Archives for: "May 2020"
धारा २ अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, - क) वेश्यागृह के अन्तर्गत कोई घर, कमरा १.(,सवारी) या स्थान अथवा किसी घर, कमरे १.(,सवारी) या स्थान का कोई प्रभाग अभिप्रेत है जिसका प्रयोग… more »
धारा १ अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम १९५६ १.(१९५६ का अधिनियम संख्यांक १०४) (३० दिसम्बर १९५६) २.(अनैतिक व्यापार का निवारण) करने के लिए १९५० की मई के नवें दिन न्यूयार्क में हस्ताक्षरित अन्तरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अनुसरण में, उपबंध करने हेतु अधिनियम भारत गणराज्य… more »
धारा १७ : निरसन :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १७ : निरसन : अनुसूची में विनिर्दिष्ट अधिनियमितियां, जहां तक कि वे या उनमें अन्तर्विष्ट उपबन्धों में से कोई इस अधिनियम या उसमें अन्तर्विष्ट उपबंधों में से किसी के समान है या उसके विरुद्ध है, एतद्द्वारा निरसित की… more »
धारा १६ख : नियम बनाने की शक्ति :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १६ख : नियम बनाने की शक्ति : (१) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के उपबन्धों का पालन करने के लिए, नियम बना सकेगी। (२) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए… more »
धारा १६क : अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, १९५८ का चौदह..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १६क : १.(अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, १९५८ का चौदह वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को लागू न होना : अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, १९५८ (१९५८ का २०) के उपबन्ध किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होंगे, जो चौदह वर्ष से अधिक आयु का… more »
धारा १६ : अधिनियम अन्य विधियों का अध्यारोहण करेगा :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १६ : अधिनियम अन्य विधियों का अध्यारोहण करेगा : इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, इस अधिनियम के उपबन्ध, किसी तत्समय प्रवृत्त विधि में उनसे असंगत किसी बात के होते हुए भी या किसी रूढी या प्रथा… more »
धारा १५क : १.(अस्पृश्यता का अंत करने से प्रोद्भूत अधिकारों..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १५क : १.(अस्पृश्यता का अंत करने से प्रोद्भूत अधिकारों से सम्बन्धित व्यक्तियों द्वारा फायदा उठाना सुनिश्चित करने का राज्य सरकार का कर्तव्य : (१) ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त बनाए, राज्य… more »
धारा १५ : १.(अपराध संज्ञेय और संक्षेपत: विचारणीय होंगे :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १५ : १.(अपराध संज्ञेय और संक्षेपत: विचारणीय होंगे : (१) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय हर अपराध संज्ञेय होगा और ऐसे हर अपराध पर सिवाय उसके जो कम से कम… more »
धारा १४क : १.(सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १४क : १.(सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण : (१) कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी ऐसी बात के बारे में, जो इस अधिनियम के अधिन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशयित हो, केन्द्रीय… more »
धारा १४ : कंपनियों द्वारा अपराध :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १४ : कंपनियों द्वारा अपराध : (१) यदि इस अधिनियम के अधीन अपराध करने वाला व्यक्ति कम्पनी हो तो हर ऐसा व्यक्ति, जो अपराध किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कम्पनी का भारसाधक और उस कम्पनी के प्रति… more »
धारा १३ : सिविल न्यायालयों की अधिकारिता की परिसीमा :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १३ : सिविल न्यायालयों की अधिकारिता की परिसीमा : (१) यदि सिविल न्यायालय के समक्ष के किसी वाद या कार्यवाही में अन्तग्र्रस्त दावा या किसी डिक्री या आदेश का दिया जाना या किसी डिक्री या आदेश का पूर्णत: या भागत: निष्पादन… more »
धारा १२ : कुछ मामलों में न्यायालयों द्वारा उपधारणा :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १२ : कुछ मामलों में न्यायालयों द्वारा उपधारणा : जहां कि इस अधिनियम के अधीन अपराध गठित करने वाला कोई कार्य १.(***) अनुसूचित जाति के सदस्य के सम्बन्ध में किया जाए वहां, जब तक कि प्रतिकूल साबित न किया जाए, न्यायालय यह… more »
धारा ११ : पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर वर्धित शास्ति :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ११ : पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर वर्धित शास्ति : जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का या ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण का पहले दोषसिद्ध हो चुकने पर किसी ऐसे अपराध या दुष्प्रेरण का पुन: दोषसिद्ध होगा, १.(वह दोषसिद्धि पर… more »
धारा १०क : १.(सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्य..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १०क : १.(सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्य सरकार की शक्ति : (१) यदि विहित रीति में जांच करने के पश्चात, राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है कि किसी क्षेत्र के निवासी इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के… more »
धारा १० : अपराध का दुष्प्रेरण :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १० : अपराध का दुष्प्रेरण : जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का दुष्प्रेरण करेगा, वह उस अपराध के लिए उपबन्धित दण्ड से दण्डनीय होगा। १.(स्पष्टीकरण : लोक सेवक के बारे में, जो इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध… more »
धारा ९ : सरकार द्वारा किए गए अनुदानों का पुनर्ग्रहण..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ९ : सरकार द्वारा किए गए अनुदानों का पुनर्ग्रहण या निलम्बन : जहां कि किसी ऐसे लोक पूजा-स्थान १.(या किसी शिक्षा संस्थान या छात्रावास) का प्रबन्धक या न्याय जिसे सरकार से भूमि या धन का अनुदान प्राप्त हो, इस अधिनियम के… more »
धारा ८ : कुछ दशाओं में अनुज्ञप्तियों का रद्द या निलम्बित..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ८ : कुछ दशाओं में अनुज्ञप्तियों का रद्द या निलम्बित किया जाना : जबकि वह व्यक्ति, जो धारा ६ के अधीन किसी अपराध का दोषसिद्ध हो, किसी ऐसी वृत्ति, व्यापार, आजीविका या नियोजन के बारे में जिसके सम्बन्ध में अपराध किया गया… more »
धारा ७क : १.(विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम कब अस्पृश्यता का..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ७क : १.(विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम कब अस्पृश्यता का आचरण समझा जाएगा : (१) जो कोई किसी व्यक्ति को सफाई करने या बुहारने या कोई पशु शव हटाने या किसी पशु की खाल खींचने या नाल काटने या इसी प्रकार का कोई अन्य काम करने के… more »
धारा ७ : अस्पृश्यता उद्भूत अन्य अपराधों के लिए दण्ड :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ७ : अस्पृश्यता उद्भूत अन्य अपराधों के लिए दण्ड : (१) जो कोई - (क) किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद १७ के अधीन अस्पृश्यता के अन्त होने से उसको प्रोद्भूत होने वाले किसी अधिकार का प्रयोग करने से निवारित करेगा, अथवा… more »
धारा ६ : माल बेचने या सेवा करने से इन्कार के लिए दण्ड :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ६ : माल बेचने या सेवा करने से इन्कार के लिए दण्ड : जो कोई उसी समय और स्थान पर और वैसे ही निबन्धनों और शर्तों पर, जिन पर कारबार के साधारण अनुक्रम में अन्य व्यक्तियों को ऐसा माल बेचा जाता है या उनकी सेवा की जाती है… more »
धारा ५ : अस्पतालों, आदि में व्यक्तियों को प्रवेश करने..
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ५ : अस्पतालों, आदि में व्यक्तियों को प्रवेश करने देने से इन्कार करने के लिए दण्ड : जो कोई अस्पृश्यता के आधार पर- (क) किसी व्यक्ति को किसी अस्पताल, शिक्षा-संस्था, या १.(***) किसी छात्रवास में, यदि वह अस्पताल,… more »
धारा ४ : सामाजिक निर्योग्यताएं लागू करने के लिए दण्ड :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ४ : सामाजिक निर्योग्यताएं लागू करने के लिए दण्ड : जो कोई किसी व्यक्ति के विरुद्ध निम्नलिखित के सम्बन्ध में कोई निर्योग्यता अस्पृश्यता के आधार पर लागू करेगा वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के… more »
धारा ३ : धार्मिक निर्योग्यता लागू करने के लिए दण्ड :
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा ३ : धार्मिक निर्योग्यता लागू करने के लिए दण्ड : जो कोई किसी व्यक्ति को, - (क) किसी ऐसे लोक-पूजा स्थान में प्रवेश करने से, जो उसी धर्म को मानने वाले १(*) या उसके किसी विभाग के अन्य व्यक्तियों के लिए खुला हो, जिसका… more »
धारा २ सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा २ : परिभाषाए : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- १.(क) सिविल अधिकार से कोई ऐसा अधिकार अभिप्रेत है, जो संविधान के अनुच्छेद १७ द्वारा अस्पृश्यता का अन्त कर दिए जाने के कारण किसी व्यक्ति को… more »
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ धारा १
सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम १९५५ १.(१९५५ का अधिनियम संख्यांक २२) २.(अस्पृश्यता का प्रचार और आचरण करने और उससे उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करने और, उससे संबंधित बातों के लिए दंड विहित करने के लिए अधिनियम भारत गणराज्य के छठे वर्ष में संसद् द्वारा… more »
धारा १६ : निरसन और व्यावृत्तियां :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १६ : निरसन और व्यावृत्तियां : (१) निम्नलिखित विधियां एतदद्वारा निरसित की जाती हैं:- (क) आवश्यक वस्तु अध्यादेश, १९५५ (१९५५ का १); (ख) इस अधिनियम के प्रारम्भ के ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त कोई अन्य विधि जहां तक कि ऐसी… more »
धारा १५ : अधिनियम के तीन की गई कार्रवाई के लिए परित्राण :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १५ : अधिनियम के तीन की गई कार्रवाई के लिए परित्राण : (१) किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी ऐसी बात के लिए नहीं हो सकेगी जो धारा ३ के अधीन किए गए किसी आदेश के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई… more »
धारा १४ : कतिपय मामलों में सबूत का भार :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १४ : कतिपय मामलों में सबूत का भार : जहां कोई व्यक्ति धारा ३ के अधीन किए गए किसी ऐसे आदेश का उल्लंघन करने के लिए अभियोजित किया जाता है जो उसे विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना अथवा किसी अनुज्ञा-पत्र, अनुजप्ति या अन्य दस्तावेज के… more »
धारा १३ : आदेशों के बारे में उपधारणा :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १३ : आदेशों के बारे में उपधारणा : जहां कोई आदेश इस धारा के द्वारा या अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के प्रयोग में किसी प्राधिकारी द्वारा किया गया और हस्ताक्षरित हुआ तात्पर्यित है वहां न्यायालय यह उपधारित करेगा कि ऐसा आदेश भारतीय… more »
धारा १२ख : सिविल न्यायालय द्वारा व्यादेशों आदि..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १२ख : १.(सिविल न्यायालय द्वारा व्यादेशों आदि का दिया जाना : इस अधिनियम के अधीन या तद्धीन बनाए गए किसी आदेश के अधीन केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी लोक अधिकारी द्वारा अपनी पदीय हैसियत से किए गए या किए गए… more »
धारा १२क : १.(संक्षेपत: विचारण की शक्ति :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १२क : १.(संक्षेपत: विचारण की शक्ति : (१) यदि केन्द्रीय सरकार की राय हो कि ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई है जिसमें २.(किसी आवश्यक वस्तु के जो उपधारा (२) के खण्ड (क) में निर्दिष्ट आवश्यक वस्तु नहीं है,) उत्पादन, प्रदाय या वितरण… more »
धारा १२ : जुमनि के बारे में विशेष उपबन्ध :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १२ : जुमनि के बारे में विशेष उपबन्ध : दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा २९ में किसी बात के होते हुए भी, धारा ३ के अधीन किए गए आदेश के उल्लंघन के लिए सिद्धदोष किसी व्यक्ति के बारे में पांच हजार रुपए से अधिक… more »
धारा ११ : अपराधों का संज्ञान :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ११ : अपराधों का संज्ञान : कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का संज्ञान उस दशा के सिवाय नहीं करेगा जिसमें कि ऐसे अपराध को गठित करने वाले तथ्यों की लिखित रिपोर्ट ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई हो जो भारतीय दण्ड… more »
धारा १०ग : आपराधिक मनःस्थिति की उपधारणा :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १०ग : आपराधिक मनःस्थिति की उपधारणा : (१) इस अधिनियम के अधीन किसी ऐसे अपराध के अभियोजन में जिसमें अभियुक्त की आपराधिक मनःस्थिति होनी अपेक्षित है न्यायालय ऐसी मनःस्थिति विद्यमान होने की उपधारणा करेगा, किन्तु अभियुक्त के लिए… more »
धारा १०ख : १.(न्यायालय को अधिनियम के अधीन सिद्धदोष..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १०ख : १.(न्यायालय को अधिनियम के अधीन सिद्धदोष कंपनियों के नाम, कारबार के स्थान आदि प्रकाशित करने की शक्ती : (१) जब कोई कम्पनी इस अधिनियम के अधीन सिद्धदोष ठहराई जाती है तब उस कम्पनी को सिद्धदोष ठहराने वाला न्यायालय इस बात… more »
धारा १०क : १.(अपराधों का संज्ञेय और जमानत होना :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १०क : १.(अपराधों का संज्ञेय और जमानत होना : २.(दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी इस धारा के अधीन दण्डनीय हर एक अपराध संज्ञेय ३.(***) होगा।) --------- १. १९६७ के अधिनियम ३६ की धारा ९ द्वारा… more »
धारा १० : कंपनियों द्वारा उपराध :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १० : कंपनियों द्वारा उपराध : (१) यदि धारा ३ के अधीन किए गए किसी आदेश का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति कम्पनी हो तो प्रत्येक व्यक्ति, जो उस उल्लंघन के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कम्पनी के लिए उस कम्पनी का… more »
धारा ९ : मिथ्या कथन :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ९ : मिथ्या कथन : यदि कोई व्यक्ति - (एक) धारा ३ के अधीन किए गए आदेश द्वारा कोई कथन करने या कोई जानकारी देने के लिए अपेक्षित होने पर कोई ऐसा कथन करेगा या ऐसी जानकारी देगा जो किसी सारवान् विशिष्टि में मिथ्या हो और जिसके… more »
धारा ८ : प्रयत्न और दुष्प्रेरण :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ८ : प्रयत्न और दुष्प्रेरण : ऐसे किसी व्यक्ति के बारे में जो धारा ३ के अधीन किए गए किसी आदेश का उल्लंघन करने का प्रयत्न करता है या उल्लंघन का दुष्पेरण करता है, यह समझा जाएगा कि उसने उस आदेश का उल्लंघन किया है। #Essential… more »
धारा ७क : १.(केन्द्रीय सरकार को कुछ रकमों को भू-राजस्व..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ७क : १.(केन्द्रीय सरकार को कुछ रकमों को भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूल करने की शक्ति : (१) जहां कोई व्यक्ति, जो - (क) धारा ३ के अधीन किए गए, किसी आदेश के अनुसरण में, किमी रकम का संदाय करने के लिए, या (ख) किसी रकम को… more »
धारा ७ : शास्तियाँ :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ७ : शास्तियाँ : १.(१) यदि कोई व्यक्ति धारा ३ के अधीन किए गए किमी आदेश का उल्लंघन करेगा,- (क) तो वह,- (एक) उस धारा की उपधारा (२) के खण्ड (ज) या खण्ड (झ) के प्रति निर्देश से किए गए आदेश की दशा में कारावास से जिसकी अवधि एक… more »
धारा ६ङ : १.(कतिपय मामलों में अधिकारिता का वर्जन :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६ङ : १.(कतिपय मामलों में अधिकारिता का वर्जन : जब कभी कोई आवश्यक वस्तु उसके सम्बन्ध में धारा ३ के अधीन किए गए आदेश के अनुसरण में अभिगृहीत की जाती है या धारा ६क के अधीन अधिहरण के लम्बित रहने के दौरान ऐसा कोई पैकेज, आवेष्टक… more »
धारा ६घ : अधिहरण के अधिनिर्णय का अन्य दंडों में बाधा न..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६घ : अधिहरण के अधिनिर्णय का अन्य दंडों में बाधा न करना : कलक्टर द्वारा इस अधिनियम के अधीन किसी अधिहरण का अधिनिर्णय किसी ऐसे दंड के दिए जाने को निवारित नहीं करेगा जिसका कि उस द्वारा प्रभावित व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन भागी… more »
धारा ६ग : अपील :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६ग : अपील : (१) धारा ६क के अधीन अधिहरण के किसी आदेश में व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश की अपने को संसूचना की तारीख से एक मास के भीतर १.(किसी ऐसे न्यायिक प्राधिकारी को अपील कर सकेगा जो सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त हो… more »
धारा ६ख : खाद्यान्नों आदि के अधिहरण से पूर्व हेतु दर्शित..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६ख : खाद्यान्नों आदि के अधिहरण से पूर्व हेतु दर्शित करने की सूचना का दिया जाना : १.(१)) २.(किसी ३.(आवश्यक वस्तु पैकेज, आवेष्टक, पात्र, पशु, गाडी, जलयान या अन्य प्रवहण)) का अधिहरण करने वाला कोई आदेश धारा ६क के अधीन तब तक… more »
धारा ६क: १.(खाद्यान्नों, खाद्य तिलहनों और खाद्य तेलों ..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६क: १.(खाद्यान्नों, खाद्य तिलहनों और खाद्य तेलों का अधिहरण : २.(१) जहां कोई ३.(आवश्यक वस्तु) उसके सम्बन्ध में धारा ३ के अधीन किए गए आदेशों के अनुसरण में ३.(अभिगृहीत की जाती है) ४.(जहां ऐसे अभिग्रहण की रिपोर्ट; अयुक्तियुक्त… more »
धारा ६ : अन्य अधिनियमितियों से अंसगत आदेशों का प्रभाव :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ६ : अन्य अधिनियमितियों से अंसगत आदेशों का प्रभाव : धारा ३ के अधीन किया गया कोई आदेश, इस आधिनियम मे भिन्न किमी अधिनियमिति में या इस अधिनियम मे भिन्न किमी अधिनियमिति के आधार पर प्रभावी किसी लिखत में उसमे असंगत किसी बात के… more »
धारा ५ : शक्तियों का प्रत्यायोजन :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ५ : शक्तियों का प्रत्यायोजन : केन्द्रीय सरकार अधिसूचित आदेश द्वारा निदेश दे सकेगी कि १.(धारा ३ के अधीन आदेश करने या अधिसूचना निकालने की शक्ति), ऐसे विषयों के सम्बन्ध में और ऐसी शतों के अध्यधीन, यदि कोई हो, जो उस निदेश में… more »
धारा ४ : राज्य सरकार पर कर्तव्यों का अधिरोपण, आदि :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ४ : राज्य सरकार पर कर्तव्यों का अधिरोपण, आदि : धारा ३ के अधीन किया गया कोई आदेश केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार अथवा केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधिकारियों और प्राधिकारियों को शक्तियां प्रदत्त कर सकेगा और उन पर… more »
धारा ३ : आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, प्रदाय, वितरण, ..
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा ३ : आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, प्रदाय, वितरण, आदि का नियंत्रण करने की शक्तियां : १) यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय हो कि किसी आवश्यक वस्तु के प्रदाय को बनाए रखने या बढ़ाने के लिए या उसका साम्यिक वितरण और उचित कीमतों पर उसकी… more »
धारा २क : आवश्यक वस्तुओं की घोषणा, आदि :
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा २क : १.(आवश्यक वस्तुओं की घोषणा, आदि : (१) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए आवश्यक वस्तु से अनुसूची में विनिर्दिष्ट वस्तु अभिप्रेत है। (२) केन्द्रीय सरकार, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि लोकहित में और उन कारणों मे जो… more »
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा २
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा २ : परिभाषाएं : इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो- १.(१क) कलक्टर के अन्तर्गत अपर कलक्टर और ऐसा अन्य अधिकारी भी है, जो उपखंड अधिकारी की पंक्ति से नीचे का न हो और जो इस अधिनियम के अधीन कलक्टर के कृत्यों… more »
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ धारा १
आवश्यक वस्तु अधिनियम १९५५ १.(१९५५ का अधिनियम संख्यांक १०) कतिपय वस्तुओं के उत्पादन, प्रवाह और वितरण तथा उनमें व्यापार और वाणिज्य के नियंत्रण के लिए जनसाधारण के हित में उपबन्ध करने के लिए अधिनियम भारत गणराज्य के गहछठे वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररूप ७ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररूप ७ : (नियम ११ (१) देखें) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ की धारा १३ (१) के अधीन हाजिर हाने के लिए सूचना न्यायालय............. पुलिस थाना........... मामले में : सुश्री. ..........................… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ६ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ६ : (नियम ११ (१) देखें) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ की धारा १० (१) के अधीन सेवा प्रदाताओं के रुप में रजिस्ट्रीकरण के लिए प्ररुप १. आवेदक का नाम - २. टेलीफोन नं. ईमेल पता यदि कोई है, सहित पता -… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ५ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ५ : (नियम ८(१) (चार) देखे) सुरक्षा योजना : १) जब कोई संरक्षण अधिकारी, पुलिस अधिकारी या कोई अन्य सेवा प्रदाता इस प्ररूप में ब्यरे उपलब्ध कराने में किसी स्त्री की सहायता कर रहा हो, तो स्तंभ ग और स्तंभ घ में… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ४ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ४ : (नियम ८ (१) (दो) देखिऐ) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ के अधीन व्यथित व्यक्तियों के अधिकारों के विषय में जानकारी १. यदि किसी व्यक्ति द्वारा अपने घर में जिसके साथ उसी घर में आप रहती है आपको… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ३ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप ३ : (नियम ६(४) और नियम ७ देखे) घरेलू हिंसा से महिला, संरक्षण अधिनियम, २००५ की धारा २३(२) के अधीन शपथ पत्र न्यायालय... ;. एमएम ..... पुलिस थाना .......... .........के मामले में सुश्री...............और अन्य… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप २ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप २ : (नियम ६(१) देखे) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ (२००५ का ४३) की धारा १२ के अधीन मजिस्ट्रेट को आवेदन सेवा में, मजिस्ट्रेट न्यायालय ----------- ----------- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप १ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ प्ररुप १ : ( नियम ५ (१) और (२) तथा नियम १७(३) देखे) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ (२००५ का ४३) की धारा ९ (ख) और धारा ३७ (२) (ग) के अधीन घरेलू घटना की रिपोर्ट १) परिवार/ व्यथित व्यक्ति के ब्यौरे : (१)… more »
नियम १७ : व्यथित व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १७ : व्यथित व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा : (१) व्यथित व्यक्ति या संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता किसी चिकित्सा सुविधा के भारसाधक व्यक्ति को घारा ७ के अधीन लिखित अनुरोध कर सकेगा, जिसमें यह स्पष्ट कथन करेगा कि… more »
नियम १६ : व्यथित व्यक्ति को आश्रय :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १६ : व्यथित व्यक्ति को आश्रय : (१) व्यक्ति व्यक्ति द्वारा अनुरोध किए जाने पर संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता किसी आश्रय गृह के भारसाधक व्यक्ति को धारा ६ के अधीन लिखित में अनुरोध कर सकेगा, जिसमें यह स्पष्ट कथन… more »
नियम १५ : संरक्षण आदेशों का भंग होगा :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १५ : संरक्षण आदेशों का भंग होगा : १) कोई व्यथित व्यक्ति, संरक्षण अधिकारी को संक्षण आदेश या किसी अंतरिम संरक्षण आदेश के भंग की रिपोर्ट कर सकेगा। (२) उपनियम (१) में निर्दिष्ट प्रत्येक रिपोर्ट सूचना देने वाले… more »
नियम १४ : परामर्शदाताओं द्वारा अनुसरण की जाने वाली..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १४ : परामर्शदाताओं द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया : १) परामर्शदाता, न्यायालय या संरक्षण अधिकारी या दोनों के साधारण अ्रधीक्षण के अधीन कार्य करेंगे । २) परामर्शदाता, व्यथित व्यक्ति या दोनों पक्षकारों की… more »
नियम १३ : परामर्शदाताओं की नियुक्ति :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १३ : परामर्शदाताओं की नियुक्ति : १) संरक्षण अधिकारी द्वारा उपलब्ध परामर्शदाताओं की सूची में से किसी व्यक्ति को, व्यथित व्यक्ति को सूचना के अधीन परामर्शदाता के रुप में नियुक्त किया जाएगा । (२) निम्नलिखित… more »
नियम १२ : सूचना की तामील का माध्यम :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १२ : सूचना की तामील का माध्यम : १) अधिनियम के अधीन संबंधित कार्यवाहियों के संबंध में उपसंजात होने के लिए सूचना में घरेलू हिंसा करने वाले अभिकथित व्यक्ति का नाम, घरेलू हिंसा की प्रकृति और ऐसे अन्य ब्यौरे होंगे,… more »
नियम ११ : सेवा प्रदाताओं का रजिस्ट्रीकरण :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ११ : सेवा प्रदाताओं का रजिस्ट्रीकरण : १) सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम १८६० (१८६० का २१) के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई स्वयंसेवी संगम या कंपनी अधिनियम, १९५६ (१९५६ का १) के अधीन रजिस्ट्रीकृत या कोई कंपनी जो तत्समय… more »
नियम १० : संरक्षण अधिकारी के कतिपय अन्य कर्तव्य :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १० : संरक्षण अधिकारी के कतिपय अन्य कर्तव्य : १) यदि मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित में ऐसा करने का निदेश दिया जाए, तो संरक्षण अधिकारी - (क) साझी गृहस्थी में निवास के परिसर में निरीक्षण करेगा और आरंभिक जांच करेगा यदि… more »
नियम ९ : आपातकालीन मामलों में की जाने वाली कार्रवाइ :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ९ : आपातकालीन मामलों में की जाने वाली कार्रवाइ : यदि संरक्षण अधिकारी या किसी सेवा प्रदाता को ई-मेल या किसी टेलीफोन काल या उसी रुप में व्यथित व्यक्ति या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति से विश्वसनीय सूचना प्राप्त होती है… more »
नियम ८ : संरक्षण अधिकारियों के कर्तव्य और कृत्य :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ८ : संरक्षण अधिकारियों के कर्तव्य और कृत्य : १) संरक्षण अधिकारी का निम्नलिखित कर्तव्य होगा - एक) व्यथित व्यक्ति को. अधिनियम के अधीन कोई शिकायत करने के लिए यदि व्यथित व्यक्ति इस प्रकार की इच्छा व्यक्त करे… more »
नियम ७ : मजिस्ट्रेट का एक पक्षीय आदेश को प्राप्त..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ७ : मजिस्ट्रेट का एक पक्षीय आदेश को प्राप्त करने के लिए शपथ पत्र : धारा २३ की उपधारा (२) के अधीन एक पक्षीय आदेश प्राप्त करने के लिए फाइल किया गया प्रत्येक शपथ पत्र प्ररुप - ३ में होगा । INSTALL Android APP *… more »
नियम ६ : मजिस्ट्रेट को आवेदन :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ६ : मजिस्ट्रेट को आवेदन : १) व्यधित व्यक्ति का प्रत्येक आवेदन धारा १२ के अधीन प्ररुप - २ या उसके यथासंभव निकटतम रूप में होगा। २) कोई व्यथित व्यक्ति उपधारा (१) के अधीन अपने आवेदन पत्र को तैयार करने में संरक्षण… more »
नियम ५ : घरेलू हिंसा की रिपोर्ट :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ५ : घरेलू हिंसा की रिपोर्ट : १) संरक्षण अधिकारी घरेलू हिंसा की शिकायत मिलने पर प्ररुप - १ में घरेलू हिंसा की रिपोर्ट तैयार करेगा और उसे मजिस्ट्रेट को देगा और उसकी प्रतियां स्थानीय अधिकारिता की सीमाओं के भीतर… more »
नियम ४ : संरक्षण अधिकारियों को सूचना :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ४ : संरक्षण अधिकारियों को सूचना : १) कोई व्यक्ति जिसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि घरेलू हिंसा का कोई कृत्य हुआ है या हो रहा है या होने की संभावना है वह इसके बारे में सूचना उस क्षेत्र में अधिकारिता रखने… more »
नियम ३ : संरक्षण अधिकारियों की अर्हताएं और अनुभव :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम ३ : संरक्षण अधिकारियों की अर्हताएं और अनुभव : (१) राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए गए संरक्षण अधिकारी सरकारी या गैर सरकारी संगठनों के सदस्य हो सकेंगे : परंतु महिलाओं को अधिमानता दी जाएगी। २) अधिनियम के अधीन… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम २
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम २ : परिभाषा : इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो , (क) अधिनियम से घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ (२००५ का ४३) अभिप्रेत है; (ख) शिकायत से संरक्षण अधिकारी को किसी व्यक्ति द्वारा… more »
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ नियम १
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण नियम २००६ सा.का.नि. ६४४ (अ) - केन्द्रीय सरकार / घरेलू हिसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ की धारा ३७ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात् :- नियम १ : सक्षिप्त नाम और प्रारंभ : १) इन… more »
धारा ३७ : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३७ : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति : (१) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, बना सकेगी। (२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर… more »
धारा ३६ : अधिनियम का किसी अन्य विधि के अल्पीकरण में..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३६ : अधिनियम का किसी अन्य विधि के अल्पीकरण में न होना : इस अधिनियम के उपबंध, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे और न कि उनके अल्पीकरण में। INSTALL Android APP * नोट (सूचना) : इस… more »
धारा ३५ : सद्धावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३५ : सद्धावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण : इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम या किए गए आदेश के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात से कारित या कारित होने के लिए संभाव्य… more »
धारा ३४ : संरक्षण अधिकारी द्वारा किए गए अपराध का संज्ञान :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३४ : संरक्षण अधिकारी द्वारा किए गए अपराध का संज्ञान : संरक्षण अधिकारी के विरुद्ध कोई अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही तब तक नहीं होगी जब तक राज्य सरकार या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी की… more »
धारा ३३ : संरक्षण अधिकारी द्वारा कर्तव्यों का निर्वहन न..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३३ : संरक्षण अधिकारी द्वारा कर्तव्यों का निर्वहन न करने के लिए शास्ति : यदि कोई संरक्षण अधिकारी, संरक्षण आदेश में मजिस्ट्रेट द्वारा यथा निदेशित अपने कर्तव्यों का, किसी पर्याप्त हेतुक के बिना, निर्वहन करने… more »
धारा ३२ : संज्ञान और सबूत :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३२ : संज्ञान और सबूत : (१) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा ३१ की उपधारा (१) के अधीन अपराध संज्ञेय और अजमानतीय होगा। (२) व्यथित व्यक्ति के एकमात्र परिसाध्य… more »
धारा ३१ : ... संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा ३१ : प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश के भंग के लिए शास्ति : (१) प्रत्यर्थी द्वारा संरक्षण आदेश या किसी अंतरिम संरक्षण आदेश का भंग, इस अधिनियम के अधीन एक अपराध होगा और वह दोनों में से किसी भांति के कारावास… more »
धारा ३० : संरक्षण अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं के..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ अध्याय ५ : प्रकीर्ण : धारा ३० : संरक्षण अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं के सदस्यों का लोक सेवक होना : संरक्षण अधिकारी और सेवा प्रदाताओं के सदस्य जब वे इस अधिनियम के उपबंधों में से किसी उपबन्ध या उसके अधीन बनाए गए… more »
धारा २९ : अपील :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २९ : अपील : उस तारीख से, जिसको मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए आदेश की, यथास्थिति, व्यथित व्यक्ति या प्रत्यर्थी पर जिस पर भी पश्चात्वर्ती हो, तामील की जाती है, तीस दिनों के भीतर सेशन न्यायालय में कोई अपील हो… more »
धारा २८ : प्रक्रिया :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २८ : प्रक्रिया : (१) इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय धारा १२, धारा १८, धारा १९, धारा २०, धारा २१, धारा २२ और धारा २३ के अधीन सभी कार्यवाहियां और धारा ३१ के अधीन अपराध, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३… more »
धारा २७ : अधिकारिता :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २७ : अधिकारिता : (१) यथास्थिति, प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट का न्यायालय, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर - (क) व्यथित व्यक्ति स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से निवास करता है या कारबार… more »
धारा २६ : अन्य वादों और विधिक कार्यवाहियों में अनुतोष :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २६ : अन्य वादों और विधिक कार्यवाहियों में अनुतोष : (१) धारा १८, धारा १९, धारा २०, धारा २१ और धारा २२ के अधीन उपलब्ध कोई अनुतोष, किसी सिविल न्यायालय, कुटुम्ब न्यायालय या किसी दंड न्यायालय के समक्ष किसी… more »
धारा २५ : आदेशों की अवधि और उनमें परिवर्तन :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २५ : आदेशों की अवधि और उनमें परिवर्तन : (१) धारा १८ के अधीन किया गया संरक्षण आदेश व्यथित व्यक्ति द्वारा निर्मोचन के लिए आवेदन किए जाने तक प्रवृत्त रहेगा। (२) यदि मजिस्ट्रेट का, व्यथित व्यक्ति या प्रत्यर्थी… more »
धारा २४ : न्यायालय द्वारा आदेश की प्रतियों का नि:शुल्क..
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २४ : न्यायालय द्वारा आदेश की प्रतियों का नि:शुल्क दिया जाना : मजिस्ट्रेट, सभी मामलों में जहां उसने इस अधिनियम के अधीन कोई आदेश पारित किया है, वहां यह आदेश देगा कि ऐसे आदेश की एक प्रति नि:शुल्क आवेदन के… more »
धारा २३ : अंतरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २३ : अंतरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति : (१) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन उसके समक्ष किसी कार्यवाही मं ऐसा अंतरिम आदेश, जो न्यायसंगत और उपयुक्त हो, पारित कर सकेगा। (२) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो… more »
धारा २२ : प्रतिकर आदेश :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २२ : प्रतिकर आदेश : अन्य अनुतोष के अतिरिक्त, जो इस अधिनियम के अधीन अनुदत्त की जाएं, मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यकि द्वारा किए गए आवेदन पर, प्रत्यर्थी को क्षतियों के लिए, जिसके अंतर्गत उस प्रत्यर्थी द्वारा की गई… more »
धारा २१ : अभिरक्षा आदेश :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २१ : अभिरक्षा आदेश : तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन संरक्षण आदेश या किसी अन्य अनुतोष के लिए आवेदन की सुनवाई के किसी प्रक्रम पर व्यथित… more »
धारा २० : धनीय अनुतोष :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा २० : धनीय अनुतोष : १) धारा १२ की उपधारा (१) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेल हिंसा के परिणामस्वरूप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी संतान द्वारा उपगत व्यय और सहन की गई… more »
धारा १९ : निवास आदेश :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा १९ : निवास आदेश : १) धारा १२ की उपधारा (१) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, यह समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है तो निम्नलिखित निवास आदेश पारित कर सकेगा :- क) प्रत्यर्थी को साझी… more »
धारा १८ : संरक्षण आदेश :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा १८ : संरक्षण आदेश : मजिस्ट्रेट, व्यथित व्यक्ति और प्रत्यर्थी को सुनवाई का एक अवसर दिए जाने के पश्चात् और उसका प्रथमदृष्ट्या समाधान होने पर कि घरेलू हिंसा हुई है या होने वाली है, व्यथित व्यक्ति के पक्ष में… more »
धारा १७ : साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा १७ : साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार : १) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, घरेलू नातेदारी में प्रत्येक महिला को साझी गृहस्थी में निवास करने का अधिकार होगा चाहे वह… more »
धारा १६ : कार्यवाहियों का बंद कमरे में किया जाना :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा १६ : कार्यवाहियों का बंद कमरे में किया जाना : यदि मजिस्ट्रेट ऐसा समझता है कि मामले की परिस्थितियों के कारण ऐसा आवश्यक है और यदि कार्यवाहियों का कोई पक्षकार ऐसी वांछा करे, तो वह इस अधिनियम के अधीन,… more »
धारा १५ : कल्याण विशेषज्ञ की सहायता :
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम २००५ धारा १५ : कल्याण विशेषज्ञ की सहायता : इस अधिनियम के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों में, मजिस्ट्रेट अपने कृत्यों के निर्वहन में अपनी सहायता के प्रयोजन के लिए, ऐसे व्यक्ति की, अधिमानत: किसी महिला की, चाहे वह व्यथित… more »