नागरिकता अधिनियम १९५५
धारा १७ :
अपराध :
जो कोई व्यक्ति किसी बात का इस अधिनियम के अधीन किया जाना या न किया जाना उपाप्त करने के प्रयोजन के लिए जानते हुए कोई ऐसा व्यपदेशन करेगा जो किसी तात्विक विशिष्टि में मिथ्या है, वह कारावास से, जिसकी अवधि १.(पांच वर्ष) तक की हो सकेगी, या १.(जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा) या दोनों से, दण्डनीय होगा।
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१. २००४ के अधिनियम सं०६ की धारा १४ द्वारा प्रतिस्थापित ।
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