आयुध अधिनियम १९५९
धारा २२ :
मजिस्ट्रेट द्वारा तलाशी और अभिग्रहण :
जब कभी किसी मजिस्ट्रेट के पास यह विश्वास करने का कारण हो की -
क) उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति के कब्जे मे कोई आयुध या गोलाबारुद किसी विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए है ; अथवा
ख) कोई आयुध या गोलाबारुद लोक शान्ति या क्षेम कि खतरे में डाले बिना ऐसे व्यक्ति के कब्जे में नहीं छोडे जा सकते, तो वह मजिस्ट्रेट, अपने विश्वास के कारणों को अभिलिखित करने के पश्चात् उस गृह या परिसर की तलाशी करा सकेगा जिस पर ऐसे व्यक्ति का अधिभोग हो या जिसकी बाबत मजिस्ट्रेट के पास यह विश्वास करने का कारण हो कि ऐसा आयुध या गोलाबारुद वहां पाया जाएगा और ऐसे आयुध या गोलाबारुद को, यदि कोई हो, अभिगृहीत करा सकेगा और इतनी कालावधि के लिए जितनी वह ठीक समझे सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध कर सकेगा भले ही व्यक्ति उन्हें इस अधिनियम या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के आधार पर अपने कब्जे में रखने का हकदार हो ।
२) इस धारा के अधीन हर तलाशी, मजिस्ट्रेट द्वारा या उसकी उपस्थिति में या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषत: सशक्त आफिसर द्वारा या उसकी उपस्थित में की जाएगी ।
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