Archives for: "April 2019"
आदेश ९ नियम १४ : कोई भी डिक्री विरोधी पक्षकार को सूचना..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम १४ : कोई भी डिक्री विरोधी पक्षकार को सूचना के बिना अपास्त नहीं की जाएगी : कोई भी डिक्री पूर्वोक्त जैसे किसी भी आवेदन पर तब तक अपास्त नहीं की जाएगी जब तक कि उसकी सूचना की तामील विरोधी पक्षकार पर न कर दी गई हो ।… more »
आदेश ९ नियम १३ : प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : एकपक्षीय डिक्रियों को अपास्त करना : नियम १३ : प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करना : किसी ऐसे मामले में जिसमें डिक्री किसी प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय पारित की गई है, वह प्रतिवादी उसे अपास्त करने के… more »
आदेश ९ नियम १२ : स्वयं उपसंजात होने के लिए आदिष्ट..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम १२ : स्वयं उपसंजात होने के लिए आदिष्ट पक्षकार के पर्याप्त हेतुक दर्शित किए बिना गैरहाजिर रहने का परिणाम : जहां कोई वादी प्रतिवादी, जिसे स्वयं उपसंजात होने के लिए आदेश किया गया है, स्वयं उपसंजात नहीं होता है या… more »
आदेश ९ नियम ११ : कई प्रतिवादियों में से एक या अधिक..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ११ : कई प्रतिवादियों में से एक या अधिक की गैरहाजिरी की दशा में प्रक्रिया : जहां एक से अधिक प्रतिवादी है और उनमें से एक या अधिक उपसंजात होते है और अन्य उपसंजात नहंीं होते है वहां वाद आगे चलेगा और न्यायालय निर्णय… more »
आदेश ९ नियम १० : कई वादियों .. गैरहाजिरी की दशा में प्रक्रिया :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम १० : कई वादियों में से एक या अधिक की गैरहाजिरी की दशा में प्रक्रिया : जहां एक से अधिक वादी है और उनमें से एक या अधिक उपसंजात होते है और अन्य उपसंजात नहीं होते है वहां न्यायालय उपसंजात होने वाले वादी या वादियों… more »
आदेश ९ नियम ९ : व्यतिक्रम के कारण वादी के विरुद्ध पारित..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ९ : व्यतिक्रम के कारण वादी के विरुद्ध पारित डिक्री नए वाद का वर्जन करती है : १) जहां वाद नियम ८ के अधीन पूर्णत: या भागत: खारिज कर दिया जाता है वहां वादी उसी वाद हेतुक के लिए नया वाद लाने से प्रवारित हो जाएगा ।… more »
आदेश ९ नियम ८ : जहां केवल प्रतिवादी उपसंजात होता है..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ८ : जहां केवल प्रतिवादी उपसंजात होता है वहां प्रकिया : जहां वाद की सुनवाई के लिए पुकार होने पर प्रतिवादी उपसंजात होता है और वादी उपसंजात नहीं होता है वहां न्यायालय यह आदेश करेगा कि वाद को खारिज किया जाए । किन्तु… more »
आदेश ९ नियम ७ : जहां प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ७ : जहां प्रतिवादी स्थगित सुनवाई के दिन उपसंजात होता है और पूर्व अनुपसंजाति के लिए अच्छा हेतुक दिखाता है वहां प्रक्रिया : जहां न्यायालय ने एकपक्षीय रुप से वाद की सुनवाई स्थगित कर दी है और प्रतिवादी ऐसी सुनवाई के… more »
आदेश ९ नियम ६ : जब केवल वादी उपसंजात होता है तब..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ६ : जब केवल वादी उपसंजात होता है तब प्रक्रिया : १) जहां वादी की सुनवाई के लिए पुकार होने पर वादी उपसंजात होता है और प्रतिवादी उपसंजात होता है और प्रतिवादी उपसंजात नहीं होता है वहां - १.(क) जब समन की तामील सम्यक्… more »
आदेश ९ नियम ५ : जहां वादी, समन तामील के बिना लौटाने के..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ५ : जहां वादी, समन तामील के बिना लौटाने के पश्चात् एक मास तक नए समन के लिए आवेदन करने में असफल रहता है वहां वाद का खारिज किया जाना : १.(१) जहां समन प्रतिवादी या कई प्रतिवादियों में से एक के नाम निकाले जाने और… more »
आदेश ९ नियम ४ : वादी नया वाद ला सकेगा या न्यायालय वाद..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ४ : वादी नया वाद ला सकेगा या न्यायालय वाद को फाइल पर प्रत्यावर्तित कर सकेगा : जहां वाद नियम २ या नियम ३ के अधीन खारिज कर दिया जाता है वहां वादी नया (परिसीमा विधि के अधीन रहते हुए) ला सकेगा या वह उस खारिजी को… more »
आदेश ९ नियम ३ : जहां दोनों में से कोई भी पक्षकार..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम ३ : जहां दोनों में से कोई भी पक्षकार उपसंजात नहीं होता है वहां वाद का खारिज किया जाना : जहां वाद की सुनवाई के लिए पुकार होने कपर दोनों में से कोई भी पक्षकार उपसंजात नहंीं होता है वहां न्यायालय यह आदेश दे सकेगा… more »
आदेश ९ नियम २ : जहां समनों की तामील, खर्चे देने में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : नियम २ : १.(जहां समनों की तामील, खर्चे देने में वादी के असफल रहने के परिणामस्वरुप नहीं हुई है वहां वाद का खारिज किया जाना : जहां ऐसे नियत दिन को यह पाया जाए कि प्रतिवादी पर समन की तामील इसलिए नहंीं हुई है कि न्यायालय… more »
आदेश ९ नियम १ : पक्षकार उस दिन उपसंजात होंगे जो..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ९ : पक्षकारों की उपसंजाति और उनकी अनुपसंजाति का परिणाम : नियम १ : पक्षकार उस दिन उपसंजात होंगे जो प्रतिवादी के उपसंजात होने और उत्तर देने के लिए समन में नियत है : जो दिन प्रतिवादी के उपसंजात होने और उत्तर देने के लिए समन… more »
आदेश ८ नियम १० : जब न्यायालय द्वारा अपेक्षित लिखित..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम १० : १.(जब न्यायालय द्वारा अपेक्षित लिखित कथन को उपस्थित करने में पक्षकार असफल रहता है तब प्रक्रिया : जहां ऐसा कोई पक्षकार, जिससे नियम १ या नियम ९ के अधीन लिखित कथन अपेक्षित है, उसे, न्यायालय द्वारा, यथास्थिति,… more »
आदेश ८ नियम ९ : पश्चात्वर्ती अभिवचन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ९ : पश्चात्वर्ती अभिवचन : प्रतिवादी के लिखित कथन के पश्चात् कथन के पश्चात् कोई भी अभिवचन, जो मुजरा के या प्रतिदावे के विरुद्ध प्रतिरक्षा से भिन्न हो, न्यायालय की इजाजत से ही और ऐसे निबंधनों पर, जो न्यायालय ठीक… more »
आदेश ८ नियम ८-क : प्रतिवादी का उन दस्तावेजों को पेश..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ८-क : प्रतिवादी का उन दस्तावेजों को पेश करने का कर्तव्य जिनके आधार पर उनसे अनुतोष का दावा किया है : १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा १८ द्वारा (१-७-२००२ से ) लोप किया गया । INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस… more »
आदेश ८ नियम ८ : प्रतिरक्षा का नया आधार :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ८ : प्रतिरक्षा का नया आधार : प्रतिरक्षा का कोई भी ऐसा आधार जो वाद के संस्थित किए जाने के या मुजरा का दावा करने वाले लिखित कथन १.(या प्रतिदावे के) के उपस्थित किए जाने के पश्चात् पैदा हुआ है, यथास्थिति, प्रतिवादी… more »
आदेश ८ नियम ७ : पृथक् आधारों पर आधारित प्रतिरक्षा या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ७ : पृथक् आधारों पर आधारित प्रतिरक्षा या मुजरा : जहां प्रतिवादी पृथक् और सुभिन्न तथ्यों पर आधारित प्रतिरक्षा के या मुजरा के १.(या प्रतिदावे के) कई सुभिन्न आधारों पर निर्भर करता है वहां उनका कथन जहां तक हो सके,… more »
आदेश ८ नियम ६-छ : लिखित कथन संबंधी नियमों का लागू..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-छ : १.( लिखित कथन संबंधी नियमों का लागू होना : प्रतिवादी द्वार दिए गए लिखित कथन से सम्बन्धित नियम प्रतिदावे के उत्तर में फाइल किए गए लिखित कथन को भी लागू होंगे ।) -------- १. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५८… more »
आदेश ८ नियम ६-च : जहां प्रतिदावा सफल होता है वहां..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-च : १.(जहां प्रतिदावा सफल होता है वहां प्रतिवादी को अनुतोष : जहां किसी वाद में वादी के दावे के विरुद्ध प्रतिरक्षा के रुप में मुजरा या प्रतिदावा सिद्ध कर दिया जात है और कोई ऐसा अतिशेष पाया जाता है जो,… more »
आदेश ८ नियम ६-ङ : प्रतिदावे का उत्तर देने में वादी..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ङ : १.(प्रतिदावे का उत्तर देने में वादी द्वारा व्यतिक्रम : यदि वादी प्रतिवादी द्वार किए गए प्रतिदावे का उत्तर प्रस्तुत करने में व्यतिक्रम करता है तो न्यायालय वादी के विरुद्ध उस प्रतिदावे के सम्बन्ध में जो उसके… more »
आदेश ८ नियम ६-घ : वाद के बन्द कर दिए जाने का..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-घ : १.(वाद के बन्द कर दिए जाने का प्रभाव : यदि किसी ऐसे मामले में जिसमें प्रतिवादी कोई प्रतिदावा उठाता है, वादी का वाद रोक दिया जाता है, बन्द या खारिज कर दिया जाता है तो ऐसा होने पर भी प्रतिदावे पर कार्यवाही… more »
आदेश ८ नियम ६-ग : प्रतिदावे का अपवर्जन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ग : १.(प्रतिदावे का अपवर्जन : जहां प्रतिवादी कोई प्रतिदावा उठाता है और वादी यह दलील देताहै कि उसके द्वारा उठाए गए दावे का निपटारा प्रतिदावे के रुप में नहीं वरन् स्वतंत्र वाद में किया जाना चाहिए, वहां वादी… more »
आदेश ८ नियम ६-ख : प्रतिदावे का कथन किया जाना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-ख : १.(प्रतिदावे का कथन किया जाना : जहां कोई प्रतिवादी, प्रतिदावे के अधिकार का समर्थन करने वाले किसी आधार पर निर्भर करता है वहां वह अपने लिखित कथन में यह विनिर्दिष्टत: कथन करेगा कि वह ऐसा प्रतिदावे के रुप में… more »
आदेश ८ नियम ६-क : प्रतिवादी द्वारा प्रतिदावा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६-क : १.(प्रतिवादी द्वारा प्रतिदावा : १) वाद में प्रतिवादी नियम ६ के अधीन मुजरा के अभिवचन के अपने अधिकार के अतिरिक्त वादी के दावे के विरुद्ध प्रतिदावे के रुप में किसी ऐसे अधिकार या दावे को, जो वादी के विरुद्ध… more »
आदेश ८ नियम ६ : मुजरा की विशिष्टियां लिखित कथन में..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ६ : मुजरा की विशिष्टियां लिखित कथन में दी जाएंगी : १) जहां तक धन की वसूली के वाद में प्रतिवादी न्यायालय की अधिकारिता की धन-संबंधी सीमाओं से अनधिक धन की कोई अभिनिश्चित राशि जो वह वादी से वैध रुप से वसूल कर सकता… more »
आदेश ८ नियम ५ : विनिर्दिष्टत: प्रत्याख्यान :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ५ : विनिर्दिष्टत: प्रत्याख्यान : १.(१) यदि वादपत्र में के तथ्य संबंधी हर अभिकथन का विनिर्दिष्टत: यह आवश्यक विवक्षा से प्रत्याख्यान नहीं किया जाता है या प्रतिवादी के अभिवचन में यह कथन कि वह स्वीकार नहीं किया जाता… more »
आदेश ८ नियम ४ : वाग्छलपूर्ण प्रत्याख्यान :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ४ : वाग्छलपूर्ण प्रत्याख्यान : जहां प्रतिवादी वाद में के किसी तथ्ये के अभिकथन का प्रत्याख्यान करता है वहां उसे वैसा वाग्छलपूर्ण तौर पर नहीं करना चाहिए, वरन् सार की बात का उत्तर देना चाहिए । उदाहरणार्थ, यदि यह… more »
आदेश ८ नियम ३-क : उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ३-क : १.(उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग का वाणिज्यिक न्यायालय के समक्ष वादों में प्रतिवादी द्वारा प्रत्याख्यान : १) इस नियम के उपनियम (२), उपनियम (३), उपनियम (४) और उपनियम (५) में उपबंधित रीति से प्रत्याख्यान… more »
आदेश ८ नियम ३ : प्रत्याख्यान विनिर्दिष्टत: होगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम ३ : प्रत्याख्यान विनिर्दिष्टत: होगा : प्रतिवादी के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा कि वह अपने लिखित कथन में उन आधारों का साधारणत: प्रत्याख्यान कर दे जो वादी द्वारा अभिकथित है, किन्तु प्रतिवादी के लिए यह आवश्यक है कि… more »
आदेश ८ नियम २ : नए तथ्यों का विशेष रुप से अभिवचन करना..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम २ : नए तथ्यों का विशेष रुप से अभिवचन करना होगा : प्रतिवादी को अपने अभिवचन द्वारा वे सब बातें उठानी होंगी जिनसे यह दर्शित होता है कि वाद या विधि की दृष्टि से वह संव्यवहार शून्य है या शून्यकरणीय है और प्रतिरक्षा… more »
आदेश ८ नियम १-क : प्रतिवादी को वे दस्तावेज पेश करने..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : नियम १-क : १.(प्रतिवादी को वे दस्तावेज पेश करने का कर्तव्य जिन पर उसके द्वारा अनुतोष का दावा किया गया है या निर्भर किया गया है : १) जहां प्रतिवादी अपनी प्रतिरक्षा का आधार किसी ऐसे दस्तावेज को बनाता है या मुजरा या… more »
आदेश ८ नियम १ : लिखित कथन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश ८ : १.(लिखित कथन, मुजरा और प्रतिदावा): नियम १ : २.(लिखित कथन : प्रतिवादी, उस पर समन तामील किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर, अपनी प्रतिरक्षा का लिखित कथन प्रस्तुत करेगा :) ३.(परन्तु जहां प्रतिवादी तीस दिन की उक्त अवधि… more »