धारा ८८ : अन्तराभिवाची वाद कहां संस्थित किया जा सकेगा :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ अन्तराभिवाची धारा ८८ : अन्तराभिवाची वाद कहां संस्थित किया जा सकेगा : जहां दो या अधिक व्यक्ति उस ऋण, धनराशि या अन्य जंगम या स्थावर सम्पत्ति के बारे में दूसरे के प्रतिकूल दावा किसी ऐसे अन्य व्यक्ति से करते है जो प्रभारों या… more »
धारा ८७-ख : भूतपूर्व भारतीय राज्यों के शासकों को धारा..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ भूतपूर्व भारतीय राज्यों के शासकों के विरुद्ध वाद धारा ८७-ख : भूतपूर्व भारतीय राज्यों के शासकों को धारा ८५ और धारा ८६ का लागू होना : १.(१) किसी भूतपूर्व भारतीय राज्य के शासक द्वारा या उसके विरुद्ध किसी वाद की दशा में जो… more »
धारा ८७-क : विदेशी राज्य और शासक की परिभाषाएं :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८७-क : विदेशी राज्य और शासक की परिभाषाएं : १) इस भाग में - क) विदेशी राज्य से भारत से बाहर का ऐसा कोई राज्य अभिप्रेत है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त है ; तथा ख) विदेशी राज्य के सम्बन्ध में शासक से ऐसा व्यक्ति… more »
धारा ८७ : विदेशी शासकों का वादों के पक्षकारों के रुप..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८७ : विदेशी शासकों का वादों के पक्षकारों के रुप में अभिधान : विदेशी राज्य का शासक अपने राज्य के नाम से वाद ला सकेगा और उसके विरुद्ध वाद उसके राज्य के नाम से लाया जाएगा : परन्तु धारा ८६ में निर्दिष्ट सहमति देने में… more »
धारा ८६ : विदेशी राज्यों, राजदूतों और दूतों के विरुद्ध..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८६ : विदेशी राज्यों, राजदूतों और दूतों के विरुद्ध वाद : १) विदेशी राज्य १.(***) पर कोई भी वाद किसी भी न्यायालय में, जो अन्यथा ऐसे वाद का विचारण करने के लिए सक्षम है, केन्द्रीय सरकार की ऐसी सहमति के बिना नहीं लाया जा… more »
धारा ८५ : विदेशी शासकों की और से अभियोजन या प्रतिरक्षा..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८५ : विदेशी शासकों की और से अभियोजन या प्रतिरक्षा करने के लिए सरकार द्वारा विशेष रुप से नियुक्त किए गए व्यक्ति : १) विदेशी राज्य के शासक के अनुरोध पर या ऐसे शासक की ओर से कार्य करने की केन्द्रीय सरकार की राय में सक्षम… more »
धारा ८४ : विदेशी राज्य कब वाद ला सकेंगे :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८४ : विदेशी राज्य कब वाद ला सकेंगे : कोइ विदेशी राज्य किसी भी सक्षम न्यायालय में वाद ला सकेगा : परन्तु यह तब जब कि वाद का उद्देश्य ऐसे राज्य के किसी शासक में या ऐसे राज्य के किसी अधिकारी में उसकी लोक हैसियत में निहित… more »
धारा ८३ : अन्य देशीय कब वाद ला सकेंगे :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ १.(अन्य देशियों द्वारा और विदेशी शासकों, राजपूतों और दूतों द्वारा या उनके विरुद्ध वाद धारा ८३ : अन्य देशीय कब वाद ला सकेंगे : अन्य देशीय शत्रु, जो केन्द्रीय सरकार की अनुज्ञा से भारत में निवास कर रहें है, और अन्य देशीय मित्र… more »
धारा ८२ : डिक्री का निष्पादन :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८२ : डिक्री का निष्पादन : १.(१) जहां सरकार द्वारा या उसके विरुद्ध या ऐसे कार्य की बाबत जिसके बारे में यह तात्पर्यित है कि वह ऐसे लोक अधिकारी द्वारा अपनी पदीय हैसियत में किया गया है, उसके द्वारा या उसके विरुद्ध किसी वाद… more »
धारा ८१ : गिरफ्तारी और स्वीय उपसंजाति से छूट :
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ धारा ८१ : गिरफ्तारी और स्वीय उपसंजाति से छूट : ऐसे किसी भी कार्य के लिए, जो लोक अधिकारी द्वारा उसकी पदीय हैसियत में किया गया तात्पर्यित है, उसके विरुद्ध संस्थित किए गए वाद में - क) डिक्री के निष्पादन में से अन्यथा न तो… more »