अधिकारिता हो… more »
धारा १६३ : कोई उत्प्रेरणा (प्रलोभन / लालच) न दिया जाना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६३ : कोई उत्प्रेरणा (प्रलोभन / लालच) न दिया जाना : १) कोई पुलिस अधिकारी या प्राधिकार वाला अन्य व्यक्ति भारतीय साक्ष्य अधिनियम, १८७२ (१८७२ का १) की धारा २४… more »
धारा १६२ : पुलिस से किए गए कथनों का हस्ताक्षरित न किया जाना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६२ : पुलिस से किए गए कथनों का हस्ताक्षरित न किया जाना : कथनों का साक्ष्य में उपयोग : १)किसी व्यक्ति द्वारा किसी पुलिस अधिकारी से इस अध्याय के अधीन अन्वेषण… more »
धारा १६१ : पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६१ : पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा : १)कोई पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है या ऐसे अधिकारी की अपेक्षा पर कार्य करने वाला कोई पुलिस… more »
धारा १६० : साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १६० : साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति : १)कोई पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है, अपने थाने की या किसी पास… more »
धारा १५९ : अन्वेषण या प्रारंभिक जाँच करने की शक्ति :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५९ : अन्वेषण या प्रारंभिक जाँच करने की शक्ति : ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसी रिपोर्ट प्राप्त होने पर अन्वेषण के लिए आदेश दे सकता है, या यदि वह ठिक समझे तो वह इस संहिता… more »
धारा १५८ : रिपोर्ट कैसे दी जाएगी :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५८ : रिपोर्ट कैसे दी जाएगी : १)धारा १५७ के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी जाने वाली प्रत्येक रिपोर्ट यदि राज्य सरकार ऐसा निदेश देती है, तो पुलिस के ऐसे वरिष्ठ… more »
धारा १५७ : अन्वेषण के लिए प्रक्रिया : १)यदि..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५७ : अन्वेषण के लिए प्रक्रिया : १)यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, इत्तिला प्राप्त होने पर अन्यथा यह संदेह करने का कारण है कि ऐसा अपराध किया गया है… more »
धारा १५६ : संज्ञेय मामले का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५६ : संज्ञेय मामले का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति : १)कोई पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश बिना किसी ऐसे संज्ञेय मामले का अन्वेषण… more »
धारा १५५ : असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५५ : असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण : १)जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को उस थाने की सीमाओं के अंदर असंज्ञेय अपराध के किए… more »
धारा १५४ : संज्ञेय मामलों में इत्तिला :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १२ : पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ : धारा १५४ : संज्ञेय मामलों में इत्तिला : १)संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला, यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है तो उसके… more »
धारा १५३ : बाटों और मापों का निरीक्षण :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ११ : पुलिस का निवारक (निषेधात्मक / रोकना) कार्य : धारा १५३ : बाटों और मापों का निरीक्षण : १)कोई पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी उस थाने की सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में, जब कभी उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे… more »
धारा १५२ : लोक संपत्ति की हानी का निवारण :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ११ : पुलिस का निवारक (निषेधात्मक / रोकना) कार्य : धारा १५२ : लोक संपत्ति की हानी का निवारण : किसी पुलिस अधिकारी की दृष्टिगोचरता में किसी भी जंगम या स्थावर लोक संपत्ति को हानि पहुँचाने का प्रयत्न किए जाने पर वह उसका, या… more »
धारा १५१ : संज्ञेय अपराधों का किया जाना रोकने के लिए..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ११ : पुलिस का निवारक (निषेधात्मक / रोकना) कार्य : धारा १५१ : संज्ञेय अपराधों का किया जाना रोकने के लिए गिरफ्तारी : १)कोई पुलिस अधिकारी जिसे किसी संज्ञेय अपराध करने की परीकल्पना का पता है, ऐसी परीकल्पना करने वाले व्यक्ति… more »
धारा १५० : संज्ञेय अपराधों के किए जाने की परिकल्पना की..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ११ : पुलिस का निवारक (निषेधात्मक / रोकना) कार्य : धारा १५० : संज्ञेय अपराधों के किए जाने की परिकल्पना की इत्तिला : प्रत्येक पुलिस अधिकारी, जिसे किसी संज्ञेय अपराध को करने की परिकल्पना की इत्तिला प्राप्त होती है, ऐसी… more »
धारा १४९ : पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण (रोकना)..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ११ : पुलिस का निवारक (निषेधात्मक / रोकना) कार्य : धारा १४९ : पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण (रोकना) करना : प्रत्येक पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध के किए जाने का निवारण करने के प्रयोजन से हस्तक्षेप कर सकेगा और… more »
धारा १४८ : स्थानीय जाँच : १)जब कभी ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : घ - स्थावर संपत्ति के बारें में विवाद : धारा १४८ : स्थानीय जाँच : १)जब कभी धारा १४५ या १४६ या धारा १४७ के प्रयोजनों के लिए स्थानीय जाँच आवश्यक हो तब कोई जिला मजिस्ट्रेट या उपखण्ड मजिस्ट्रेट अपने अधीनस्थ किसी… more »
धारा १४७ : भूमि या जल के उपयोग के अधिकार से संबद्ध..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : घ - स्थावर संपत्ति के बारें में विवाद : धारा १४७ : भूमि या जल के उपयोग के अधिकार से संबद्ध विवाद : १)जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट का, पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट से या अन्य इत्तिला पर, समाधान हो जाता है कि उसकी… more »
धारा १४६ : विवाद की विषयवस्तु की कुर्क करने की और ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : घ - स्थावर संपत्ति के बारें में विवाद : धारा १४६ : विवाद की विषयवस्तु की कुर्क करने की और रिसीवर नियुक्त करने की शक्ति : १)यदि धारा १४५ की उपधारा (१) के अधीन आदेश करने के पश्चात् किसी समय मजिस्ट्रेट मामले को आपातिक… more »
धारा १४५ : जहाँ भूमि या जल से संबद्ध विवादों से परिशांति..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : घ - स्थावर संपत्ति के बारें में विवाद : धारा १४५ : जहाँ भूमि या जल से संबद्ध विवादों से परिशांति भंग होना संभाव्य है वहाँ प्रक्रिया : १)जब कभी किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट का, पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट से या अन्य… more »
धारा १४४ : न्यूसेंस (बाधा /कंटक/ व्याधा) या आशंकित खतरे..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ग - न्यूसेंस (बाधा /कंटक/ व्याधा) या आशंकित खतरे के अर्जेण्ट मामले : धारा १४४ : न्यूसेंस (बाधा /कंटक/ व्याधा) या आशंकित खतरे के अर्जेण्ट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति : १)उन मामलों में, जिनमें जिला मजिस्ट्रेट… more »
धारा १४४-क : आयुध सहित जुलूस या सामूहिक कवायद या ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ग - न्यूसेंस (बाधा /कंटक/ व्याधा) या आशंकित खतरे के अर्जेण्ट मामले : निम्नलिखित नई धारा अन्त:स्थापित किन्तु अब तक प्रवृत्त नहीं : धारा १४४-क : आयुध सहित जुलूस या सामूहिक कवायद या सामुहिक प्रशिक्षण के प्रतिषेध की… more »
धारा १४३ : मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेंस की पुनरावृत्ति या ...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १४३ : मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेंस (बाधा /व्याधा / कंटक) की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का प्रतिशेध कर सकता है : कोई जिला मजिस्ट्रेट अथवा उपखण्ड मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार… more »
धारा १४२ : जाँच के लंबित रहने तक व्यादेश (निषेधादेश) :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १४२ : जाँच के लंबित रहने तक व्यादेश (निषेधादेश) : १)यदि धारा १३३ के अधीन आदेश देने वाला मजिस्ट्रेट यह समझता है कि जनता को आसन्न खतरे या गंभीर किस्म की हानि का निवारण… more »
धारा १४१ : आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी ...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १४१ : आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम : १)जब धारा १३६ या धारा १३८ के अधीन आदेश अंतिम कर दिया जाता है तब मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को, जिसके… more »
धारा १४० : मजिस्ट्रेट की लिखित अनुदेश आदि देने की शक्ति :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १४० : मजिस्ट्रेट की लिखित अनुदेश आदि देने की शक्ति : १)जहाँ मजिस्ट्रेट धारा १३९ के अधीन किसी व्यक्ति द्वारा स्थानीय अन्वेषण किए जाने के लिए निदेश देता है वहाँ… more »
धारा १३९ : स्थानीय अन्वेषण के लिए निदेश देने और ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३९ : स्थानीय अन्वेषण के लिए निदेश देने और विशेषज्ञ की परीक्षा करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति : मजिस्ट्रेट धारा १३७ या धारा १३८ के अधीन किसी जाँच के प्रयोजनों के लिए -… more »
धारा १३८ : जहाँ वह कारण दर्शित करने के लिए वहाँ ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३८ : जहाँ वह कारण दर्शित करने के लिए वहाँ प्रक्रिया : १)यदि वह व्यक्ति, जिसके विरुद्ध धारा १३३ के अधीन आदेश दिया गया है, हाजिर है और आदेश के विरुद्ध कारण दर्शित करता… more »
धारा १३७ : जहाँ लोक अधिकार के अस्तित्व से इन्कार किया..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३७ : जहाँ लोक अधिकार के अस्तित्व से इन्कार किया जाता है वहाँ प्रकिया : १) जहाँ किसी मार्ग, नदी, जलसारणी या स्थान के उपयोग में जनता को होने वाली बाधा, न्यूसेंन्स या… more »
धारा १३६ : उसके ऐसा करने में असफल रहने का परिणाम :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३६ : उसके ऐसा करने में असफल रहने का परिणाम : यदि ऐसा व्यक्ति ऐसे कार्य को नहीं करता है या हाजिर होकर कारण दर्शित नहीं करता है, तो वह भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६०… more »
धारा १३५ : जिस व्यक्ति को आदेश संबोधित है वह उसका पालन..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३५ : जिस व्यक्ति को आदेश संबोधित है वह उसका पालन करेगा या कारण दर्शित करेगा : वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध ऐसा आदेश दिया गया है :- क)उस आदेश द्वारा निर्दिष्ट कार्य उस… more »
धारा १३४ : आदेश की तामील या अधिसूचना :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३४ : आदेश की तामील या अधिसूचना : १)आदेश की तामील उस व्यक्ति पर, जिसके विरुद्ध वह किया गया है, यदि साध्य हो तो उस रीति से की जाएगी जो समन की तामील के लिए इसमें… more »
धारा १३३ : न्यूसेन्स (कंटक) हटाने के लिए सशर्त आदेश :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : ख - लोक न्यूसेंस (कंटक / व्याधा / बाधा ) : धारा १३३ : न्यूसेन्स (कंटक / व्याधा / बाधा ) हटाने के लिए सशर्त आदेश : १)जब किसी जिला मजिस्ट्रेट या उपखण्ड मजिस्ट्रेट का या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त… more »
धारा १३२ : पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना : क - विधिविरुद्ध जमाव : धारा १३२ : पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन (कार्यवाही) से संरक्षण : १)किसी कार्य के लिए, जो धारा १२९,१३० और धारा १३१ के अधीन किया… more »
धारा १३१ : जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना : क - विधिविरुद्ध जमाव : धारा १३१ : जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति : जब कोई ऐसा जमाव लोक सुरक्षा को स्पष्टतया संकटापन्न कर देता है और किसी… more »
धारा १३० : जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना : क - विधिविरुद्ध जमाव : धारा १३० : जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग : १)यदि कोई ऐसा जमाव अन्यथा तितर-बितर नहीं किया जा सकता है और यदि लोक सुरक्षा के लिए यह… more »
धारा १२९ : सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय १० : लोक व्यवस्था और प्रशांति बनाए रखना : क - विधिविरुद्ध जमाव : धारा १२९ : सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर करना : १)कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या ऐसे भारसाधक अधिकारी की… more »
धारा १२८ : भरणपोषण के आदेश का प्रवर्तन :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ९ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के लिए आदेश : धारा १२८ : भरणपोषण के आदेश का प्रवर्तन : यथास्थिति भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण और कार्यवाही के व्ययों के आदेश की प्रति, उस व्यक्ति को, जिसके पक्ष में वह दिया गया है… more »
धारा १२७ : भत्ते में परिवर्तन : १)धारा १२५ ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ९ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के लिए आदेश : धारा १२७ : भत्ते में परिवर्तन : १)धारा १२५ के अधीन भरणपोषण या अंतरिम भरणपोषण के लिए मासिक भत्ता पाने वाले या यथास्थिति,अपनी पत्नी, संतान, पिता या माता को भरणपोषण… more »
धारा १२६ : प्रक्रिया : १) किसी व्यक्ति के..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ९ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के लिए आदेश : धारा १२६ : प्रक्रिया : १) किसी व्यक्ति के विरुद्ध धारा १२५ के अधीन कार्यवाही किसी ऐसे जिले में कि जा सकती है :- क)जहाँ वह है, अथवा ख)जहाँ वह या उसकी पत्नी निवास… more »
धारा १२५ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के...
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ९ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के लिए आदेश : धारा १२५ : पत्नी, सन्तान और माता-पिता के भरणपोषण के लिए आदेश : १)यदि पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति :- क)अपनी पत्नी का, जो अपने भरणपोषण करने में असमर्थ है, या… more »
धारा १२४ : बंधपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा १२४ : बंधपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति : १)जब वह व्यक्ति, जिसको हाजिरी के लिए धारा १२१ की उपधारा (३) के परन्तुक के अधीन या धारा १२३ की उपधारा… more »
धारा १२३ : प्रतिभूति (जमानत) देनें में असफलता के कारण ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा १२३ : प्रतिभूति (जमानत) देनें में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोडने की शक्ति : १)जब कभी धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट… more »
धारा १२२ : प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम (असफल) होने पर..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा १२२ : प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम (असफल) होने पर कारावास : १)क) यदि कोई व्यक्ति, जिसे धारा १०६ या धारा ११७ के अधीन प्रतिभूति देने के लिए आदेश दिया… more »
धारा १२१ : प्रतिभुओं (जमानत) को अस्वीकार करने की शक्ति :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा १२१ : प्रतिभुओं (जमानत) को अस्वीकार करने की शक्ति : १)मजिस्ट्रेट किसी पेश किए गए प्रतिभू को स्वीकार करने से इन्कार कर सकता है या अपने द्वारा, या… more »
धारा १२० : बंधपत्र की अन्तर्वस्तुएँ : ऐसे किसी ..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा १२० : बंधपत्र की अन्तर्वस्तुएँ : ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा निष्पादित किया जाने वाला बंधपत्र उसे यथास्थिति, परिशांति कायम रखने या सदाचारी रहने के लिए… more »
धारा ११९ : जिस अवधि के लिए प्रतिभूति (जमानत) अपेक्षित..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा ११९ : जिस अवधि के लिए प्रतिभूति (जमानत) अपेक्षित की गई है उसका प्रारंभ : १) यदि कोई व्यक्ति, जिसके बारे में प्रतिभूति की अपेक्षा करने वाला आदेश… more »
धारा ११८ : उस व्यक्ति का उन्मोचन (मुक्ती / छोडना) जिसके..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा ११८ : उस व्यक्ति का उन्मोचन (मुक्ती / छोडना) जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गई है : यदि धारा ११६ के अधीन जाँच पर यह साबित नहीं होता है कि, यथास्थिति,… more »
धारा ११७ : प्रतिभूति (जमानत) देने का आदेश :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा ११७ : प्रतिभूति (जमानत) देने का आदेश : यदि ऐसी जाँच से यह साबित हो जाता है कि, यथास्थिति, परिशांति कायम रखने के लिए या सदाचार बनाए रखने के लिए यह… more »
धारा ११६ : इत्तिला की सच्चाई के बारे में जाँच :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ अध्याय ८ : परिशांति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति (जमानत) : धारा ११६ : इत्तिला की सच्चाई के बारे में जाँच : १) जब धारा १११ के अधीन आदेश किसी व्यक्ति को, जो न्यायालय में अपस्थित है, धारा ११२ के अधीन पढकर सुना या… more »