धारा ६क : असम सहमति के अन्तर्गत आने वाले व्यक्तियों..
नागरिकता अधिनियम १९५५
धारा ६क :
१.(असम सहमति के अन्तर्गत आने वाले व्यक्तियों की नागरिकता के बारे में विशेष उपबन्ध :
(१) इस धारा के प्रयोजनों के लिए,-
(क) असम से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के प्रारंभ के ठीक पूर्व असम राज्य में सम्मिलित राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है;
(ख) विदेशी होने का पता चलना से विदेशियों विषयक अधिनियम, १९४६ (१९४६ का ३१) और विदेशियों विषयक (अधिकरण) आदेश, १९६४ के उपबंधों के अनुसार उक्त आदेश के अधीन गठित अधिकरण द्वारा विदेशी होने का पता चलना अभिप्रेत है;
(ग) विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के आरम्भ के ठीक पूर्व बंग्लादेश में सम्मिलित राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है:
(घ) कोई व्यक्ति भारतीय उद्भव का समझा जाएगा यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या मातामह या पितामही की मातामही में से कोई अविभक्त भारत में पैदा हुआ था;
(ङ) किसी व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा कि उसके विदेशी होने का उस तारीख को पता चला है जिसको विदेशियों विषयक (अधिकरण) आदेश, १९६४ के अधीन गठित अधिकरण इस आशय की अपनी राय कि वह विदेशी है, संबंधित अधिकारी या प्राधिकारी को प्रस्तुत करता है।
(२) उपधारा (६) और उपधारा (७) के उपबंधों के अधीन रहते हए भारतीय उदभव के उन सभी व्यक्तियों को, जो विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र से असम में १ जनवरी, १९६६ के पूर्व आए हैं (जिनके अन्तर्गत वे व्यक्ति हैं; जिनके नाम १९६७ में हुए लोक सभा के साधारण निर्वाचन के प्रयोजनों के लिए उपयोग की गई निर्वाचक नामावली में सम्मिलित किए गए थे) और जो असम में अपने प्रवेश की तारीख से असम में मामूली तौर से निवासी रहे हैं, १ जनवरी, १९६६ से ही भारत का नागरिक समझा जाएगा।
(३) उपधारा (६) और उपधारा (७) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय उद्भव का प्रत्येक ऐसा व्यक्ति -
(क) जो विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र से १ जनवरी, १९६६ को या उसके पश्चात किन्तु २५ मार्च, १९७१ के पूर्व असम में आया है, और
(ख) जो असम में अपने प्रवेश की तारीख से असम में मामूली तौर से निवासी रहा है; और
(ग) जिसके विदेशी होने का पता चला है,
धारा १८ के अधीन इस निमित्त केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार ऐसे प्राधिकारी के पास (जिसे इस उपधारा में इसके पश्चात रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी कहा गया है) जो ऐसे नियमों में विनिर्दिष्ट किया जाए, अपने को रजिस्ट्रीकृत कराएगा और यदि उसका नाम ऐसे पता चलने की तारीख को किसी सभा निर्वाचन-क्षेत्र या संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र के लिए प्रवृत्त किसी निर्वाचक नामावली में सम्मिलित है तो उसके नाम का वहां से लोप कर दिया जाएगा।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के अधीन रजिस्ट्रीकरण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मामले में विदेशियों विषयक (अधिकरण) आदेश, १९६४ के अधीन गठित अधिकरण की उस राय को, जिसमें ऐसे व्यक्ति को विदेशी अभिनिर्धारित किया गया है, इस उपधारा के खण्ड (ग) के अधीन अपेक्षाओं का पर्याप्त सबूत माना जाएगा और यदि इस बारे में कोई प्रश्न उठता है कि क्या ऐसा व्यक्ति इस उपधारा के अधीन कोई अन्य अपेक्षा पूरी करता है तो रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी,-
(एक) यदि ऐसी राय में ऐसी अन्य अपेक्षा के संबंध में कोई निष्कर्ष है तो उस प्रश्न का ऐसे निष्कर्ष के अनुरूप विनिश्चय करेगा;
(दो) यदि ऐसी राय में ऐसी अन्य अपेक्षा के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं है तो उस प्रश्न को उक्त आदेश के अधीन गठित किसी ऐसे अधिकरण को, जो अधिकारिता रखता है, ऐसे नियमों के अनुसार जो केन्द्रीय सरकार धारा १८ के अधीन इस निमित्त बनाए, निर्देशित करेगा और उस प्रश्न का ऐसे निर्देश पर प्राप्त राय के अनुरूप विनिश्चय करेगा।
(४) उपधारा (३) के अधीन रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति के, उस तारीख से ही जिसको उसके विदेशी होने का पता चला है, और उस तारीख से दस वर्ष की अवधि के अवसान तक वही अधिकार और बाध्यताएं होंगी जो भारतीय नागरिक की हैं (जिनके अन्तर्गत पासपोर्ट अधिनियम, १९६७ (१९६७ का १५) के अधीन पासपोर्ट अभिप्राप्त करने के अधिकार और उससे सम्बन्धित बाध्यताएं हैं) किन्तु वह उक्त दस वर्ष की अवधि के अवासन के पूर्व किसी समय किसी सभा निर्वाचन-क्षेत्र या संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र के लिए किसी निर्वाचक नामावली में अपना नाम सम्मिलित कराने का हकदार नहीं होगा।
(५) उपधारा (३) के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई व्यक्ति उस तारीख से जिसको उसके विदेशी होने का पता चला है दस वर्ष की अवधि के अवसान की तारीख से ही सभी प्रयोजनों के लिए भारत का नागरिक समझा जाएगा।
(६) धारा ८ के उपबंध पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, -
(क) यदि उपधारा (२) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के प्रारंभ की तारीख से साठ दिन के भीतर विहित रीति से और विहित प्ररूप में तथा विहित प्राधिकारी को यह घोषणा प्रस्तुत करता है कि वह भारत का नागरिक नहीं होना चाहता है तो ऐसे व्यक्ति के बारे में यह समझा जाएगा कि वह उस उपधारा के अधीन भारत का नागरिक नहीं हुआ है;
(ख) यदि उपधारा (३) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के प्रारंभ की तारीख से या उस तारीख से जिसको उसके विदेशी होने का पता चला है, इनमें से जो पश्चात्वर्ती हो, साठ दिन के भीतर विहित रीति से और विहित प्ररूप में तथा विहित प्राधिकारी को यह घोषणा प्रस्तुत करता है कि वह उस उपधारा तथा उपधारा (४) और उपधारा (५) के उपबंध द्वारा शासित नहीं होना चाहता है तो ऐसे व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं होगा कि वह उपधारा (३) के अधीन अपने को रजिस्ट्रीकृत कराए। स्पष्टीकरण :
जहां कोई व्यक्ति, जिससे इस उपधारा के अधीन कोई घोषणा फाइल करने की अपेक्षा की जाती है संविदा करने के लिए समर्थ नहीं है वहां ऐसी घोषणा उसकी ओर से किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा फाइल की जा सकेगी जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन उसकी ओर से कार्य करने के लिए सक्षम है।
(७) उपधारा (२) से उपधारा (६) की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति के सम्बन्ध में लागू नहीं होगी,-
(क) जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के प्रारंभ के ठीक पूर्व भारत का नागरिक है;
(ख) जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, १९८५ के प्रारंभ के पूर्व विदेशियों विषयक अधिनियम, १९४६ (१९४६ का ३१) के अधीन भारत से निष्कासित किया गया था।
(८) इस धारा में अभिव्यक्त रूप से जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, इस धारा के उपबंध तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे।)
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१. १९८५ के अधिनियम सं० ६५ की धारा २ द्वारा (७-१२-१९८५ से) अन्त:स्थापित ।
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