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लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक ३ : प्रत्याभूतियों पर वादों..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक ३ : प्रत्याभूतियों पर वादों में प्रतिरक्षा : १. मूल ऋृणी ने दावे की तुष्टि वाद के पूर्व संदाय करके कर दी थी । २. वादी ने मूल ऋृणी को एक आबद्धकर करार के अनुसरण में समय दिया था और उससे… more »