मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम १९९३
धारा ४० :
नियम बनाने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति :
(१) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।
(२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात :-
(क) धारा ८ के अधीन १.(अध्यक्ष और सदस्यों) के वेतन और भत्ते तथा सेवा के अन्य निबंधन और शर्ते;
(ख) वे शर्ते, जिनके अधीन अन्य प्रशासनिक, तकनीकी और वैज्ञानिक कर्मचारिवृन्द आयोग द्वारा नियुक्त किए जा सकेंगे तथा धारा ११ की उपधारा (३) के अधीन अधिकारियों और अन्य कर्मचारिवृन्द के वेतन और भत्ते;
(ग) सिविल न्यायालय की कोई अन्य शक्ति, जो धारा १३ की उपधारा (१) के खंड (च) के अधीन विहित की जानी अपेक्षित है;
(घ) वह प्ररूप, जिसमें आयोग द्वारा धारा ३४ की उपधारा (१) के अधीन वार्षिक लेखा विवरण तैयार किए जाने है; और
(ङ) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना है या किया जाए।
(३) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उनके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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१. २००६ के अधिनियम सं० ४३ की धारा १७ द्वारा प्रतिस्थापित ।
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