Archives for: "July 2018"
अनुच्छेद ३०७ : अनुच्छेद ३०१ से अनुच्छेद ३०४ के प्रयोजनों को कार्यान्वित ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०७ : अनुच्छेद ३०१ से अनुच्छेद ३०४ के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए प्राधिकारी की नियुक्ति । संसद् विधि द्वारा, ऐसे प्राधिकारी की नियुक्ति कर सकेगी जो वह अनुच्छेद ३०१, अनुच्छेद ३०२, अनुच्छेद ३०३ और अनुच्छेद ३०४ के… more »
अनुच्छेद ३०६ : (पहली अनुसूची के भाग ख के कुछ राज्यों की व्यापार ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०६ : (पहली अनुसूची के भाग ख के कुछ राज्यों की व्यापार और वाणिज्य पर निर्बंधनों के अधिरोपण की शक्ति ) संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित । # Indian Constitution in Hindi article 306. #… more »
अनुच्छेद ३०५ : विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०५ : १.(विद्यमान विधियों और राज्य के एकाधिकार का उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति । वहां तक के सिवाय जहां तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा निदेश दे अनुच्छेद ३०१ और अनुच्छेद ३०३ की कोई बात किसी विद्यमान विधि के उपबंधों पर… more »
अनुच्छेद ३०४ : राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०४ : राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन । अनुच्छेद ३०१ या अनुच्छेद ३०३ में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, - क) अन्य राज्यों १.(या संघ राज्यक्षेत्रों ) से आयात किए गए माल पर… more »
अनुच्छेद ३०३ : व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०३ : व्यापार और वाणिज्य के संबंध में संघ और राज्यों की विधायी शक्तियों पर निर्बंधन । १)अनुच्छेद ३०२ में किसी बात के होते हुए भी, सातवीं अनुसूची की सूचियों में से किसी में व्यापार और वाणिज्य संबंधी किसी प्रविष्टि के आधार पर,… more »
अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन ....
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०२ : व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बंधन अधिरोपित करने की संसद् की शक्ति । संसद् विधि द्वारा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग के भीतर व्यापार, वाणिज्य या समागम की स्वतंत्रता पर ऐसे… more »
अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता ।
भारत का संविधान : भाग १३ : भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम । अनुच्छेद ३०१ : व्यापार ,वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता । इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र व्यापार, वाणिज्य और समागम अबाध होगा ।… more »
अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को ....
भारत का संविधान : १.(अध्याय ४ : संपत्ति का अधिकार : अनुच्छेद ३०० क : विधि के प्राधिकार के बिना व्यक्तियों को संपत्ति से वंचित न किया जाना । किसी व्यक्ती को उसकी संपत्ति से विधि के प्राधिकार से ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं । ---------- १.संविधान… more »
अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद ३०० : वाद और कार्यवाहियां । १)भारत सरकार भारत संघ के नाम से वाद ला सकेगी या उस पर वाद लाया जा सकेगा और किसी राज्य की सरकार उस राज्य के नाम से वाद ला सकेगी या उस पद वाद लाया जा सकेगा और ऐसे उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो इस… more »
अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९९ : संविदाएं । १) संघ की या राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करते हुए की गई सभी संविदाएं, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा या उस राज्य के राज्यपाल १.(*) द्वारा की गई कही जाएंगी और वे सभी संविदाएं और संपत्ति संबंधी… more »
अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९८ : १.(व्यापार करने आदि की शक्ति । संघ की और प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, व्यापार या कारबार करने और किसी प्रयोजन के लिए संपत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन तथा संविदा करने पर, भी होगा : परंतु - क) जहां तक ऐसा… more »
अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९७ : १.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना । १)भारत के राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि या अनन्य… more »
अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति । इसमें इसके पश्चात् यथा उपबंधित के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्रों में कोई संपत्ति जो यदि यह संविधान प्रवर्तन में नहीं आया होता तो राजगामी या व्यपगत होने… more »
अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९५ : अन्य दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । १) इस संविधान के प्रारंभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले पहली अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट राज्य के… more »
अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों...
भारत का संविधान : अध्याय ३ : संपत्ति, संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद : अनुच्छेद २९४ : कुछ दशाओं में संपत्ति, आस्तियों, अधिकारों दायित्त्वों और बाध्यताओं का उत्तराधिकार । इस संविधान के प्रांरभ से ही - क) जो संपत्ति और आस्तियां ऐसे प्रारंभ से… more »
अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९३ : राज्यों द्वारा उधार लेना । १)इस अनुच्छेद के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उस राज्य की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोर्स हों, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल… more »
अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना ।
भारत का संविधान : अध्याय २ : उधार लेना : अनुच्छेद २९२ : भारत सरकार द्वारा उधार लेना । संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार, भारत की संचित निधि की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, यदि कोई हों, जिन्हें संसद् समय-समय पर विधि द्वारा नियत करे, उधार लेने तक और… more »
अनुच्छेद २९१ : (शासकों की निजी थैली की राशि ।)
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९१ : (शासकों की निजी थैली की राशि ।) संविधान छब्बीसवां संशोधन) अधिनियम,१९७१ की धारा २ द्वारा निरसित । # Indian Constitution in Hindi article 291. # Constitution of India in hindi article 291. INSTALL Android APP * नोट… more »
अनुच्छेद २९० क : १.(कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९० क : १.(कुछ देवस्वम् निधियों को वार्षिक संदाय । प्रत्येक वर्ष छियालीस लाख पचास हजार रूपए की राशि केरल राज्य की संचित निधि पर भारित की जाएगी और उस निधि में से तिरूवांकुर देवस्वम् निधि को संदत्त की जाएगी और प्रत्येक वर्ष तेरह… more »
अनुच्छेद २९० : कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २९० : कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन । जहां इस संविधान के अधीन किसी न्यायालय या आयोग के व्यय अथवा किसी व्यक्ति को या उसके संबंध में, जिसने इस संविधान के प्रारंभ से पहले भारत में क्राउन के अधीन अथवा ऐसे प्रारंभ के… more »
अनुच्छेद २८९ : राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छुट ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८९ : राज्यों की संपत्ति और आय को संघ के कराधान से छुट । १)किसी राज्य की संपत्ति और आय को संघ के करों से छुट होगी । २)खंड (१) की कोई बात संघ को किसी राज्य की सरकार द्वारा या उसकी ओर से किए जाने वाले किसी प्रकार के व्यापार या… more »
अनुच्छेद २८८ : जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८८ : जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से कुछ दशाओं से कुछ दशाओं में छुट । १) वहां तक के सिवाय जहां तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा उपबंध करे, इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी राज्य की कोई प्रवृत्त विधि… more »
अनुच्छेद २८७ : विद्युत पर करों से छुट ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८७ : विद्युत पर करों से छुट । वहां तक के सिवाय, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबंध करे, किसी राज्य की कोई विधि (किसी सरकार द्वारा या अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पादित ) विद्युत के उपभोग या विक्रय पर जिसका - क) भारत सरकार… more »
अनुच्छेद २८६ : माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८६ : माल के क्रय या विक्रय पर कर के अधिरोपण के बारे में निर्बंधन । १)राज्य की कोई विधि, १.(माल के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय पर, जहां ऐसा प्रदाय) - क)राज्य के बाहर, या ख) भारत के राज्यक्षेत्र में २.(माल के या सेवाओं के… more »
अनुच्छेद २८५ : संघ की संपत्ति की राज्य के कराधान से छूट ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८५ : संघ की संपत्ति की राज्य के कराधान से छूट । १)वहां तक के सिवाय, जहां तक संसद् विधि द्वारा अन्याथा उपबंध करे, किसी राज्य द्वारा या राज्य के भीतर किसी प्राधिकारी द्वारा अधिरोपित सभी करों से संघ की संपत्ति को छूट होगी । २)जब… more »
अनुच्छेद २८४ : लोक सेवकों ओर न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८४ : लोक सेवकों ओर न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादकर्ताओं की जमा राशियों और अन्य धनराशियों की अभिरक्षा । ऐसी सभी धनराशियां, जो - क)यथास्थिति, भारत सरकार या राज्य की सरकार द्वारा जुटाए गए या प्राप्त राजस्व या लोक धनराशियों से… more »
अनुच्छेद २८३ : संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८३ : संचित निधियों, आकस्मिकता निधियों और लोक लेखाओं में जमा धनराशियों की अभिरक्षा आदि । १)भारत की संचित निधि और भारत की आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी निधियों में धनराशियों के संदाय, उनसे धनराशियों के निकाले जाने, ऐसी… more »
अनुच्छेद २८२ : संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किए जाने वाले व्यय ।
भारत का संविधान : प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध : अनुच्छेद २८२ : संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किए जाने वाले व्यय । संघ या राज्य किसी लोक प्रयोजन के लिए कोई अनुदान इस बात के होते हुए भी दे सकेगा कि वह प्रयोजन ऐसा नहीं है जिसके संबंध में, यथास्थिति, संसद्… more »
अनुच्छेद २८१ : वित्त आयोग की सिफारिशें ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८१ : वित्त आयोग की सिफारिशें । राष्ट्रपति इस संविधान के उपबंधों के अधीन वित्त आयोग द्वारा की गई प्रत्येक सिफारिश को, उस पर की गई कार्रवाई के स्पष्टीकारक ज्ञापन सहित, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा । # Indian… more »
अनुच्छेद २८० : वित्त आयोग : १) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २८० : वित्त आयोग : १) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और तत्पश्चात् प्रत्येक पांचवे वर्ष की समाप्ति पर या ऐसे पूर्वतर समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझता है, आदेश द्वारा, वित्त आयोग का गठन करेगा जो… more »
अनुच्छेद २७९ : शुध्द आगम आदि की गणना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७९ : शुध्द आगम आदि की गणना । १)इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में शुध्द शुध्द आगम आदि आगम से किसी कर या शुल्क के संबंध में उसका वह आगम अभिप्रेत है जो उसके संग्रहण के खर्चों को घटाकर आए और उन उपबंधों के प्रयोजनों के लिए किसी… more »
अनुच्छेद २७८ : (कुछ वित्तीय विषय के संबंध में पहली अनुसूची के ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७८ : (कुछ वित्तीय विषय के संबंध में पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों से करार ।) संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित । # Indian Constitution in Hindi article 278. # Constitution of… more »
अनुच्छेद २७७ : व्यावृत्ति । ऐसे कर, शुल्क, उपकार या फीसें ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७७ : व्यावृत्ति । ऐसे कर, शुल्क, उपकार या फीसें, जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी राज्य की सरकार द्वारा अथवा किसी नगरपालिका या अन्य स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा उस राज्य, नगरपालिका, जिला या अन्य स्थानीय क्षेत्र… more »
अनुच्छेद २७६ : वृत्तियों, व्यापारों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७६ : वृत्तियों, व्यापारों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर । १) अनुच्छेद २४६ में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई ,विधि जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड… more »
अनुच्छेद २७५ : कुछ राज्यों को संघ से अनुदान ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७५ : कुछ राज्यों को संघ से अनुदान । १)ऐसी राशियां, जिनका संसद् विधि द्वारा उपबंध करे, उन राज्यों के राजस्वों में सहायता अनुदान के रूप में प्रत्येक वर्ष भारत की संचित निधि पर भारित होंगी जिन राज्यों के विषय में संसद् यह… more »
अनुच्छेद २७४ : ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७४ : ऐसे कराधान पर जिसमें राज्य हितबद्ध है, प्रभाव डालनेवाले विधेयकों के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफ ारिश की अपेक्षा । १)कोई विधेयक या संशोधन, जो ऐसा कर या शुल्क, जिसमें राज्य हितबध्द है, अधिरोपित करता है या उसमें परिवर्तन… more »
अनुच्छेद २७३ : जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७३ : जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के स्थान पर अनुदान । १)जूट पर और जूट उत्पादों पर निर्यात शुल्क के प्रत्येक वर्ष के शुध्द आगम का कोई भाग असम, बिहार, १.(ओडिशा ) और पश्चिमी बंगाल राज्यों को साँप दिए जाने के स्थना पर… more »
अनुच्छेद २७२ : कर जो संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाते ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७२ : (कर जो संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाते है तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जा सकेंगे ।) संविधान (अस्सीवां संशोधन) अधिनियम, २००० की धारा ४ द्वारा लोप किया गया । # Indian Constitution in Hindi article 272.… more »
अनुच्छेद २७१ : कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७१ : कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के लिए अधिभार । अनुच्छेद २६९ और अनुच्छेद २७० में किसी बात के होते हुए, भी, संसद् उन अनुच्छेदों में निर्दिष्ट शुल्कों या करों में से किसी में किसी भी समय संघ के प्रयोजनों के लिए… more »
अनुच्छेद २७० : उद्गृहीत कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २७० : १.(उद्गृहीत कर और उनका संघ तथा राज्यों के बीच वितरण । १)क्रमश: २.(अनुच्छेद २६८ और अनुच्छेद २६९) में निर्दिष्ट शुल्कों और करोें के सिवाय, संघ सूची में निर्दिष्ट सभी कर और शुल्क; अनुच्छेद २७१ में निर्दिष्ट करों और शुल्कों… more »
अनुच्छेद २६९ : संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतू राज्यों को ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६९ : संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतू राज्यों को साँपे जाने वाले कर । १.(१) माल के क्रय या विक्रय पर कर और माल के परेषण पर कर, भारत सरकार द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाएंगे किन्तु खंड (२) में उपबंधित रीति से राज्यों को… more »
अनुच्छेद २६८ क : संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाला और संघ तथा ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६८ क : १.(संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाला और संघ तथा राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किया जाने वाला सेवा-कर । १) सेवाओं पर कर भारत सरकार द्वारा उद्गृहीत किए जाएंगे और ऐसा कर खंड (२)में उपबंधित रीति से भारत सरकार तथा… more »
अनुच्छेद २६८ : संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाले किंतु राज्यों ...
भारत का संविधान : संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण : अनुच्छेद २६८ : संघ द्वारा उद्गृहीत किए जाने वाले किंतु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले शुल्क । १)ऐसे स्टांप- शुल्क तथा औषधीय और प्रसाधन निर्मितियों पर ऐसे उत्पाद-शुल्क, जो संघ… more »
अनुच्छेद २६७ : आकस्मिकता निधि ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६७ : आकस्मिकता निधि । १) संसद्, विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि की स्थापना कर सकेगी जो भारत की आकस्मिकता निधि के नाम से ज्ञात होगी जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और… more »
अनुच्छेद २६६ : भारत और राज्यों की संचित निधियां और लोक लेखे ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६६ : भारत और राज्यों की संचित निधियां और लोक लेखे । १) अनुच्छेद २६७ के उपबंधों के तथा कुछ करों और शुल्कों के शुध्द आगम पूर्णत: या भागत : राज्यों को साँप दिए जाने के संबंध में इस अध्याय के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत सरकार… more »
अनुच्छेद २६५ : विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जागा ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६५ : विधि के प्राधिकार के बिना करों का अधिरोपण न किया जागा । कोई कर विधि के प्राधिकार से ही अधिरोपित या संगृहीत किया जाएगा, अन्यथा नहीं। # Indian Constitution in Hindi article 265. # Constitution of India in hindi article… more »
अनुच्छेद २६४ : १(निर्वचन । भाग १२ : वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद :
भारत का संविधान : भाग १२ : वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद : अध्याय १ : वित्त : साधारण : अनुच्छेद २६४ : १(निर्वचन । (इस भाग में वित्त आयोग से अनुच्छेद २८० के अधीन गठित वित्त आयोग अभिप्रेत है । ) ------- १.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९… more »
अनुच्छेद २६३ : अंतरराज्य परिषद् के संबंध में उपबंध ।
भारत का संविधान : राज्यों के बीच समन्वय : अनुच्छेद २६३ : अंतरराज्य परिषद् के संबंध में उपबंध । यदि किसी समय राष्ट्रपति को यह प्रतीत होता है कि ऐसी परिषद् की स्थापना से लोक हित की सिध्दि होगी जिसे - क) राज्यों के बीच जो विवाद उत्पन्न हो गए हों उनकी जांच… more »
अनुच्छेद २६२ : अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी ...
भारत का संविधान : जल संबंधी विवाद : अनुच्छेद २६२ : अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्यायानिर्णयन । १)संसद्, विधि द्वारा , किसी अंतरराज्यिक नदी या नदी-दून के या उसमें जल के प्रयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी विवाद या… more »
अनुच्छेद २६१ : सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६१ : सार्वजनिक कार्य, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियां । १)भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र, संघ के और प्रत्येक राज्य के सार्वजनिक कार्यों, अभिलेखों और न्यायिक कार्यवाहियों को पूरा विश्वास और पूरी मान्यता दी जाएगी । २)खंड (१)… more »
अनुच्छेद २६० : भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २६० : भारत के बाहर के राज्यक्षेत्रों के संबंध में संघ की अधिकारिता । भारत सरकार किसी ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार से, जो भारत के राज्यक्षेत्र का भाग नहीं है, करार ऐसे राज्यक्षेत्र की सरकार में निहित किन्हीं कार्यपालक, विधायी या… more »
अनुच्छेद २५९ : (पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों के सशस्त्र बल । )
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५९ : (पहली अनुसूची के भाग ख के राज्यों के सशस्त्र बल । ) संविधान (सातवां संशोधन ) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा निरसित । # Indian Constitution in Hindi article 259. # Constitution of India in hindi article 259.… more »
अनुच्छेद २५८ क : १(संघ को कृत्य साँपने की राज्यों की शक्ति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५८ क : १(संघ को कृत्य साँपने की राज्यों की शक्ति । इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का राज्यपाल, भारत सरकार की सहमति से उस सरकार को या उसके अधिकारियों को ऐसे किसी विषय से संबंधित कृत्य, जिन पर उस राज्य की… more »
अनुच्छेद २५८ : कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५८ : कुछ दशाओं में राज्यों को शक्ति प्रदान करने आदि की संघ की शक्ति । १) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति , किसी राज्य की सरकार की सहमति से उस सरकार को या उसके अधिकारियों को ऐसे किसी विषय से संबंधित कृत्य,… more »
अनुच्छेद २५७ क : संघ के संशस्त्र बलों या अन्य बलों के अभिनियोजन ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५७ क : १.(संघ के संशस्त्र बलों या अन्य बलों के अभिनियोजन द्वारा राज्यों की सहायता । ) (चवालीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७८ की धारा ३३ द्वारा (२०-६-१९७९ से ) निरसित । ---------- १.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा… more »
अनुच्छेद २५७ : कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५७ : कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण । १) प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अडचन न हो या उस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पडे और संघ की… more »
अनुच्छेद २५६ : राज्यों की और संघ की बाध्यता ।
भारत का संविधान : अध्याय २ : प्रशासनिक संबंध : साधारण : अनुच्छेद २५६ : राज्यों की और संघ की बाध्यता । प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संसद् द्वारा गई विधियों का और ऐसी विद्यमान विधियों का, जो उस राज्य में लागू… more »
अनुच्छेद २५५ : सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५५ : सिफारिशों और पूर्व मंजूरी के बारे में अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया के विषय मानना । यदि संसद् के या १(***) किसी राज्य के विधान मंडळ के किसी अधिनियम को - क)जहां राज्यपाल की सिफारिश अपेक्षित थी वहां राज्यपाल या राष्ट्रपति… more »
अनुच्छेद २५४ : संसद् द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५४ : संसद् द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में अंसगति । १) यदि किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद् द्वारा बनाई गई विधि के, जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद्… more »
अनुच्छेद २५३ : अंतर्राष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५३ : अंतर्राष्ट्रीय करारों को प्रभावी करने के लिए विधान । इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, संसद् को किसी अन्य देश या देशों के साथ की गई किसी संधि, करार या अभिसमय अथवा किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन,… more »
अनुच्छेद २५२ : दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५२ : दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से विधि बनाने की संसद् की शक्ति और ऐसी विधि का किसी अन्य राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना । १)यदि किन्हीं दो या अधिक राज्यों के विधान-मंडलों को यह वांछनीय प्रतीत होता है कि उन विषयों… more »
अनुच्छेद २५१ : संसद् द्वारा अनुच्छेद २४९ और अनुच्छेद २५० के अधीन ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५१ : संसद् द्वारा अनुच्छेद २४९ और अनुच्छेद २५० के अधीन बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति । अनुच्छेद २४९ और अनुच्छेद २५० की कोई बात किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसी विधि बनाने की शक्ति… more »
अनुच्छेद २५० : यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची में के...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २५० : यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में हो तो राज्य सूची में के विषय के संबंध में विधि बनाने की संसद् की शक्ति । १) इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी, संसद् को, जब तक आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, राज्य सूची में… more »
अनुच्छेद २४९ : राज्य सूची में के विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४९ : राज्य सूची में के विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित में विधि बनाने की संसद् की शक्ति । १)इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, यदि राज्य सभा में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों में से कम से कम… more »
अनुच्छेद २४८ : अवशिष्ट विधायी शक्तियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४८ : अवशिष्ट विधायी शक्तियां । १)संसद् को किसी ऐसे विषय के संबंध में, जो समवर्ती या राज्य में प्रगणित नहीं है, विधि बनाने की अनन्य शक्ति है । २)ऐसी शक्ति के अंतर्गत ऐसे कर के अधिरोपण के लिए जो उन सूचियों में किसी में वर्णित… more »
अनुच्छेद २४७ : कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४७ : कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद् की शक्ति । इस अध्याय में किसी बात के होते हुए भी, संसद् अपने द्वारा बनाई गई विधियों के या किसी विद्यमान विधि के, जो संघ सूची में प्रगणित विषय के संबंध में है,… more »
अनुच्छेद २४६ : संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४६ : संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों की विषय-वस्तु । १) खंड २) और खंड ३) में किसी बात के होते हुए भी, संसद् को सातवीं अनुसूची की सूची १ में (जिसे इस संविधान में संघ सूची कहा गया है ) प्रगणित… more »
अनुच्छेद २४५ : संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा ..
भारत का संविधान : भाग ११ : संघ और राज्यों के बीच संबंध : अध्याय १ : विधायी संबंध : विधायी शक्तियों का वितरण : अनुच्छेद २४५ : संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार । १) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद्… more »
अनुच्छेद २४४क : असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४४क : १.(असम के कुछ जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला एक स्वशासी राज्य बनाना और उसके लिए स्थानीय विधान-मंडल या मंत्रिपरिषद् का या दोनों का सृजन । १)इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी, संसद् विधि द्वारा असम राज्य के… more »
अनुच्छेद २४४ : अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन।
भारत का संविधान : भाग १० : अनुसूचित और जनजाति क्षेत्र : अनुच्छेद २४४ : अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन। १)पांचर्वी अनुसूची के उपबंध १.(असम , २.(३.(मेघालय, त्रिपूरा और मिजोरम) राज्यों ) से भिन्न ४.(***) किसी राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों… more »
अनुच्छेद २४३ यन : विद्यमान विधियों का जारी रहना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यन : विद्यमान विधियों का जारी रहना । इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, संविधान ( सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, २०११ के प्रारंभ से ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो इस… more »
अनुच्छेद २४३ यध : संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यध : संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना । इर्स भाग के उपबंध, संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होंगे और ऐसे संघ राज्यक्षेत्र को, जिसकी कोई विधान सभा नहीं है, उसी प्रकार लागू होंगे मानो किसी राज्य के विधान-मंडल के प्रतिनिर्देश,… more »
अनुच्छेद २४३ यद : बहुराज्य सहकारी सोसाइटियों को लागू होना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यद : बहुराज्य सहकारी सोसाइटियों को लागू होना । इस भाग के उपबंध, बहुराज्य सहाकारी सोसाइटियों को इस उपांतरण के अधीन रहते हुए लागू होंगे कि राज्य का विधान-मंडल ,राज्य अधिनियम या राज्य सरकार के प्रति किसी निर्देश का वही अर्थ… more »
अनुच्छेद २४३ यथ : अपराध और शास्तियां।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यथ : अपराध और शास्तियां। १) किसी राज्य का विधान- मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटियों से संबंधित अपराधों और ऐसे अपराधों के लिए शास्तियों से संबंधित उपबंध कर सकेगा । २)खंड (१) के अधीन किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई… more »
अनुच्छेद २४३ यत : विवरणियां ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यत : विवरणियां । प्रत्येक सहकारी सोसाइटी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह मास के भीतर राज्य सरकार द्वारा अभिहित प्राधिकारी को ऐसी विवरणियां फाइल करेगी, जिनमें निम्नलिखित बातें सम्मिलित होंगी, अर्थात् :- क)उसके… more »
अनुच्छेद २४३ यण : सूचना प्राप्त करने का सदस्य का अधिकार ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यण : सूचना प्राप्त करने का सदस्य का अधिकार । १)किसी राज्य का विधान- मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटी के प्रत्येक सदस्य की सहकारी सोसाइटी की ऐसी बहियों, सूचना और लेखाओं तक, जो ऐसे सदस्य के साथ उसके कारबार के नियमित… more »
अनुच्छेद २४३ यढ : साधारण निकाय की बैठक संयोजित करना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यढ : साधारण निकाय की बैठक संयोजित करना । किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, यह उपबंध कर सकेगा कि प्रत्येक सहकारी सोसाइटी के साधारण निकाय की वार्षिक बैठक, ऐसे कारबार का संव्यवहार करने के, जो ऐसी विधि में उपबंधित किया… more »
अनुच्छेद २४३ यड : सहकारी सोसाइटियों के लेखाओं की संपरीक्षा ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यड : सहकारी सोसाइटियों के लेखाओं की संपरीक्षा । १)किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटियों द्वारा लेखाओं के रखे जाने और ऐसे लेखाओं की प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम एक बार संपरीक्षा किए जाने के संबंध में… more »
अनुच्छेद २४३ यठ : बोर्ड का अधिक्रमण और निलंबन तथा अन्तरिम प्रबंध ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यठ : बोर्ड का अधिक्रमण और निलंबन तथा अन्तरिम प्रबंध । १)तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई बोर्ड, छह मास से अधिक की अवधि के लिए अतिष्ठित नहीं किया जाएगा या निलंबनामधील नहीं रखा जाएगा । परंतु बोर्ड… more »
अनुच्छेद २४३ यट : बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यट : बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन । १)किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, बोर्ड का निर्वाचन, बोर्ड की अवधि के अवसान से पूर्व संचालित किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि… more »
अनुच्छेद २४३ यञ : बोर्ड के सदस्यों और उसके पदाधिकारियों की...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यञ : बोर्ड के सदस्यों और उसके पदाधिकारियों की संख्या और पदावाधि । १)बोर्ड में उतनी संख्या में निदेशक होंगे, जितने राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, उपबंधित किए जाएं : परन्तु सहकारी सोसाइटी के निदेशकों की अधिकतम संख्या… more »
अनुच्छेद २४३ यझ : सहकारी सोसाइटियों का निगमन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यझ : सहकारी सोसाइटियों का निगमन । इस भाग के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, स्वैच्छिक विरचना, लोकतांत्रिक सदस्य-नियंत्रण, सदस्य-आर्थिक भागीदारी और स्वशासी कार्यकरण के सिध्दांतों पर आधारित… more »
अनुच्छेद २४३ यज : परिभाषाएं । सहकारी सोसाइटियां :
भारत का संविधान : १(भाग ९ ख : सहकारी सोसाइटियां : अनुच्छेद २४३ यज : परिभाषाएं । इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, - क)प्राधिकृत व्यक्ति से अनुच्छेद २४३ यथ में उस रूप में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति अभिप्रेत है ; ख) बोर्ड से किसी सहकारी… more »
अनुच्छेद २४३ यछ : निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यछ : निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन । इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी - क)अनुच्छेद २४३ यक के अधीन बनाई गई या बनाई जाने के लिए तात्पर्यित किसी ऐसी विधि की विधिमान्यता, जो… more »
अनुच्छेद २४३ यच : विद्यमान विधियों और नगरपारिकाओं का बना रहना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यच : विद्यमान विधियों और नगरपारिकाओं का बना रहना । इस भाग में किसी बात के होत हुए भी, संविधान (चौहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ के प्रारंभ के ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त नगरपालिकाओं से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध,… more »
अनुच्छेद २४३ यड : महानगर योजना के लिए समिति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यड : महानगर योजना के लिए समिति । १)प्रत्येक महानगर क्षेत्र में, संपूर्ण महानगर क्षेत्र के लिए विकास योजना प्रारूप तैयार करने के लिए, एक महानगर योजना समिति का गठन किया जाएगा । २)राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, निम्नलिखित… more »
अनुच्छेद २४३ यघ : जिला योजना के लिए समिति ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यघ : जिला योजना के लिए समिति । १)प्रत्येक राज्य में जिला स्तर पर, जिले में पंचायतों और नगरपालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं का समेकन करने और संपूर्ण जिले के लिए एक विकास योजनो प्रारूप तैयार करने के लिए, एक जिला योजना… more »
अनुच्छेद २४३ यग : इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यग : इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना । १)इस भाग की कोई बात अनुच्छेद २४४ के खंड (१) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और इसके खंड (२) में निर्दिष्ट जनजाति क्षेत्रों को लागू नहीं होगी । २)इस भाग की किसी बात का यह… more »
अनुच्छेद २४३ यख : संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यख : संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना । इस भाग के उपबंध संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होंगे और किसी संघ राज्यक्षेत्र को उनके लागू होने में इस प्रकार प्रभावी होंगे मानो किसी राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश, अनुच्छेद २३९ के… more »
अनुच्छेद २४३ यक : नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ यक : नगरपालिकाओं के लिए निर्वाचन । १)नगरपालिकाओं के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण ,अनुच्छेद २४३ट में निर्दिष्ट राज्य… more »
अनुच्छेद २४३ य : नगरपालिकाओं के लेखाओं की संपरीक्षा ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ य : नगरपालिकाओं के लेखाओं की संपरीक्षा । किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, नगरपालिकाओं द्वारा लेखे रखे जाने और ऐसे लेखाओं की संपरीक्षा करने के बारे में उपबंध कर सकेगा । #Indian Constitution in Hindi article 243Z.… more »
अनुच्छेद २४३ म : वित्त आयोग ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ म : वित्त आयोग । १)अनुच्छेद २४३झ के अधीन गठित वित्त आयोग नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति का भी पुनर्विलोकन करेगा और जो- क) १)राज्य द्वारा उद्गृहणीय ऐसे करों, शुल्कों, पथकरों और फीसों के ऐसे शुध्द आगमों के राज्य और… more »
अनुच्छेद २४३ भ : नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की ...
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ भ : नगरपालिकाओं द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति और उनकी निधियां । किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, - क) ऐसे कर, शुल्क, पथकर और फीसें उद्गृहीत, संगृहीत और विनियोजित करने के लिए किसी नगरपालिका को, ऐसी प्रक्रिया के… more »
अनुच्छेद २४३ ब : नगरपालिकाओं, आदि की शक्तियां, प्राधिकार ..
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ ब : नगरपालिकाओं, आदि की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व । इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, - क) नगरपालिकाओं का ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान कर सकेगा, जो उन्हें स्वायत्त… more »
अनुच्छेद २४३ फ : सदस्यता के लिए निरर्हताएं ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ फ : सदस्यता के लिए निरर्हताएं । १)कोई व्यक्ति किसी नगरपालिका का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा - क) यदि वह संबंधित राज्य के विधान-मंडल के निर्वाचनों के प्रयोजनों के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि… more »
अनुच्छेद २४३प : नगरपालिकाओं की अवधि, आदि ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३प : नगरपालिकाओं की अवधि, आदि । १)प्रत्येक नगरपालिका, यदि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पाच वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं : पंरतु किसी… more »
अनुच्छेद २४३ न : स्थानों का आरक्षण ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ न : स्थानों का आरक्षण । १)प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जातियों और अनुचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे और इस प्रकार आरक्षित स्थानों की संख्या का अनुपात, उस नगरपालिका में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले… more »
अनुच्छेद २४३ ध : वार्ड समितियों, आदि का गठन और संरचना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ ध : वार्ड समितियों, आदि का गठन और संरचना । १)ऐसी नगरपालिका के, जिसकी जनसंख्या तीन लाख या उससे अधिक है, प्रादेशिक क्षेत्र के भीतर वार्ड समितियों का गठन किया जाएगा, जो एक या अधिक वार्डों से मिलकर बनेगी । २) राज्य का… more »
अनुच्छेद २४३ द : नगरपालिकाओं की संरचना ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ द : नगरपालिकाओं की संरचना । १)खंड २) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, किसी नगरपालिका के सभी स्थान, नगरपालिका क्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए व्यक्तियों द्वारा भरे जाएंगे और इस… more »
अनुच्छेद २४३ थ : नगरपालिकाओं का गठन ।
भारत का संविधान : अनुच्छेद २४३ थ : नगरपालिकाओं का गठन । प्रत्येक राज्य में, इस भाग के उपबंध के अनुसार, - क) किसी संक्रमणशील क्षेत्र के लिए, अर्थात्, ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र में संक्रमणगत क्षेत्र के लिए कोई नगर पंचायत का (चाहे वह किसी भी नाम से… more »