धारा २४क : १.(विक्षुब्ध क्षेत्रों में अधिसूचित आयुधों के..
आयुध अधिनियम १९५९
धारा २४क :
१.(विक्षुब्ध क्षेत्रों में अधिसूचित आयुधों के कब्जे के बारे में प्रतिषेध, आदि :
१) जहां केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि किसी क्षेत्र में लोक शान्ति और प्रशान्ति का व्यापक विक्षोभ है या ऐसे विक्षोभ का आसन्न संकट है तथा ऐसे क्षेत्र में उन अपराधों के निवारण के लिए जिसमें आयधों का उपयोग किया जाता है, ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है, वहां वह राजपत्र में अभिसूचना द्वारा,-
क) ऐसे क्षेत्र की सीमाएं विनिर्दिष्ट कर सकेगी ;
ख) यह निदेश कर सकेगी कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के (जो अवधि ऐसी तारीख से प्रारम्भ होने वाली अवधि होगी जो राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख के पश्चात् चौथे दिन से पूर्वतर न हो) प्रारम्भ के पहले प्रत्येक ऐसा व्यक्ति, जिसके अपने कब्जे में ऐसे क्षेत्र में ऐसे वर्णन के कोई आयुध है जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं (इस प्रकार विनिर्दिष्ट आयुधों को इस धारा में इसके पश्चात् अधिसूचित आयुध कहा गया है), ऐसे प्रारम्भ के पहले उन्हें धारा २१ के उपबन्धों के अनुसार निक्षिप्त करेगा और इस प्रयोजन के लिए, ऐसे व्यक्ति द्वारा किन्हीं अधिसूचित आयुधों के कब्जे की बाबत, इस अधिनियम के किसी अन्य उपबंध (धारा ४१ को छोडकर) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, राजपत्र में ऐसी अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से ही, यह समझा जाएगा कि वह विधिपूर्ण नहीं रह गया है ;
ग) यह घोषणा कर सकेगी कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के प्रारम्भ से उस अवधि के अवसान तक किसी व्यक्ति के लिए क्षेत्र में कोई अधिसूचित आयुध अपने कब्जे में रखना विधिपूर्ण नहीं होगा ;
घ) केन्द्रीय सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीनस्थ किसी ऐसे आफिसर को, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, प्राधिकृत कर सकेगी की वह-
एक) ऐसे क्षेत्र में के या उसमें से होकर जा रहे किसी व्यक्ति की अथवा उसमें के किसी परिसर की अथवा उसमें के या उसमें से होकर जा रहे किसी पशु, जलयान या यान या किसी भी प्रकार के अन्य वाहन की अथवा उसमें के किसी पात्र या किसी भी प्रकार के अन्य आधान की, अधिसूचना में विनिर्दिेष्ट अवधि के दौरान किसी समय तब तलाशी ले, यदि ऐसे आफिसर के पास यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति द्वारा या ऐसे परिसर में या ऐसे पशु पर या ऐसे जलयान, यान या अन्य वाहन में ऐसे पात्र या अन्य आधान में किन्ही अधिसूचित आयुधों को छिपाया गया है ;
दो) ऐसे क्षेत्र में किसी व्यक्ति के कब्जे में के अथवा उपखंड (एक) के अधीन तलाशी में प्रकट हुए किन्हीं अधिसूचित आयुधों का, अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान किसी समय अभिग्रहण कर ले और अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान उन्हें निरुद्ध कर ले ।
२) किसी क्षेत्र की बाबत उपधारा (१) के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि पहली बार में नब्बे दिन से अधिक नहीं होगी, किन्तु केंन्द्रीय सरकार ऐसी अवधि को समय-समय पर, किसी ऐसी अवधि से बढाने के लिए, जो किसी एक समय में अधिक से अधिक नब्बे दिन की होगी, ऐसी अधिसूचना का उस दशा में संशोधन कर सकेगी, जिसमें उस सरकार की राय में, ऐसे क्षेत्र में लोक शान्ति और प्रशान्ति का ऐसा विक्षोभ जो उपधारा (१) में निर्दिष्ट है बना हुआ है, अथवा उसका आसन्न संकट बना हुआ है, तथा ऐसे क्षेत्र में उन अपराधों के निवारण के लिए, जिनमें आयुधों का उपयोग किया जाता है, ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है ।
३) दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) के तलाशियों और अभिग्रहणों से संबंधित उपबन्ध करना, जहां तक हो सके, उपधारा (१) के अधीन की जाने वाली किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होंगे ।
४) इस धारा के प्रयोजनों के लिए -
क) आयुध के अन्तर्गत गोलाबारुद भी है ;
ख) जहां उपधारा (१) के अधीन मूलत: जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि को उपधारा (२) के अधीन विस्तारित किया जाता है वहां ऐसी अधिसूचना के संबंध में, उपधारा (१) में, अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इस प्रकार विस्तारित अवधि के प्रति निर्देश हैं ।)
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१. १९८३ के अधिनियम सं. २५ की धारा ७ द्वारा (२२-६-१९८३ से) अन्त:स्थापित ।
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