आदेश २ नियम ७ : कुसंयोजन के बारे में आक्षेप :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ७ : कुसंयोजन के बारे में आक्षेप : वाद-हेतुकों के कुसंयोजन के आधार पर सभी आक्षेप यथासंभव शीघ्रतम अवसर पर किए जाएंगे और ऐसे सभी मामलों में जिनमें विवाद्यक स्थिर किए जाते हैं, ऐसे स्थिरीकरण के समय या उससे पहले किए… more »
आदेश २ नियम ६ : पृथक् विचारण का आदेश देने की न्यायालय..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ६ : १.( पृथक् विचारण का आदेश देने की न्यायालय की शक्ति : जहां न्यायालय को यह प्रतीत होता है कि एक ही वाद में वाद-हेतुकों के संयोजन से विचारण में उलझन या विलम्ब हो जाएगा या ऐसा करना अन्यथा असुविधाजनक होगा वहां… more »
आदेश २ नियम ५ : निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ५ : निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या उसके विरुद्ध दावे : किसी निष्पादक, प्रशासक या वारिस द्वारा या उसके विरुद्ध उसका उस हैसियत में लाया गया कोई भी दावा वैयक्तिक रुप से उसके द्वारा या उसके विरुद्ध लाए गए उन… more »
आदेश २ नियम ४ : स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ४ : स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए केवल कुछ दावों का संयोजित किया जाना : जब तक कि न्यायालय की इजाजत न हो स्थावर सम्पत्ति के प्रत्युद्धरण के लिए वाद में निम्नलिखित के सिवाय कोई भी वाद-हेतुक संयोजित नहीं… more »
आदेश २ नियम ३ : वाद-हेतुकों का संयोजन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम ३ : वाद-हेतुकों का संयोजन : १) उसके सिवाय जैसा अन्यथा उपबन्धित है, वादी उसी प्रतिवादी या संयुक्तत: उन्हीं प्रतिवादियों के विरुद्ध कई वाद-हेतुक एक हीं वाद में संयोजित कर सकेगा और एसे वाद-हेतुक रुखने वाले कोई भी… more »
आदेश २ नियम २ : वाद के अन्तर्गत संपूर्ण दावा होगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : नियम २ : वाद के अन्तर्गत संपूर्ण दावा होगा : १) हर वाद के अन्तर्गत वह पूरा दावा होगा जिसे उस वाद-हेतुक के विषय में करने का वादी हकदार है, किन्तु वादी वाद को किसी न्यायालय की अधिकारिता के भीतर लाने की दृष्टि से अपने… more »
आदेश २ नियम १ : वाद की विरचना :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ आदेश २ : वाद की विरचना : नियम १ : वाद की विरचना : हर वाद की विरचना यावत्साध्य ऐसे की जाएगी कि विवादग्रस्त विषयों पर अंतिम विनिश्चय करने के लिए आधार प्राप्त हो जाए और उनसे सम्पृक्त अतिरिक्त मुकदमेबाजी का भी निवारण हो जाए ।… more »
आदेश १ नियम १३ : असंयोजन या कुसंयोजन के बारे में ..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १३ : असंयोजन या कुसंयोजन के बारे में आक्षेप : पक्षकारों के असंयोजन या कुसंयोजन के आधार पर सभी आक्षेप यथासंभव शीघ्रतम अवसर पर किए जाएंगे और ऐसे सभी मामलों में जिनमें विवाद्य स्थित किए जाते है, ऐसे स्थिरीकरण के समय या उससे… more »
आदेश १ नियम १२ : कई वादियों या प्रतिवादियों में से एक..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम १२ : कई वादियों या प्रतिवादियों में से एक का अन्यों के लिए उपसंजात होना : १) जहां एक से अधिक वादी है वहां उनमें से किसी एक या अधिक को उनमें कोई अन्य वादी किसी भी कार्यवाही में उस अन्य के लिए उपसंजात होने, अभिवचन करने या… more »
आदेश १ नियम ११ : वाद का संचालन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ नियम ११ : वाद का संचालन : न्यायालय १.(किसी वाद) का संचालन ऐसे व्यक्ति को सौंप सकेगा जिसे वह ठीक समझे । -------- १. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) वाद के स्थान पर प्रतिस्थोपित । INSTALL Android APP… more »