Archives for: "March 2019"
आदेश ७ नियम १८ : वादपत्र फाइल करते समय न पेश की गई..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १८ : वादपत्र फाइल करते समय न पेश की गई दस्तावेज की अग्राह्यता : २००२ के अधिनियम सं. २२ की धारा ८ द्वारा (१-७-२००२ से) लोप किया गया । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल… more »
आदेश ७ नियम १७ : दुकान का बही खाता पेश करना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १७ : दुकान का बही खाता पेश करना : १) वहां तक के सिवाय जहां तक कि बैंककार बही साक्ष्य अधिनियम १८९१ (१८९१ का १८) द्वारा अन्यथा उपबन्धित है, उस दशा में जिसमें कि वह दस्तावेज जिसके आधार पर वादी वाद लाता है, दुकान के… more »
आदेश ७ नियम १६ : खोई हुई परक्राम्य लिखतों के आधार..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १६ : खोई हुई परक्राम्य लिखतों के आधार पर वाद : जहां वाद परक्राम्य लिखत पर आधारित है और यह साबित कर दिया जाता है कि लिखत खो गई है और वादी ऐसी लिखत पर आधारित किसी अन्य व्यक्ति के दावों के लिए क्षतिपूर्ति, न्यायालय… more »
आदेश ७ नियम १५ : दस्तावेजें वादी के कब्जे या शक्ति में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १५ : दस्तावेजें वादी के कब्जे या शक्ति में न होने की दशा में कथन : १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा १७ द्वारा (१-७-२००२ से) लोप किया गया । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल… more »
आदेश ७ नियम १४ : उन दस्तावेजों की प्रस्तुति जिन पर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : वे दस्तावेजें जिन पर वादपत्र में निर्भर किया गया है : नियम १४ : १.(उन दस्तावेजों की प्रस्तुति जिन पर वादी वाद लाता है या निर्भर करता है : १) जहां वादी किसी दस्तावेज के आधार पर वाद लाता है या अपने कब्जे या शक्ति में… more »
आदेश ७ नियम १३ : जहां वादपत्र की नामंजूरी से नए वादपत्र..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १३ : जहां वादपत्र की नामंजूरी से नए वादपत्र का उपस्थित किया जाना प्रवारित नहीं होता : इसमें इसके पूर्व वर्णित आधारों में से किसी पर भी वादपत्र के नामंजूर किए जाने पर केवल नामंजूरी के ही कारण वादी उसी वाद-हेतुक… more »
आदेश ७ नियम १२ : वादपत्र के नामंजूर किए जाने पर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १२ : वादपत्र के नामंजूर किए जाने पर प्रक्रिया : जहां वादपत्र नामंजूर किया जाता है वहां न्यायालय इस भाव का आदेश कारणों सहित अभिलिखित करेगा । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी… more »
आदेश ७ नियम ११ : वादपत्र का नामंजूर किया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ११ : वादपत्र का नामंजूर किया जाना : वादपत्र निम्नलिखित दशाओं में नामंजूर कर दिया जाएगा - क) जहां वह वाद-हेतुक प्रकट नहंीं करता है; ख) जहां दावाकृत अनुतोष का मूल्यांकन कम दिया गया है और वादी मूल्यांकन को ठीक करने… more »
आदेश ७ नियम १०-ख : समुचित न्यायालय को वाद अन्तरित करने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १०-ख : समुचित न्यायालय को वाद अन्तरित करने की अपील न्यायालय की शक्ति : १) जहां वादपत्र के लौटाए जाने के आदेश के विरुद्ध अपील में अपील की सुनवाई करने वाला न्यायालय ऐसे आदेश की पुष्टि करता है वहां अपील न्यायालय,… more »
आदेश ७ नियम १०-क : जहां वादपत्र उसके लौटाए जाने के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १०-क : १.(जहां वादपत्र उसके लौटाए जाने के पश्चात् फाइल किया जाना है वहां न्यायालय में उपसंजाति के लिए तारीख नियत करने की न्यायालय की शक्ति : १) जहां किसी वाद में प्रतिवादी के उपसंजात होने के पश्चात् न्यायालय की… more »
आदेश ७ नियम १० : वादपत्र का लौटाया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम १० : १.(वादपत्र का लौटाया जाना : १) २.(नियम १०-क के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, वादपत्र) वाद के किसी भी प्रक्रम में उस न्यायालय में उपस्थित किए जाने के लिए लौटा दिया जाएगा जिसमें वाद संस्थित किया जाना चाहिए था ।… more »
आदेश ७ नियम ९ : वादपत्र ग्रहण करने पर प्रक्रिया :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ९ : १.(वादपत्र ग्रहण करने पर प्रक्रिया : जहां न्यायालय यह आदेश करता है कि प्रतिवादियों पर समनों की तामील आदेश ५ के नियम ९ में उपबंधित रीति से की जाए वहां वह, वादी को ऐसे आदेश की तारीख से सात दिन के भीतर सादा… more »
आदेश ७ नियम ८ : पृथक् आधारों पर आधारित अनुतोष :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ८ : पृथक् आधारों पर आधारित अनुतोष : जहां वादी कई सुभिन्न दावों या वाद-हेतुकों के बारे में जो पृथक् और सुभिन्न आधारों पर आधारित है, अनुतोष चाहता है वहां वे जहां तक हो सके पृथक्त: और सुभिन्नत: कथित किए जाएंगे ।… more »
आदेश ७ नियम ७ : अनुतोष का विनिर्दिष्ट रुप से कथन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ७ : अनुतोष का विनिर्दिष्ट रुप से कथन : हर वादपत्र में उस अनुतोष का विनिर्दिष्ट रुप से कथन होगा जिसके लिए वादी सामान्यत: या अनुकल्पत: दावा करता है और यह आवश्यक नहीं होगा कि ऐसा कोई साधारण या अन्य अनुतोष मांगा… more »
आदेश ७ नियम ६ : परिसीमा विधि से छूट के आधार :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ६ : परिसीमा विधि से छूट के आधार : जहां वाद परिसीमा विधि द्वारा विहित अवधि के अवसान के पश्चात् संस्थित किया जाता है वहां वादपत्र में वह आधार दर्शित किया जाएगा जिस पर ऐसी विधि से छूट पाने का दावा किया गया है :… more »
आदेश ७ नियम ५ : प्रतिवादी के हित और दायित्व का दर्शित..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ५ : प्रतिवादी के हित और दायित्व का दर्शित किया जाना : वादपत्र में यह दर्शित किया जाएगा कि प्रतिवादी विषय-वस्तु में हित रखता है या रखने का दावा करता है और वादी की मांग का उत्तर देने के लिए अपेक्षित किए जाने का… more »
आदेश ७ नियम ४ : जब वादी प्रतिनिधि के रुप में वाद लाता..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ४ : जब वादी प्रतिनिधि के रुप में वाद लाता है : जहां वादी प्रतिनिधि की हैसियत में वाद लाता है वहां वादपत्र में न केवल यह दर्शित होगा कि उसका विषय-वस्तु में वास्तविक विद्यमान हित है,वरन् यह भी दर्शित होगा कि उससे… more »
आदेश ७ नियम ३ : जहां वाद की विषय-वस्तु स्थावर सम्पत्ति..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम ३ : जहां वाद की विषय-वस्तु स्थावर सम्पत्ति है : जहां वाद की विषय-वस्तु स्थावर सम्पत्ति है वहां वादपत्र में सम्पत्ति का ऐसा वर्णन होगा जो उसकी पहचान कराने के लिए पर्याप्त है और उस दशा में जिसमें ऐसी सम्पत्ति की… more »
आदेश ७ नियम २-क : जहां वाद में ब्याज ईप्सित है :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम २-क : १.(जहां वाद में ब्याज ईप्सित है : १) जहां वादी ब्याज की ईप्सा करता है, वहां वादपत्र में उपनियम (२) और उपनियम (३) के अधीन उपवर्णित ब्यौरे के साथ उस प्रभाव का एक कथन अंतर्विष्ट किया जाएगा । २) जहां वादी… more »
आदेश ७ नियम २ : धन के वादों में :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : नियम २ : धन के वादों में : जहां वादी धन की वसूली चाहता है वहां दावा की गई ठीक रकम वादपत्र में कथित की जाएगी : किन्तु जहां वादी अन्त:कालीन लाभों के लिए या ऐसी रकम के लिए जो उसके और प्रतिवादी के बीच हिसाब किए जोन पर… more »
आदेश ७ नियम १ : वादपत्र में अन्तर्विष्ट की जाने वाली..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ७ : वादपत्र : नियम १ : वादपत्र में अन्तर्विष्ट की जाने वाली विशिष्टियां : वादपत्र में निम्नलिखित विशिष्टियां होंगी - क) उस न्यायालय का नाम जिसमें वाद लाया गया है; ख) वादी का नाम, वर्णन और निवास-स्थान; ग) जहां तक… more »
आदेश ६ नियम १८ : आदेश के पश्चात् संशोधन करने में असफल..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १८ : आदेश के पश्चात् संशोधन करने में असफल रहना : यदि कोई पक्षकार, जिसने संशोधन करने की इजाजत के लिए आदेश प्राप्त कर लिया है, उस आदेश द्वारा उस प्रयोजन के लिए परिसीमित समय के भीतर या यदि उसके द्वारा कोई समय… more »
आदेश ६ नियम १७ : अभिवचनों का संशोधन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १७ : १.(अभिवचनों का संशोधन : न्यायालय कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम पर, किसी भी पक्षकार को, ऐसी रीति से और ऐसे निबंधनों पर, जो न्यायसंगत हों, अपने अभिवचनों को परिवर्तित या संशोधित करने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा… more »
आदेश ६ नियम १६ : अभिवचन का काट दिया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १६ : १.(अभिवचन का काट दिया जाना : न्यायालय कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम में आदेश दे सकेगा कि किसी भी अभिवचन में की कोई भी ऐसी बात काट दी जाए या संशोधित कर दी जाए, - क) जो अनावश्यक, कलंकात्मक, तुच्छ या तंग… more »
आदेश ६ नियम १५-क : वाणिज्यिक विवाद में अभिवचनों..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १५-क : वाणिज्यिक विवाद में अभिवचनों का सत्यापन : १) नियम १५ में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी वाणिज्यिक विवाद में प्रत्येक अभिवचन इस अनुसूची के परिशिष्ट में विहित रीति और प्ररुप में शपथपत्र द्वारा… more »
आदेश ६ नियम १५ : अभिवचन का सत्यापन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १५ : अभिवचन का सत्यापन : १) उसके सिवाय जैसा कि तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा अन्यथा उपबन्धित है, हर अभिवचन उसे करने वाले पक्षकार द्वारा या पक्षकारों में से एक के द्वारा या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा, जिसके… more »
आदेश ६ नियम १४-क : सूचना की तामील के लिए पता :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १४-क : १.(सूचना की तामील के लिए पता : १) पक्षकार द्वारा फाईल किए जाने वाले हर अभिवचन के साथ पक्षकार के पते के बारे में विहित प्ररुप में कथन, नियम १४ में उपबन्धित रुप में हस्ताक्षरित करके देना होगा । २) ऐसे पते… more »
आदेश ६ नियम १४ : अभिवचन का हस्ताक्षरित किया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १४ : अभिवचन का हस्ताक्षरित किया जाना : हर अभिवचन पक्षकार द्वारा और यदि उसका कोई प्लीडर है तो उसके द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा : परन्तु जहां अभिवचन करने वाला पक्षकार अनुपस्थिति के कारण या किसी अन्य अच्छे हेतुक… more »
आदेश ६ नियम १३ : विधि की उपधारणाएं :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १३ : विधि की उपधारणाएं : किसी तथ्य की बात को, जिसकी विधि किसी पक्षकार के पक्ष में उपधारणा करती है या जिसके सबूत का भार प्रतिपक्ष पर है, पक्षकारों में से किसी के द्वारा किसी भी अभिवचन में अभिकथित करना तब तक… more »
आदेश ६ नियम १२ : विवक्षित संविदा या सम्बन्ध :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १२ : विवक्षित संविदा या सम्बन्ध : जब कभी पत्रों की या वार्तालापों की आवली से या अन्यथा कई परिस्थितियों से किन्ही व्यक्तियों के बीच में की कोई संविदा या अन्य सम्बन्ध विवक्षित किया जाना है तब ऐसी संविदा या सम्बन्ध… more »
आदेश ६ नियम ११ : सूचना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ११ : सूचना : जहां कही यह अभिकथन करना तात्विक है कि किसी तथ्य, बात या वस्तु की सूचना किस व्यक्ति की थी वहां जब तक कि ऐसी सूचना का प्ररुप या उसके यथावत् शब्द या वे परिस्थितियों, जिनसे ऐसी सूचना का अनुमान किया जाना… more »
आदेश ६ नियम १० : विद्वेष, ज्ञान, आदि :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम १० : विद्वेष, ज्ञान, आदि : जहां कहीं किसी व्यक्ति के विद्वेष, कपटपूर्ण आशय, ज्ञान या चित्त की अन्य दशा का अभिकथन करना तात्विक है, वहां उन परिस्थितियों को उपवर्णित किए बिना जिनसे उसका अनुमान किया जाना है, उसे… more »
आदेश ६ नियम ९ : दस्तावेज के प्रभाव का कथन किया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ९ : दस्तावेज के प्रभाव का कथन किया जाना : जहां कहीं किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु तात्विक है वहां उसे सम्पूर्णत: या उसके किसी भाग को उपवर्णित किए बिना उसके प्रभाव को यथासंभव संक्षिप्त रुप में अभिवचन में कथित कर… more »
आदेश ६ नियम ८ : संविदा का प्रत्याख्यान :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ८ : संविदा का प्रत्याख्यान : जहां किसी अभिवचन में किसी संविदा का अभिकथन है वहां विरोधी पक्षकार द्वारा किए गए उसके कोरे प्रत्याख्यान का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह केवल अभिव्यक्त संविदा का, जो अभिकथित की गई है, या… more »
आदेश ६ नियम ७ : फेरबदल :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ७ : फेरबदल : किसी भी अभिवचन में दावे का कोई नया आधार या तथ्य का कोई अभिकथन, जो उसका अभिवचन करने वाले पक्षकार के पूर्वतन अभिवचनों से असंगत हो, बिना संशोधन किए न तो उठाया जाएगा और न अन्तर्विष्ट होगा । INSTALL… more »
आदेश ६ नियम ६ : पुरोभाव्य शर्त :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ६ : पुरोभाव्य शर्त : जिस किसी पुरोभाव्य शर्त के पालन का या घटित होने का प्रतिवाद करना आशयित हो वह, यथास्थिति, वादी या प्रतिवादी द्वारा अपने अभिवचन में स्पष्टत: विनिर्दिष्ट की जाएगी और उसके अधीन रहते हुए वादी या… more »
आदेश ६ नियम ५ : निरसित :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ५ : १.(निरसित :) ------ १. १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा १५ द्वारा (१-७-२००२ से ) नियम ५ का लोप किया गया । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक… more »
आदेश ६ नियम ४ : जहां आवश्यक हो वहां विशिष्टियों का दिया..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ४ : जहां आवश्यक हो वहां विशिष्टियों का दिया जाना : उन सभी मामलों में जिनमें अभिवचन करने वाला पक्षकार किसी दुव्र्यपदेशन, कपट, न्याय-भंग, जानबूझकर किए गए व्यतिक्रम या असम्यक् असर के अभिवाक् पर निर्भर करता है, और… more »
आदेश ६ नियम ३-क : वाणिज्यिक न्यायालयों में अभिवचन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ३-क : वाणिज्यिक न्यायालयों में अभिवचन के प्ररुप : किसी वाणिज्यिक विवाद में, जहां ऐसे वाणिज्यिक विवादों के प्रयोजनों के लिए बनाए गए उच्च न्यायालय नियमों या विधि व्यवसाय निदेशों के अधीन अभिवचनों के प्ररुप विहित… more »
आदेश ६ नियम ३ : अभिवचन का प्ररुप :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम ३ : अभिवचन का प्ररुप : जब वे लागू होने योग्य हों तब परिशिष्ट क में के प्ररुप और जहां वे लागू होने योग्य न हों वहां जहां तक हो सके, लगभग वैसे ही प्ररुप सभी अभिवचनों के लिए प्रयुक्त किए जाएंगे । INSTALL Android… more »
आदेश ६ नियम २ : अभिवचन में तात्विक तथ्यों का, न कि..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : नियम २ : १.(अभिवचन में तात्विक तथ्यों का, न कि साक्ष्य का, कथन होगा : १) हर अभिवचन में उन तात्विक तथ्यों का, जिन पर अभिवचन करने वाला पक्षकार, यथास्थिति, अपने दावे या अपनी प्रतिरक्षा के लिए निर्भर करता है और केवल उन… more »
आदेश ६ नियम १ : अभिवचन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ६ : अभिवचन साधारणत : नियम १ : अभिवचन : अभिवचन से वादपत्र या लिखित कथन अभिप्रेत होगा । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं… more »
आदेश ५ नियम ३० : समन के बदले पत्र का प्रतिस्थापित किया..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ३० : समन के बदले पत्र का प्रतिस्थापित किया जाना : १) इसमें इसके पूर्व अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां न्यायालय की यह राय है कि प्रतिवादी ऐसी पंक्ति का है जो इस बात का हकदार बनाती है कि उसके प्रति ऐसा… more »
आदेश ५ नियम २९ : उस व्यक्ति का कर्तव्य जिसको समन तामील..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २९ : उस व्यक्ति का कर्तव्य जिसको समन तामील के लिए परिदत्त किया जाए या भेजा जाए : १) जहां तामील के लिए किसी व्यक्ति को नियम २४, नियम २७ या नियम २८ के अधीन परिदत्त किया गया है या भेजा गया है वहां ऐसा व्यक्ति, उसकी… more »
आदेश ५ नियम २८ : सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों पर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २८ : सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों पर तामील : जहां प्रतिवादी सैनिक, १.(नौसैनिक) या २.(वायुसैनिक) है वहां न्यायालय समन को, उसकी उस प्रति के सहित जो प्रतिवादी द्वारा रक ली जानी है, उसके कमान आफिसर को तामील के… more »
आदेश ५ नियम २७ : सिविल लोक अधिकारी पर या रेल कंपनी या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २७ : सिविल लोक अधिकारी पर या रेल कंपनी या स्थानीय प्रधिकारी के सेवक पर तामील : जहां प्रतिवादी लोक अधिकारी है (जो १.(भारतीय) सेना, २.(नौसेना या वायुसेना) ३.(***) का नहीं है) या रेल कंपनी या स्थानीय प्राधिकारी का… more »
आदेश ५ नियम २६-क : विदेशों के ..समन का भेजा जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २६-क : १.(विदेशों के अधिकरियों को समन का भेजा जाना : जहां केन्द्रीय सरकार ने राजपत्र में अधिसूचना द्वारा किसी विदेशी राज्यक्षेत्र के बारे में यह घोषणा की है कि उस विदेशी राज्यक्षेत्र में वास्तव में और स्वेच्छा… more »
आदेश ५ नियम २६ : राजनीतिक अभिकर्ता या न्यायालय की..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २६ : १.(राजनीतिक अभिकर्ता या न्यायालय की मार्फत विदेशी राज्यक्षेत्र में तामील : जहां - क) केन्द्रीय सरकार में निहित किसी वैदेशिक अधिकारिता के प्रयोग में, किसी ऐसे विदेशी राज्यक्षेत्र में, जिसमें प्रतिवादी वास्तव… more »
आदेश ५ नियम २५ : वहां तामील, जहां प्रतिवादी भारत के बाहर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २५ : वहां तामील, जहां प्रतिवादी भारत के बाहर निवास करता है और उसका कोई अभिकर्ता नहीं है : जहां प्रतिवादी १.(भारत) के बाहर निवास करता है और उसका १.(भारत) में ऐसा कोई अभिकर्ता नहीं है जो तामील प्रतिगृहीत करने के… more »
आदेश ५ नियम २४ : कारागार में प्रतिवादी पर तामील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २४ : कारागार में प्रतिवादी पर तामील : जहां प्रतिवादी कारागार में परिरुद्ध है वहां समन कारागार के भारसाधक अधिकारी को प्रतिवादी पर तामील के लिए परिदत्त किया जाएगा या १.(डाक द्वारा या ऐसी कुरियर सेवा द्वारा जो उच्च… more »
आदेश ५ नियम २३ : जिस न्यायालय को समन भेजा गया है उसका..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २३ : जिस न्यायालय को समन भेजा गया है उसका कर्तव्य : वह न्यायालय, जिसको समन नियम २१ या नियम २२ के अधीन भेजा गया है, उसकी प्राप्ति पर इस भांति असर होगा मानो वह उसी न्यायालय द्वारा निकाला गया था और तब वह उससे… more »
आदेश ५ नियम २२ : बाहर के न्यायालयों द्वारा निकाले गए समन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २२ : बाहर के न्यायालयों द्वारा निकाले गए समन की प्रेसिडेंसी नगरों में तामील : जहां कलकत्ता, मद्रास १.(और मुम्बई) नगरों की सीमाओं से परे स्थापित किसी न्यायालय द्वारा निकाले गए समन की तामील ऐसी सीमाओं में से किसी… more »
आदेश ५ नियम २१ : जहां प्रतिवादी किसी अन्य न्यायालय की..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २१ : जहां प्रतिवादी किसी अन्य न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है वहां समन की तामील : समन को वह न्यायालय, जिसने उसे निकाला है, अपने अधिकारियों में से किसी द्वारा १.(या डाक द्वारा या ऐसी कुरियर सेवा… more »
आदेश ५ नियम २०-क : डाक द्वारा समन की तामील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २०-क : १.(डाक द्वारा समन की तामील :) सिविल प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, १९७६ (१९७६ का १०४) की धारा ५५ द्वारा (१-२-१९७७ से) निरसित । ------ १. १९५६ के अधिनियम सं. ६६ की धारा १४ द्वार अन्त:स्थापित ।… more »
आदेश ५ नियम २० : प्रतिस्थापित तामील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २० : प्रतिस्थापित तामील : १) जहां न्यायालय का समाधान हो जाता है कि यह विश्वास करने के लिए कारण है कि प्रतिवादी इस प्रयोजन से कि उस पर तामील न होने पाए, सामने आने से बचता है या समन की तामील मामूली प्रकार से किसी… more »
आदेश ५ नियम १९-क : लोप किया गया :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १९-क : १.(लोप किया गया :) ------ १. १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा १५ द्वारा (१-७-२००२ से ) नियम १९-क का लोप किया गया । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या… more »
आदेश ५ नियम १९ : तामील करने वाले अधिकारी की परीक्षा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १९ : तामील करने वाले अधिकारी की परीक्षा : हां समन नियम १७ के अधीन लौटा दिया गया है वहां तामील करने वाले अधिकारी की परीक्षा उसकी अपनी कार्यवाहियों की बाबत न्यायालय स्वयं या किसी अन्य न्यायालय द्वारा उस दशा में… more »
आदेश ५ नियम १८ : तामील करने के समय..का पृष्ठांकन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १८ : तामील करने के समय और रीति का पृष्ठांकन : तामील करने वाला अधिकारी उन सभी दशाओं में, जिनमें समन की तामील नियम १६ के अधीन की गई है उस समय को जब और उस रीति को जिससे समन की तामील की गई थी और यदि ऐसा कोई व्यक्ति… more »
आदेश ५ नियम १७ : जब प्रतिवादी तामील का प्रतिग्रहण करने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १७ : जब प्रतिवादी तामील का प्रतिग्रहण करने से इंकार करे या न पाया जाए, तब प्रक्रिया : जहां प्रतिवादी या उसका अभिकर्ता या उपरोक्त जैसा अन्य व्यक्ति अभिस्वीकृति पर हस्ताक्षर करने से इंकार करता है, या जहां तामील… more »
आदेश ५ नियम १६ : वह व्यक्ति जिस पर तामील की गई..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १६ : वह व्यक्ति जिस पर तामील की गई है, अभिस्वीकृति हस्ताक्षरित करेगा : जहां तामील करने वाला अधिकारी समन की प्रति स्वयं प्रतिवादी को, या उसके निमित्त अभिकर्ता को या किसी अन्य व्यक्ति को, परिदत्त करता है वहां जिस… more »
आदेश ५ नियम १५ : जहां तामील प्रतिवादी के कुटुम्ब के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १५ : १.( जहां तामील प्रतिवादी के कुटुम्ब के वयस्क सदस्य पर की जा सकेगी : जहां किसी वाद में प्रतिवादी अपने निवासस्थान से उस समय अनुपस्थित है जब उस पर समन की तामील उसके निवास-स्थान पर की जानी है और युक्तियुक्त समय… more »
आदेश ५ नियम १४ : स्थावर सम्पत्ति के वादों में भारसाधक..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १४ : स्थावर सम्पत्ति के वादों में भारसाधक अभिकर्ता पर तामील : जहां स्थावर सम्पत्ति की बाबत अनुतोष या उसके प्रति किए गए दोष के लिए प्रतिकर अभिप्राप्त करने के वाद में तामील स्वयं प्रतिवादी पर नहीं की जा सकती और… more »
आदेश ५ नियम १३ : उस अभिकर्ता पर तामील जिसके द्वारा..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १३ : उस अभिकर्ता पर तामील जिसके द्वारा प्रतिवादी कारबार करता है : १) किसी कारबार या काम से संबंधित किसी ऐसे वाद में जो किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध है, जो उस न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर निवास… more »
आदेश ५ नियम १२ : जब साध्य...अभिकर्ता पर की जाएगी :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १२ : जब साध्य हो तब समन की तामील स्वयं प्रतिवादी पर, अन्यथा उसके अभिकर्ता पर की जाएगी : जहां कहीं भी यह साध्य हो वहां तामील स्वयं प्रतिवादी पर की जाएगी किन्तु यदि तामील का प्रतिग्रहण करने के लिए सशक्त उसका कोई… more »
आदेश ५ नियम ११ : अनेक प्रतिवादियों पर तामील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ११ : अनेक प्रतिवादियों पर तामील : अन्यथा विहित के सिवाय जहां एक से अधिक प्रतिवादी है, वहां समन की तामील हर एक प्रतिवादी पर की जाएगी । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल… more »
आदेश ५ नियम १० : तामील का ढंग :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम १० : तामील का ढंग : समन की तामील उसकी ऐसी प्रति के परिदान या निविदान द्वारा की जाएगी जो न्यायाधीश या ऐसे अधिकारी द्वारा जो वह इस निमित्त नियुक्त करे, हस्ताक्षरित हो और जिस पर न्यायालय की मुद्रा लगी हो ।… more »
आदेश ५ नियम ९-क : तामील के लिए वादी को समन का दिया..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ९-क : १.( तामील के लिए वादी को समन का दिया जाना : १) न्यायालय, नियम ९ के अधीन समन की तामील के अतिरिक्त, वादी के आवेदन पर, प्रतिवादी के उपसंजात होने के लिए समन जारी करने के लिए ऐसे वादी को ऐसे प्रतिवादी पर ऐसे… more »
आदेश ५ नियम ९ : न्यायालय द्वारा समय का परिदान :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : समन की तामील : नियम ९ : १.( न्यायालय द्वारा समय का परिदान : १) जहां प्रतिवादी उस न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है, जिसमें वाद संस्थित किया गया है या उस अधिकारिता के भीतर निवास करने वाला उसका ऐसा अभिकर्ता… more »
आदेश ५ नियम ८ : अंतिम निपटारे के लिए समन निकाले जाने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ८ : अंतिम निपटारे के लिए समन निकाले जाने पर प्रतिवादी को यह निदेश होगा कि वह अपने साक्षियों को पेश करे : जहां समन वाद के अंतिम निपटारे के लिए है वहां उसमें प्रतिवादी को यह निदेश भी होगा कि जिन साक्षियों के… more »
आदेश ५ नियम ७ : समन प्रतिवादी को यह आदेश देगा कि वह ..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ७ : समन प्रतिवादी को यह आदेश देगा कि वह वे दस्तावेजें पेश केरे जिन पर वह निर्भर करता है : उपसंजाति और उत्तर के लिए समन में प्रतिवादी को आदेश होगा कि वह अपने कब्जे या शक्ति में की ऐसी १.(आदेश ८ के नियम १-क में… more »
आदेश ५ नियम ६ : प्रतिवादी की उपसंजाति के लिए दिन नियम..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ६ : प्रतिवादी की उपसंजाति के लिए दिन नियम किया जाना : १.(नियम १ के उपनियम (१) के अधीन) दिन, न्यायालय के चालू कारबार, प्रतिवादी के निवास-स्थान और समन की तामील के लिए आवश्यक समय के प्रति निर्देश से नियम किया जाएगा… more »
आदेश ५ नियम ५ : समन या तो विवाद्यकों के स्थिरीकरण के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ५ : समन या तो विवाद्यकों के स्थिरीकरण के लिए या अंतिम निपटारे के लिए होगा : न्यायालय समन निकालने के समय यह अवधारित करेगा कि क्या वह केवल विवाद्यकों के स्थिरीकरण के लिए होगा या वाद के अन्तिम निपटारे के लिए होगा… more »
आदेश ५ नियम ४ : किसी भी पक्षकार को स्वयं उपसंजात होने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ४ : किसी भी पक्षकार को स्वयं उपसंजात होने के लिए तब तक आदेश नहीं किया जाएगा जब तक कि वह किन्हीं निश्चित सीमाओं के भीतर निवासी न हो : किसी भी पक्षकार को स्वयं उपसंजात होने के लिए केवल तभी आदेश किया जाएगा जब वह -… more »
आदेश ५ नियम ३ : न्यायालय प्रतिवादी या वादी को स्वयं..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम ३ : न्यायालय प्रतिवादी या वादी को स्वयं उपसंजात होने के लिए आदेश दे सकेगा : १) जहां न्यायालय के पास प्रतिवादी की स्वीय उपसंजाति अपेक्षित करने के लिए कारण हो वहां समन द्वारा यह आदेश किया जाएगा कि समन में… more »
आदेश ५ नियम २ : समनों से उपाबद्ध वादपत्र की प्रति :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : नियम २ : १.(समनों से उपाबद्ध वादपत्र की प्रति : प्रत्येक समन के साथ वादपत्र की एक प्रति होगी ।) ------ १. १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा १४ द्वारा (१-७-२००२ से) नियम २ के स्थान पर प्रतिस्थापित । INSTALL Android… more »
आदेश ५ नियम १ : समन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ५ : समनों का निकाला जाना और उनकी तामील : समनों का निकाला जाना : नियम १ : समन : १.(१) जब वाद सम्यक् रुप में संस्थित किया जा चुका हो तब, उस प्रतिवादी पर, समन के तामील की तारीख से तीस दिन के भीतर उपसंजात होने और दावे का… more »
आदेश ४ नियम २ : वादों का रजिस्टर :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ४ : नियम २ : वादों का रजिस्टर : न्यायालय हर वाद की विशिष्टियों को, उस प्रयोजन के लिए रखी गई पुस्तक में जो सिविल वादों का रजिस्टर कहलाएगी, प्रविष्ट कराएगा । ऐसी प्रविष्टियां हर वर्ष उसी क्रम में संख्यांकित होंगी जिसमें… more »
आदेश ४ नियम १ : वादपत्र द्वारा वाद प्रारम्भ होगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ४ : वादों का संस्थित किया जाना : नियम १ : वादपत्र द्वारा वाद प्रारम्भ होगा : १) हर वाद न्यायालय को या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी अधिकारी को १.(दो प्रतियों में वादपत्र उपस्थित करके) संस्थित किया जाएगा । २) हर… more »
आदेश ३ नियम ६ : अभिकर्ता तामील का प्रतिग्रहण करेगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : नियम ६ : अभिकर्ता तामील का प्रतिग्रहण करेगा : १) नियम २ में वर्णित मान्यताप्राप्त अभिकर्ताओं के अतिरिक्त ऐसा कोई व्यक्ति जो न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है, आदेशिका की तामील का प्रतिग्रहण करने के लिए… more »
आदेश ३ नियम ५ : प्लीडर पर आदेशिका की तामील :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : नियम ५ : प्लीडर पर आदेशिका की तामील : १.( किसी आदेशिका के बारे में, जिसकी तामील ऐसे प्लीडर पर कर दी गई है जिसे किसी पक्षकार की ओर से न्यायालय में कार्य करने के लिए सम्यक् रुप से नियुक्त किया गया है) या जो ऐसे प्लीडर… more »
आदेश ३ नियम ४ : प्लीडर की नियुक्ति :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : नियम ४ : १.( प्लीडर की नियुक्ति : १) कोई भी प्लीडर किसी भी न्यायालय में किसी भी व्यक्ति के लिए कार्य नहीं करेगा जब तक कि वह उस व्यक्ति द्वारा ऐसी लिखित दस्तावेज द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त न किया गया हो जो उस… more »
आदेश ३ नियम ३ : मान्यताप्राप्त अभिकर्ता पर आदेशिका ..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : नियम ३ : मान्यताप्राप्त अभिकर्ता पर आदेशिका की तामील : १) जब तक न्यायालय अन्यथा निदिष्ट नहीं करता, किसी पक्षकार के मान्यताप्राप्त अभिकर्ता पर तामील की गई आदेशिकाएं वैसे ही प्रभावी होंगी मानो उनकी तामील स्वयं पक्षकार… more »
आदेश ३ नियम २ : मान्यताप्राप्त अभिकर्ता :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : नियम २ : मान्यताप्राप्त अभिकर्ता : पक्षकारों के जिन मान्यताप्राप्त अभिकर्ताओं द्वारा ऐसी उपसंजातियां, आवेदन और कार्य किए जा सकेंगे वे निम्नलिखित है :- क) ऐसे मुख्तारनामे धारित करने वाले व्यक्ति जिनमें उन्हें ऐसे… more »
आदेश ३ नियम १ : उपसंजातियां, आदि स्वयं या मान्यताप्राप्त..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ३ : मान्यताप्राप्त अभिकर्ता और प्लीडर : नियम १ : उपसंजातियां, आदि स्वयं या मान्यताप्राप्त अभिकर्ता द्वारा या प्लीडर द्वारा की जा सकेंगी : किसी भी न्यायालय में या उससे कोई भी ऐसी उपसंजाति, आवेदन या कार्य, जिसे ऐसे… more »
आदेश २ नियम ७ : कुसंयोजन के बारे में आक्षेप :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ७ : कुसंयोजन के बारे में आक्षेप : वाद-हेतुकों के कुसंयोजन के आधार पर सभी आक्षेप यथासंभव शीघ्रतम अवसर पर किए जाएंगे और ऐसे सभी मामलों में जिनमें विवाद्यक स्थिर किए जाते हैं, ऐसे स्थिरीकरण के समय या उससे पहले किए… more »
आदेश २ नियम ६ : पृथक् विचारण का आदेश देने की न्यायालय..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ६ : १.( पृथक् विचारण का आदेश देने की न्यायालय की शक्ति : जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि एक ही वाद में वाद-हेतुकों के संयोजन से विचारण में उलझन या विलम्ब हो जाएगा या ऐसा करना अन्यथा असुविधाजनक होगा वहां… more »
आदेश २ नियम ५ : निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ५ : निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या उसके विरुद्ध दावे : किसी निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या उसके विरुद्ध उसका उस हैसियत में लाया गया कोई भी दावा वैयक्तिक रुप से उसके द्वारा या उसके विरुद्ध लाए गए उन… more »
आदेश २ नियम ४ : स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ४ : स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए केवल कुछ दावों का संयोजित किया जाना : जब तक कि न्यायालय की इजाजत न हो स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए वाद में निम्नलिखित के सिवाय कोई भी वाद-हेतुक संयोजित नहीं… more »
आदेश २ नियम ३ : वाद-हेतुकों का संयोजन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ३ : वाद-हेतुकों का संयोजन : १) उसके सिवाय जैसा अन्यथा उपबन्धित है, वादी उसी प्रतिवादी या संयुक्तत: उन्हीं प्रतिवादियों के विरुद्ध कई वाद-हेतुक एक हीं वाद में संयोजित कर सकेगा और एसे वाद-हेतुक रुखने वाले कोई भी… more »
आदेश २ नियम २ : वाद के अन्तर्गत संपूर्ण दावा होगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम २ : वाद के अन्तर्गत संपूर्ण दावा होगा : १) हर वाद के अन्तर्गत वह पूरा दावा होगा जिसे उस वाद-हेतुक के विषय में करने का वादी हकदार है, किन्तु वादी वाद को किसी न्यायालय की अधिकारिता के भीतर लाने की दृष्टि से अपने… more »
आदेश २ नियम १ : वाद की विरचना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : वाद की विरचना : नियम १ : वाद की विरचना : हर वाद की विरचना यावत्साध्य ऐसे की जाएगी कि विवादग्रस्त विषयों पर अंतिम विनिश्चय करने के लिए आधार प्राप्त हो जाए और उनसे सम्पृक्त अतिरिक्त मुकदमेबाजी का भी निवारण हो जाए ।… more »
आदेश १ नियम १३ : असंयोजन या कुसंयोजन के बारे में ..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १३ : असंयोजन या कुसंयोजन के बारे में आक्षेप : पक्षकारों के असंयोजन या कुसंयोजन के आधार पर सभी आक्षेप यथासंभव शीघ्रतम अवसर पर किए जाएंगे और ऐसे सभी मामलों में जिनमें विवाद्य स्थित किए जाते है, ऐसे स्थिरीकरण के समय या उससे… more »
आदेश १ नियम १२ : कई वादियों या प्रतिवादियों में से एक..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १२ : कई वादियों या प्रतिवादियों में से एक का अन्यों के लिए उपसंजात होना : १) जहां एक से अधिक वादी है वहां उनमें से किसी एक या अधिक को उनमें कोई अन्य वादी किसी भी कार्यवाही में उस अन्य के लिए उपसंजात होने, अभिवचन करने या… more »
आदेश १ नियम ११ : वाद का संचालन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ११ : वाद का संचालन : न्यायालय १.(किसी वाद) का संचालन ऐसे व्यक्ति को सौंप सकेगा जिसे वह ठीक समझे । -------- १. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) वाद के स्थान पर प्रतिस्थोपित । INSTALL Android APP… more »
आदेश १ नियम १०-क : न्यायालय की उसको संबोधित करने के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १०-क : १.(न्यायालय की उसको संबोधित करने के लिए किसी प्लीडर से अनुरोध करने की शक्ति : यदि किसी वाद या कार्यवाही में विवाद्य विषय पर न्यायालय के विनिश्चय का किसी हित पर प्रभाव पडना संभव है और उस पक्षकार का जो ऐसा हित रखता… more »
आदेश १ नियम १० : गलत वादी के नाम से वाद :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १० : गलत वादी के नाम से वाद : १) जहां कोई वाद वादी के रुप में गलत व्यक्ति के नाम से संस्थित किया गया है, या जहां यह संदेहपूर्ण है कि वह सही वादी के नाम में संस्थित किया गया है वहां यदि वाद के किसी भी प्रक्रम में न्यायालय… more »
आदेश १ नियम ९ : कुसंयोजन और असंयोजन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ९ : कुसंयोजन और असंयोजन : कोई भी वाद पक्षकारों के कुसंयोजन या असंयोजन के कारण विफल नहीं होगा और न्यायालय हर वाद में विवादग्रस्त विषय का निपटारा वहां तक कर सकेगा जहां तक उन पक्षकारों के, जो उसके वस्तुत: समक्ष है, अधिकारों… more »
आदेश १ नियम ८-क : न्यायालय की कार्यवाही में राय देने या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ८-क : १.(न्यायालय की कार्यवाही में राय देने या भाग लेने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को अनुज्ञात करने की शक्ति : यदि वाद का विचारण करते समय न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का… more »
आदेश १ नियम ८ : एक ही हित में सभी व्यक्तियों की ओर..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ८ : १.( एक ही हित में सभी व्यक्तियों की ओर से एक व्यक्ति वाद ला सकेगा या प्रतिरक्षा कर सकेगा : १) जहां एक ही वाद में एक ही हित रखने वाले बहुत से व्यक्ति है वहां,- क) इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों की ओर से या उनके… more »
आदेश १ नियम ७ : जब वादी को संदेह है कि किससे प्रतितोष..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ७ : जब वादी को संदेह है कि किससे प्रतितोष चाहा गया है : जहां वादी को इस बारे में संदेह है कि वह व्यक्ति कौन है, जिससे प्रतितोष अभिप्राप्त करने का वह हकदार है वहां वह दो या अधिक प्रतिवादियों को इसलिए संयोजित कर सकेगा कि… more »