Archives for: "May 2020"
धारा ४१ : रजिस्ट्रीकरण कैसे होना है :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ४१ : रजिस्ट्रीकरण कैसे होना है : १) मोटर यान के स्वामी द्वारा या उसकी और से रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन ऐसे प्ररूप में होगा और उसके साथ ऐसी द्स्तावेजें, विशिष्टियां और जानकारी दी हुई होंगी और वह ऐसी अवधि के भीतर किया जाएगा जो… more »
धारा ४० : रजिस्ट्रीकरण कहां किया जाना है :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ४० : रजिस्ट्रीकरण कहां किया जाना है : धारा ४२, धारा ४३ और धारा ६० के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक मोटर यान का स्वामी यान को उस १.(राज्य में कोई रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी) प्राधिकारी से रजिस्टर करवाएगा जिसकी अधिकारिता में… more »
धारा ३९ : रजिस्ट्रीकरण की आवश्यकता :
मोटर यान अधिनियम १९८८ अध्याय ४ : मोटर यानों का रजिस्ट्रीकरण : धारा ३९ : रजिस्ट्रीकरण की आवश्यकता : किसी सार्वजनिक स्थान में अथवा किसी अन्य स्थान में किसी मोटर यान को कोई व्यक्ति तभी चलाएगा और कोई मोटर यान का स्वामी तभी चलवाएगा या चलाने की अनुज्ञा देगा… more »
धारा ३८ : राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३८ : राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति : १) राज्य सरकार इस अध्याय के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी । २) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए… more »
धारा ३७ : व्यावृत्तियां :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३७ : व्यावृत्तियां : यदि मंजिली गाडी के (चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो ) कंडक्टर के रूप में कार्य करने के लिए कोई अनुज्ञप्ति किसी राज्य में दी जाती है और वह इस अधिनियम के प्रारंभ से तुरंत पूर्व प्रभावी है, तो ऐसे प्रारंभ के… more »
धारा ३६ : अध्याय २ के कुछ उपबंधों का कंडक्टर अनुज्ञप्ति..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३६ : अध्याय २ के कुछ उपबंधों का कंडक्टर अनुज्ञप्ति को लागू होना : धारा ६ की उपधारा (२), धारा १४, धारा १५ और धारा २३, धारा २४ की उपधारा (१), और धारा २५ के उपबंध कंडक्टर अनुज्ञप्ति के संबंध में यथासंभव वैसे ही लागू होंगे जैसे वे… more »
धारा ३५ : न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३५ : न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति : १) जब कंडक्टर अनुज्ञप्ति को धारण करने वाला कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए दोषसिध्द किया गया है, तब वह न्यायालय, जिसने उसे दोषसिध्द किया है, विधि द्वारा प्राधिकृत कोई… more »
धारा ३४ : अनुज्ञापन प्राधिकारी की निरर्हित करने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३४ : अनुज्ञापन प्राधिकारी की निरर्हित करने की शक्ति : १)यदि किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी की यह राय है कि कंडक्टर के रूप में किसी कंडक्टर अनुज्ञप्ति के धारक के पूर्वाचरण के कारण यह आवश्यक है कि उसे कंडक्टर अनुज्ञप्ति धारण करने… more »
धारा ३३ : कंडक्टर अनुज्ञप्तियों से इंकार आदि करने वाले..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३३ : कंडक्टर अनुज्ञप्तियों से इंकार आदि करने वाले आदेश तथा उनसे अपीलें : १) जब अनुज्ञापन प्राधिकारी कंडक्टर अनुज्ञप्ति देने से या उसका नवीकरण करने से इंकार करता है या उसे प्रतिसंहृत करता है तब वह आदेश द्वारा ऐसा करेगा जिसकी… more »
धारा ३२ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति का रोग या नि:शक्तता के आधारों..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३२ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति का रोग या नि:शक्तता के आधारों पर प्रतिसंहरण : यदि किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार हैं कि किसी कंडक्टर अनुज्ञप्ति का धारक किसी ऐसे रोग या नि:शक्तता से ग्रस्त है जिससे… more »
धारा ३१ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति के दिए जाने के लिए निर..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३१ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति के दिए जाने के लिए निरर्हताएं : १) कोई भी व्यक्ति, जो अठारह वर्ष से कमम आयु का है, न तो कंडक्टर अनुज्ञप्ति धारण करेगा और न वह उसे दी जाएगी । २)अनुज्ञापन प्राधिकारी कंडक्टर अनुज्ञप्ति देने से इंकार कर… more »
धारा ३० : कंडक्टर अनुज्ञप्ति का दिया जाना :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ३० : कंडक्टर अनुज्ञप्ति का दिया जाना : १) कोई व्यक्ति, जिसके पास ऐसी न्युनतम शैक्षिक अर्हताएं हैं जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाएं और जो धारा ३१ की उपधारा (१) के अधीन निरर्हित नहीं है और जो उस समय कंडक्टर अनुज्ञप्ति धारण या… more »
धारा २९ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति की आवश्यकता :
मोटर यान अधिनियम १९८८ अध्याय ३ : मंजिली गाडियों के कंडक्टरों का अनुज्ञापन : धारा २९ : कंडक्टर अनुज्ञप्ति की आवश्यकता : १)कोई व्यक्ति किसी मंजिली गाडी के कंडक्टर के रूप में तभी कार्य करेगा जब उसके पास ऐसी प्रभावी कंडक्टर अनुज्ञप्ति है जो ऐसे कंडक्टर के… more »
धारा २८ : राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २८ : राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति : १)राज्य सरकार धारा २७ में विनिर्दिष्ट विषयों से भिन्न इस अध्याय के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी । २)पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले… more »
धारा २७ : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २७ : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति : केन्द्रीय सरकार, निम्नलिखित की बाबत नियम बना सकेगी - १.(क) धारा २क की उपधारा (२) के अधीन ई-गाडी और ई-रिक्शा से संबंधित विनिर्देश ;) २.(कक) धारा ३ की उपधारा (२) में निर्दिष्ट शर्तें… more »
धारा २६ : राज्य चालन-अनुज्ञप्ति रजिस्टरों का रखा जाना :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २६ : १.(राज्य चालन-अनुज्ञप्ति रजिस्टरों का रखा जाना : प्रत्येक राज्य सरकार ऐसे प्ररुप में, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए, राज्य सरकार के अनुज्ञप्ति प्राधिकारियों द्वारा जारी और नवीकृत चालन-अनुज्ञप्तियों के संबंध में… more »
धारा २५क : १.(चालन अनुज्ञप्तियों का राष्ट्रीय रजिस्टर :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २५क : १.(चालन अनुज्ञप्तियों का राष्ट्रीय रजिस्टर : १) केंद्रीय सरकार चालन अनुज्ञप्तियों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर ऐसे प्ररुप और रीति में रखेगी जैसा विहित किया जाए । २) चालन अनुज्ञप्तियों के सभी राज्य रजिस्टरों को चालन… more »
धारा २५ : पृष्ठांकन का उतारा जाना और पृष्ठांकन रहित..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २५ : पृष्ठांकन का उतारा जाना और पृष्ठांकन रहित चालन- अनुज्ञप्ति का दिया जाना : १) किसी चालन-अनुज्ञप्ति पर किए गए पृष्ठांकन को उसके धारक द्वारा अभिप्राप्त चालन-अनुज्ञप्ति की किसी नई या दूसरी प्रति पर तब तक उतारा जाएगा जब तक कि… more »
धारा २४ : पृष्ठांकन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २४ : पृष्ठांकन : १) वह न्यायालय या प्राधिकारी, जिसने निरर्हता का आदेश दिया है, निरर्हता के आदेश की तथा उस अपराध के लिए दोषसिध्दि की, जिसके संबंध में निरर्हता का आदेश दिया गया है, विशिष्टियां उस चालन-अनउज्ञप्ति पर, यदि कोई हो,… more »
धारा २३ : निरर्हता आदेश का प्रभाव :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २३ : निरर्हता आदेश का प्रभाव : १)ऐसी व्यक्ति, जिसकी बाबत धारा १९ या धारा २० के अधीन कोई निरर्हता आदेश दिया गया है, उस सीमा तक और उतनी अवधि के लिए, जो उस आदेश में विनिर्दिष्ट हो, चालन-अनुज्ञप्ति धारण करने या अभिप्राप्त करने से… more »
धारा २२ : दोषसिध्दि पर चालन- अनुज्ञप्ति का निलंबन..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २२ : दोषसिध्दि पर चालन- अनुज्ञप्ति का निलंबन या रद्दकरण : १) धारा २० की उपधारा (३) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जहां धारा २१ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति, किसी वर्ग या वर्णन के मोटर यान को ऐसे खतरनाक रूप… more »
धारा २१ : कुछ मामलों में चालन-अनुज्ञप्ति का निलंबन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २१ : कुछ मामलों में चालन-अनुज्ञप्ति का निलंबन : १) जहां किसी ऐसे व्यक्ति के संबंध में, जो धारा १८४ के अधीन दंडनीय किसी अपराध के लिए पहले दोषसिध्द किया जा चुका है, किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस अभिकथन पर कोई मामला रजिस्टर किया… more »
धारा २० : न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २० : न्यायालय की निरर्हित करने की शक्ति : १)जब कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए या ऐसे अपराध के लिए, जिसके करने में मोटर यान का उपयोग किया गया था, दोषसिध्द किया गया है तब वह न्यायालय, जिसने उसे दोषसिध्द किया… more »
धारा १९ : अनुज्ञापन प्राधिकारी की, चालन-अनुज्ञप्ति धारण..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १९ : अनुज्ञापन प्राधिकारी की, चालन-अनुज्ञप्ति धारण करने से निरर्हित करने या उसे प्रतिसंहृत करने की शक्ति : १)यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी का, चालन-अनुज्ञप्ति के धारक को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् यह समाधान हो जाता है कि वह -… more »
धारा १८ : केन्द्रीय सरकार के मोटर यानों को चलाने के लिए..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १८ : केन्द्रीय सरकार के मोटर यानों को चलाने के लिए चालन-अनुज्ञप्ति : १) ऐसा प्राधिकारी, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाए, ऐसे व्यक्तियों को, जिन्होंने अठारह वर्ष की आयु पूरी कर ली है, ऐसे मोटर यान चलाने के लिए जो… more »
धारा १७ : चालन- अनुज्ञाप्तियां देने से इंकार करने या ..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १७ : चालन- अनुज्ञाप्तियां देने से इंकार करने या उनके प्रतिसंहरण के आदेश तथा उनसे अपील : १)जब अनुज्ञापन प्राधिकारी शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति देने या चालन-अनुज्ञप्ति देने से या उसका नवीकरण करने से इंकार करता है या उसका प्रतिसंहरण… more »
धारा १६ : रोग या नि:शक्तता के आधार पर चालन-अनुज्ञप्ति..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १६ : रोग या नि:शक्तता के आधार पर चालन-अनुज्ञप्ति का प्रतिसंहरण : पूर्वगामी धाराओं में किसी बात के होते हुए भी, यदि किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी के पास यह विश्वास करने के समुचित आधार हैं कि किसी चालन-अनुज्ञप्ति का कोई धारक किसी… more »
धारा १५ : चालन-अनुज्ञप्तियों का नवीकरण :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १५ : चालन-अनुज्ञप्तियों का नवीकरण : १)कोई भी अनुज्ञापन प्राधिकारी उसे आवेदन किए जाने पर किसी चालन अनुज्ञप्ति को, जो इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन दी गई हो, उसकी समाप्ति की तारीख से नवीकृत कर सकेगा : परन्तु ऐसी दशा में, जिसमें… more »
धारा १४ : मोटर यानों को चलाने की अनुज्ञप्तियों का चालू..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १४ : मोटर यानों को चलाने की अनुज्ञप्तियों का चालू रहना : १)इस अधिनियम के अधीन दी गई शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति, इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, अनुज्ञप्ति दिए जाने की तारीख से छह मास की अवधि तक प्रभावी रहेगी । २)इस… more »
धारा १३ : मोटर यानों को चलाने की अनुज्ञप्तियों के प्रभावी..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १३ : मोटर यानों को चलाने की अनुज्ञप्तियों के प्रभावी होने का विस्तार : इस अधिनियम के अधीन दी गई शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति या चालन अनुज्ञप्ति संपूर्ण भारत में प्रभावी होगी । #Motor Vehicles Act 1988 Hindi section 13 #MVActHindi… more »
धारा १२ : मोटर यानों के चलाने की शिक्षा देने के लिए..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १२ : मोटर यानों के चलाने की शिक्षा देने के लिए विद्यालयों या स्थापनों का अनुज्ञापन और विनियमन : १) केन्द्रीय सरकार, मोटर यानों के चलाने और उससे संबंधित विषयों में शिक्षा देने के लिए विद्यालयों या स्थापनों के (चाहे वे किसी भी… more »
धारा ११ : चालन-अनुज्ञप्ति में परिवर्धन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ११ : चालन-अनुज्ञप्ति में परिवर्धन : १) किसी वर्ग या वर्णन के मोटर यानों को चलाने की चालन-अनुज्ञप्ति धारण करने वाला कोई व्यक्ति, जो किसी अन्य वर्ग या वर्णन के मोटर यानों को चलाने के लिए चालन-अनुज्ञप्ति को धारण या अभिप्राप्त… more »
धारा १० : चालन-अनुज्ञप्ति का प्ररूप और अंतर्वस्तु :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १० : चालन-अनुज्ञप्ति का प्ररूप और अंतर्वस्तु : १) धारा १८ के अधीन दी गर्स चालन- अनुज्ञप्ति के सिवाय प्रत्येक शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति और चालन-अनुज्ञप्ति ऐसे प्ररूप में होगी और उसमें ऐसी जानकारी अन्तर्विष्ट होगी, जो केन्द्रीय… more »
धारा ९ : चालन-अनुज्ञप्ति का दिया जाना :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ९ : चालन-अनुज्ञप्ति का दिया जाना : १)कोई व्यक्ति, जो उस समय चालन-अनुज्ञप्ति धारण करने या अभिप्राप्त करने के लिए निरर्हित नहीं है, उसको चालन-अनुज्ञप्ति दिए जाने के लिए १.(राज्य में किसी अनुज्ञापन प्राधिकारी को आवेदन कर सकेगा) -… more »
धारा ८ : शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति का दिया जाना :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ८ : शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति का दिया जाना : १) कोई व्यक्ति, जो धारा ४ के अधीन मोटर यान चलाने के लिए निरर्हित नहीं है और जो उस समय चालन अनुज्ञप्ति धारण करने या अभिप्राप्त करने के लिए निरर्हित नहीं है, धारा ७ के उपबंधों के अधीन… more »
धारा ७ : कुछ यानों के लिए शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति के दिए..
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ७ : कुछ यानों के लिए शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति के दिए जाने पर निर्बंधन : १.(१) किसी भी व्यक्ति को परिवहन यान चलाने के लिए शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि उसके हल्का मोटर यान चलाने के लिए कम से कम एक वर्ष तक चालन… more »
धारा ६ : चालन- अनुज्ञप्तियां धारण करने पर निर्बंधन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ६ : चालन- अनुज्ञप्तियां धारण करने पर निर्बंधन : १) कोई भी व्यक्ति उस समय के दौरान, जब वह तत्समय प्रवृत्त कोई चालन-अनुज्ञप्ति धारण करता है, शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति या धारा १८ के उपबंधों के अनुसार दी गई चालन अनुज्ञप्ति के सिवाय या… more »
धारा ५ : .. मोटर यानों के स्वामियों का उत्तरदायित्व :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ५ : धारा ३ और धारा ४ के उल्लंघन के लिए मोटर यानों के स्वामियों का उत्तरदायित्व : मोटर यान का कोई भी स्वामी या भारसाधक व्यक्ति ऐसे किसी व्यक्ति से, जो धारा ३ या धारा ४ के उपबंधों की पूर्ति नहीं करता है, न तो यान चलवाएगा न उसे… more »
धारा ४ : मोटर यान चलाने के संबंध में आयु सीमा :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा ४ : मोटर यान चलाने के संबंध में आयु सीमा : १) कोई भी व्यक्ति, जो अठारह वर्ष से कम आयु का है, किसी सार्वजनिक स्थान में मोटर यान नहीं चलाएगा : परन्तु कोई व्यक्ति सोलह वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् किसी सार्वजनिक स्थान… more »
धारा ३ : चालन-अनुप्ति की आवश्यकता :
मोटर यान अधिनियम १९८८ अध्याय २ : मोटर यानों के ड्राइवरों का अनुज्ञापन : धारा ३ : चालन-अनुप्ति की आवश्यकता : १) कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान में मोटर यान तभी चलाएगा जब उसके पास यान चलाने के लिए उसे प्राधिकृत करते हुए उसके नाम में दी गई प्रभावी… more »
धारा २ख : १.(नवपरिवर्तन का संवर्धन :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २ख : १.(नवपरिवर्तन का संवर्धन : केंद्रीय सरकार, इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, यानीय इंजीनियरी, यांत्रिक रुप से नोदित यानों और… more »
धारा २क : १.(ई-गाडी और ई-रिक्शा :
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २.क : १.(ई-गाडी और ई-रिक्शा : १)धारा ७ की उपधार (१) के परंतुक और धारा ९ की उपधारा (१०) में जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय, इस अधिनियम के उपबंध ई-गाडी और ई-रिकशा को लागू होंगे । २) इस धारा के प्रयोजनों के लिए ई- गाडी या ई-… more »
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो ,- १.(१) रुपांतरित यान से कोई मोटर यान अभिप्रेत है, जिसे या तो विनिर्दिष्टत: डिजाइन और विनिर्मित किया गया है या जिसमें किसी शारीरिक विकार या नि:शक्तता से… more »
मोटर यान अधिनियम १९८८ धारा १
मोटर यान अधिनियम १९८८ (१९८८ का अधिनियम संख्यांक ५९) अध्याय १ प्रारंभिक धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ : १)इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मोटर यान अधिनियम, १९८८ है । २)इसका विस्तार सम्पर्ण भारत पर है । ३)यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय… more »
धारा ८ : निरसन और व्यावृत्ती :
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ धारा ८ : निरसन और व्यावृत्ती : १) मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश २०१९ (२०१९ का अध्यादो सं.४) का निरसन किया जाता है । २) ऐसे निरसन के होते हुए भी मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण)… more »
धारा ७ : अपराधों का संज्ञेय, शमनीय आदि होना ।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ धारा ७ : अपराधों का संज्ञेय, शमनीय आदि होना । दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हु, भी,- क) इस अधिनियम के अधीन दंडनीय कोई अपराध तब संज्ञेय होगा, यदि अपराध के किए जाने से संबंधित… more »
धारा ६ : अवयस्क संतानी की अभिरक्षा :
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ धारा ६ : अवयस्क संतानी की अभिरक्षा : तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई विवाहित मुस्लिम महिला, उसके पति द्वारा तलाक की उदघोषणा किए जाने की दशा में, ऐसी रीति में,… more »
धारा ५ : निर्वाह भत्ता :
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ अध्याय ३ : विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा : धारा ५ : निर्वाह भत्ता : तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई ऐसी विवाहित मुस्लिम महिला, जिसके लिए तलाक… more »
धारा ४ : तलाक की उदघोषणा करने के लिए दंड :
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ धारा ४ : तलाक की उदघोषणा करने के लिए दंड : कोई मुस्लिम पति, जो अपनी पत्नी को धारा ३ में निर्दिष्ट रीति में तलाक की उदघोषणा करता है, ऐसी अवधि के कारावास से, जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और… more »
धारा ३ : तलाक का शून्य और अवैध होना :
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ अध्याय २ : तलाक की घोषणा का शून्य और अवैध होना : धारा ३ : तलाक का शून्य और अवैध होना : किसी मुस्लिम पति द्वारा उसकी पत्नी के लिए, शब्दों द्वारा, चाहे वे बोले गए हों या लिखित हो या इलैक्ट्रोनिक रुप में… more »
मुस्लिम महिला अधिनियम २०१९ धारा २
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- क) इलेक्ट्रोनिक रुप का वही अर्थ होगा, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २००० की धारा २ की उपधारा (१) के खंड (द (आर)) में उसका है ;… more »
मुस्लिम महिला अधिनियम २०१९ धारा १
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम २०१९ (२०१९ का अधिनियम संख्यांक २०) विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तलाक की उद्घोषणा द्वारा विवाह-विच्छेद का प्रतिषेध करने और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का… more »
धारा १८ : निरसन और व्यावृत्ति:
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १८ : निरसन और व्यावृत्ति: (१) राष्ट्रीय सुरक्षा अध्यादेश, १९८० (१९८० का ११) इसके द्वारा निरसित किया जाता है। (२) ऐसे निरसन के होते हुए भी, उक्त अध्यादेश के अधीन की गई कोई बात या कार्रवाई, इस अधिनियम के तत्स्थानी… more »
धारा १७ : अधिनियम का राज्य विधियों के अधीन निरुद्ध..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १७ : अधिनियम का राज्य विधियों के अधीन निरुद्ध व्यक्तियों के संबंध में प्रभावी न होना : (१) इस अधिनियम की कोई बात, किसी राज्य विधि के अधीन किए गए ऐसे निरोध-आदेशों के संबंध में, जो राष्ट्रीय सुरक्षा अध्यादेश, १९८० (१९८०… more »
धारा १६ : सद्धावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १६ : सद्धावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण : इस अधिनियम के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के बारे में कोई वाद या अन्य विधिक कार्यवाही केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के विरुद्ध… more »
धारा १५ : निरुद्ध व्यक्तियों का अस्थायी तौर पर छोड़ा..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १५ : निरुद्ध व्यक्तियों का अस्थायी तौर पर छोड़ा जाना : (१) समुचित सरकार किसी भी समय निदेश दे सकेगी कि निरोध-आदेश के अनुसरण में निरुद्ध कोई व्यक्ति, या तो बिना शर्तों के या निदेश में विनिर्दिष्ट ऐसी शर्तों पर, जिन्हें… more »
धारा १४क : वे परिस्थितियां जिनमें व्यक्तियों को सलाहकार..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १४क : १.(वे परिस्थितियां जिनमें व्यक्तियों को सलाहकार बोडों की राय प्राप्त किए बिना, तीन मास से अधिक अवधि के लिए निरोध में रखा जा सकेगा : (१) इस अधिनियम के पूर्वगामी उपबंधों में, या किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकारी के… more »
धारा १४ : निरोध-आदेश वापस लेना :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १४ : निरोध-आदेश वापस लेना : (१) साधारण खण्ड अधिनियम, १८९७ (१८९७ का १० ) की धारा २१ के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी निरोध-आदेश को किसी भी समय, - (क) इस बात के होते हुए भी कि आदेश, धारा ३ की उपधारा (३)… more »
धारा १३ : निरोध की अधिकतम अवधि :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १३ : निरोध की अधिकतम अवधि : धारा १२ के अधीन पुष्ट किए गए किसी निरोध-आदेश के अनुसरण में किसी व्यक्ति को जिस अधिकतम अवधि-पर्यन्त निरुद्ध रखा जा सकेगा वह निरोध की तारीख से बारह मास की होगी: परन्तु इस धारा की कोई बात… more »
धारा १२ : सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर कार्रवाई :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १२ : सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर कार्रवाई : (१) किसी ऐसे मामले में, जिसमें सलाहकार बोर्ड ने रिपोर्ट दी है कि किसी व्यक्ति के निरोध के लिए उसकी राय में पर्याप्त कारण है, समुचित सरकार निरोध-आदेश को पुष्ट कर सकेगी तथा… more »
धारा ११ : सलाहकार बोडों की प्रक्रिया :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ११ : सलाहकार बोडों की प्रक्रिया : (१) सलाहकार बोर्ड, अपने समक्ष रखी गई सामग्री पर विचार करने के पश्चात तथा समुचित सरकार से या समुचित सरकार के माध्यम से इस प्रयोजनार्थ बुलाए गए किसी व्यक्ति से या संबद्ध व्यक्ति से ऐसी… more »
धारा १० : सलाहकार बोडों को निर्देश :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १० : सलाहकार बोडों को निर्देश : इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, ऐसे प्रत्येक मामले में, जिसमें इस अधिनियम के अधीन निरोध का आदेश किया गया है, उस आदेश के अधीन किसी व्यक्ति के निरोध की तारीख… more »
धारा ९ : सलाहकार बोर्ड का गठन :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ९ : सलाहकार बोर्ड का गठन : (१) जब भी आवश्यकता हो, केंद्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए एक या अधिक सलाहकार बोर्ड का गठन करेगी। (२) ऐसा प्रत्येक बोर्ड ऐसे तीन व्यक्तियों से मिलकर गठित… more »
धारा ८ : आदेश से प्रभावित व्यक्ति को निरोध-आदेश के..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ८ : आदेश से प्रभावित व्यक्ति को निरोध-आदेश के आधारों का प्रकट किया जाना : (१) जब कोई व्यक्ति किसी निरोध-आदेश के अनुसरण में निरुद्ध है तब आदेश करने वाला प्राधिकारी, यथाशक्य शीघ्र, किन्तु निरोध की तारीख से मामूली तौर पर… more »
धारा ७ : फरार व्यक्तियों के संबंध में शक्तियां :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ७ : फरार व्यक्तियों के संबंध में शक्तियां : (१) यदि, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या धारा ३ की उपधारा (३) में वर्णित अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि जिस व्यक्ति के संबंध में निरोध-आदेश किया… more »
धारा ६ : निरोध-आदेशों का कुछ आधारों पर अविधिमान्य..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ६ : निरोध-आदेशों का कुछ आधारों पर अविधिमान्य या अप्रवर्तनशील न होना : कोई निरोध-आदेश केवल इस कारण अविधिमान्य या अप्रवर्तनशील नहीं होगा कि - (क) उसके अधीन निरुद्ध किया जाने वाला व्यक्ति आदेश करने वाली सरकार या अधिकारी… more »
धारा ५क : १.(निरोध के आधारों का पृथक किया जाना :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ५क : १.(निरोध के आधारों का पृथक किया जाना : जहां कोई व्यक्ति धारा ३ के अधीन ऐसे निरोध-आदेश के (चाहे वह राष्ट्रीय सुरक्षा (दूसरा संशोधन) अधिनियम, १९८४ के प्रारम्भ के पूर्व या उसके पश्चात किया गया हो) अनुसरण में, जो दो… more »
धारा ५ : निरोध का स्थान तथा दशाओं का विनियमन करने..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ५ : निरोध का स्थान तथा दशाओं का विनियमन करने की शक्ति : प्रत्येक व्यक्ति, जिसके विरुद्ध निरोध-आदेश किया गया है,- (क) ऐसे स्थान पर और ऐसी दशाओं में, जिनके अन्तर्गत भरण-पोषण, अनुशासन तथा अनुशासन भंग करने के लिए दण्ड भी… more »
धारा ४ : निरोध-आदेशों का निष्पादन :
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ४ : निरोध-आदेशों का निष्पादन : निरोध-आदेश का निष्पादन भारत में किसी भी स्थान पर उस रीति से किया जा सकेगा जो दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में गिरफ्तारी के वारण्टों के निष्पादन के लिए उपबन्धित है। INSTALL… more »
धारा ३ : कुछ व्यक्तियों को निरुद्ध करने का आदेश करने..
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा ३ : कुछ व्यक्तियों को निरुद्ध करने का आदेश करने की शक्ति : (१) यदि केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार का, - (क) किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में यह समाधान हो जाता है कि उसे भारत की सुरक्षा पर, भारत के विदेशी सरकारों से सम्बधों… more »
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा २
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (क) केन्द्रीय सरकार द्वारा किए गए निरोध-आदेश या ऐसे आदेश के अधीन निरुद्ध व्यक्ति के संबंध में, समुचित सरकार से केन्द्रीय सरकार अभिप्रेत है, तथा… more »
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० धारा १
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८० (१९८० का अधिनियम संख्यांक ६५) कुछ मामलों में निवारक निरोध का और उससे सम्बद्ध विषयों का उपबन्ध करने के लिए अधिनियम भारत गणराज्य के इकतीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:- धारा १ : संक्षिप्त नाम… more »
द्वितीय अनुसूची : (धारा ८ और १६ देखिए)
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० द्वितीय अनुसूची : (धारा ८ और १६ देखिए) आयात ओषधियों द्वारा और विक्रयार्थ विनिर्मित, विक्रीत, विक्रयार्थ स्टाक में रखें या प्रदर्शित अथवा वितरित ओषधियों द्वारा अनुवर्तन किए जाने वाले मानक औषधि का वर्ग - अनुवर्तन किया… more »
१.(प्रथम अनुसूची : धारा (३क) देखिए।
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० १.(प्रथम अनुसूची : धारा (३क) देखिए। २.(क - आयुर्वेदिक और सिद्ध प्रणालियां) क्रम संख्या - पुस्तक का नाम आयुर्वेद १.आरोग्य कल्पद्रुम २.अर्क प्रकाश ३.आर्य भिषक ४.अष्टांग हृदय ५.आष्टांग संग्रह ६.आयुर्वेद कल्पदुम… more »
धारा ३८ : १.(नियमों का संसद् के समक्ष रखा जाना :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३८ : १.(नियमों का संसद् के समक्ष रखा जाना : इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि… more »
धारा ३७ : सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए परित्राण :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३७ : सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए परित्राण : कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी ऐसी बात के बारे में जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशयित हो किसी भी व्यक्ति… more »
धारा ३६कङ : अपील और पुनरीक्षण :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६कङ : अपील और पुनरीक्षण : उच्च न्यायालय, जहां तक लागू हो, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ के अध्याय २९ या अध्याय ३० द्वारा उच्च न्यायालय को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग इस प्रकार कर सकेगा जैसे कि उच्च न्यायालय की… more »
धारा ३६कघ : विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड..
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६कघ : विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) का लागू होना : (१) इस अधिनियम के अधीन जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) के उपबंध… more »
धारा ३६कग : कतिपय दशाओं में अपराधों का संज्ञेय और अजमानतीय..
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६कग : कतिपय दशाओं में अपराधों का संज्ञेय और अजमानतीय होना : (१) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ में किसी बात के होते हुए भी,- (क) अपमिश्रित या नकली उपायों से संबंधित और धारा १३ की उपधारा (१) के खंड (क) और खंड (ग),… more »
धारा ३६कख : १.(विशेष न्यायालय :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६कख : १.(विशेष न्यायालय : केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के परामर्श से अपमिश्रित ओषधियों या नकली ओषधियों से संबंधित और धारा १३ के खंड (क) और खंड (ख), धारा २२ की उपधारा (३),… more »
धारा ३६क : १.(कतिपय अपराधों का संक्षिप्त विचार किया जाना :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६क : १.(कतिपय अपराधों का संक्षिप्त विचार किया जाना : दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७३ का २) में किसी बात के होते हए भी, तीन वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय, २.(इस अधिनियम के अधीन ऐसे सभी अपराधों का… more »
धारा ३६ : .. शास्तियां अधिरोपित करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३६ : वर्धित शास्तियां अधिरोपित करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति : १.(दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २)) २.(*) में किसी बात के होते हुए भी, ३.(किसी महानगर मजिस्ट्रेट या किसी प्रथम वर्ग के नयायिक मजिस्ट्रेट) के… more »
धारा ३५ : इस अधिनियम के अधीन पारित दण्डादेशों का प्रकाशन :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३५ : इस अधिनियम के अधीन पारित दण्डादेशों का प्रकाशन : (१) यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष होता है तो १.(वह न्यायालय जिसके समक्ष दोषसिद्धि होती है, निरीक्षक द्वारा अपने को किए गए आवेदन… more »
धारा ३४कक : १.(तंग करने वाली तलाशी या अभिग्रहण के लिए शास्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३४कक : १.(तंग करने वाली तलाशी या अभिग्रहण के लिए शास्ति : इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन शक्तियों का प्रयोग करने वाला कोई निरीक्षक जो - (क) संदेह के युक्तियुक्त आधार के बिना किसी स्थान, यान,… more »
धारा ३४क : १.(सरकारी विभागों द्वारा अपराध :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३४क : १.(सरकारी विभागों द्वारा अपराध : जहां अध्याय ४ या अध्याय ४क के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है वहां ऐसा प्राधिकारी जो ओषधियों के विनिर्माण, विक्रय या वितरण का भारसाधक केन्द्रीय सरकार… more »
धारा ३४ : कंपनियों द्वारा अपराध :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३४ : कंपनियों द्वारा अपराध : (१) यदि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया हो तो प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कम्पनी का भारसाधक और… more »
धारा ३३त : २.(३.(निदेश देने की शक्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० १.(अध्याय ५ : प्रकीर्ण : धारा ३३त : २.(३.(निदेश देने की शक्ति : केन्द्रीय सरकार किसी राज्य सरकार को ऐसे निदेश दे सकेगी जैसे इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए किसी नियम या आदेश के उपबंधों में से किसी का उस राज्य में… more »
धारा ३३ण : प्रथम अनुसूची को संशोधित करने की शक्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ण : प्रथम अनुसूची को संशोधित करने की शक्ति : केन्द्रीय सरकार, इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए प्रथम अनुसूची में परिवर्धन या अन्यथा संशोधन बोर्ड से परामर्श करने के पश्चात और वैसा करने के अपने आशय की तीन मास से… more »
धारा ३३ढ : नियम बनाने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ढ : नियम बनाने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति : (१) केन्द्रीय सरकार २.(बोर्ड के साथ परामर्श करने के पश्चात या उसकी सिफारिश पर) और शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा पूर्व प्रकाशन के पश्चात, इस अध्याय के उपबन्धों… more »
धारा ३३ड : अपराधों का संज्ञान :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ड : अपराधों का संज्ञान : (१) इस अध्याय के अधीन कोई अभियोजन १.(धारा ३३० की उपधारा (४) के अधीन विनिर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी से,) निरीक्षक द्वारा संस्थित किए जाने के सिवाय नहीं किया जाएगा। (२) २.(महानगर… more »
धारा ३३ठ : सरकारी विभागों को उपबन्धों का लागू होना :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ठ : सरकारी विभागों को उपबन्धों का लागू होना : धारा ३३ट में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के सिवाय इस अध्याय के उपबन्ध किसी सरकारी विभाग द्वारा किसी १.(आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी) औषधि के विक्रयार्थ विनिर्माण, विक्रय… more »
धारा ३३टख : अभिलेखों का रखा जाना और सूचना का दिया जाना :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३टख : अभिलेखों का रखा जाना और सूचना का दिया जाना : ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो धारा ३३ङडग के खंड (ग) के अधीन अनुज्ञप्तिधारी है, ऐसे अभिलेख, रजिस्टर और अन्य दस्तावेज रखेगा और उन्हें बनाए रखेगा, जो विहित किए जाएं और… more »
धारा ३३ टक : १.(विनिर्माता, आदि के नाम का प्रकटन :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ टक : १.(विनिर्माता, आदि के नाम का प्रकटन : ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जो किसी आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी ओषधि का विनिर्माता या उसके वितरण के लिए उसका अभिकर्ता नहीं है, यदि उससे ऐसी अपेक्षा की जाए, निरीक्षक को उस… more »
धारा ३३ट : अधिहरण :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ट : अधिहरण : जहां कोई व्यक्ति इस अध्याय के अधीन सिद्धदोष किया गया है वहां उस १.(आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी) औषधि का स्टॉक जिसके सम्बन्ध में उल्लंघन हुआ है अधिहरणीय होगा। --------- १. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की… more »
धारा ३३ञ : पश्चात्वर्ती अपराधों के लिए शास्ति :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ञ : पश्चात्वर्ती अपराधों के लिए शास्ति : जो कोई- (क) धारा ३३झ की उपधारा (१) के खण्ड (क) के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराए जाने पर, उस खण्ड के अधीन किसी अपराध का पुन: सिद्धदोष ठहराया जाएगा, वह कारावास से जो… more »
धारा ३३झ : २.(इस अध्याय के उल्लंघन में आयुर्वेदिक, सिद्ध ..
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३झ : २.(इस अध्याय के उल्लंघन में आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी ओषधि के विनिर्माण, विक्रय आदि के लिए शास्ति : जो कोई स्वयं या अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा,- (१) ३.(क) किसी आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी औषधि… more »
धारा ३३ज : धारा २२, २३, २४ और २५ के उपबन्धों का लागू होना :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ज : धारा २२, २३, २४ और २५ के उपबन्धों का लागू होना : धारा २२, २३, २४ और २५ के उपबन्ध और तद्धीन बनाए गए नियम, यदि कोई हों, इस अध्याय के अधीन नियुक्त निरीक्षक और सरकारी विश्लेषक के सम्बन्ध में इस उपान्तर के… more »
धारा ३३छ : निरीक्षक :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३छ : निरीक्षक : (१) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विहित अर्हताओं वाले ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझती है, ऐसे क्षेत्रों के लिए निरीक्षक नियुक्त कर सकेगी जो उन्हें,… more »
धारा ३३च : सरकारी विश्लेषक :
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३च : सरकारी विश्लेषक : (१) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विहित अर्हताओं वाले ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझती है, ऐसे क्षेत्रों के लिए सरकारी विश्लेषक नियुक्त कर… more »
धारा ३३ङङघ : लोक हित में आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी ओषधि..
ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४० धारा ३३ङङघ : लोक हित में आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी ओषधि का विनिर्माण प्रतिषिद्ध करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति : इस अध्याय के किसी अन्य उपबन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि केन्द्रीय सरकार का अपने समक्ष… more »