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लिखित कथन : प्ररुप संख्यांक ४ : ऋृण के किसी भी वाद..
सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ परिशिष्ट क : लिखित कथन प्ररुप संख्यांक ४ : ऋृण के किसी भी वाद में प्रतिरक्षा : १. दावा किए गए धन के २०० रुपए की बाबत प्रतिवादी उस माल के लिए जो उसने वादी को बेचा और परिदत्त किया है, मुजराई का हकदार है - विशिष्टियां निम्नलिखित… more »