भारत का संविधान :
अनुच्छेद २६९क :
१.(अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में माल और सेवा कर का उद्ग्रहण और संग्रहण :
१) अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में प्रदाय पर माल और सेवा कर भारत सरकार द्वारा उद्ग्रहीत और संगृहीत किया जाएगा तथा ऐसा कर उस रीति में, जो संसद् द्वारा, विधि द्वारा, माल और सेवा कर परिषद की सिफारिशों पर उपबंधित की जाए, संघ और राज्यों के बीच प्रभाजित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस खंड के प्रयोजन के लिए, भारत के राज्यक्षेत्र में आयात के अनुक्रम में माल के या सेवाओं के या दोनों के प्रदाय को अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में माल का या सेवाओं का या दोनों का प्रदाय समझा जाएगा ।
२) खंड (१) के अधीन किसी राज्य को प्रभाजित रकम भारत की संचित निधि का भाग नहीं होगी ।
३) जहां खंड (१) के अधीन उद्ग्रहीत कर के रुप में संगृहीत रकम का उपयोग अनुच्छेद २४६क के अधीन किसी राज्य द्वारा उद्ग्रहीत कर का संदाय करने के लिए किया गया है, वहां ऐसी रकम भारत की संचित निधि का भाग नहीं होगी ।
४) जहां अनुच्छेद २४६क के अधीन किसी राज्य द्वारा उद्ग्रहीत कर के रुप में संग्रहीत रकम का उपयोग खंड (१) के अधीन उद्ग्रहीत कर का संदाय करने के लिए किया गया है, वहां ऐसी रकम राज्य की संचित निधि का भाग नहीं होगी ।
५) संसद, विधि द्वारा, प्रदाय के स्थान का और इस बात का कि माल का या सेवाओं का अथवा दोनों का प्रदाय अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में कब होता है, अवधारण करने संबंधी सिद्धांत बना सकेगी ।)
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१. संविधान (एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम २०१६ की धारा ९ द्वारा (१६-९-२०१६ से) अन्त:स्थापित ।
Indian Constitution in Hindi article 269a.
Constitution of India in hindi article 269A.
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