भारत का संविधान :
अनच्छेद ३७४ :
फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों और फेडरल न्यायालय में या सपरिषद् हिज मजेस्टी के समक्ष लंबित कार्यवाहियों के बारे में उपबंध ।
१) इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले फेडरल न्यायालय के पद धारण करने वाले न्यायाधीश, यदि वे अन्यथा निर्वाचन न कर चुके हों तो, ऐसे प्रारंभ पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हो जाएंगे और तब ऐसे वेतनों और भत्तों तथा अनुपस्थिति छुट्टी और पेंशन के संबंध में ऐसे अधिकारों के हकदार होंगे जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के संबंध में अनुच्छेद १२५ के अधीन उपबंधित हैं ।
२)इस संविधान के प्रारंभ पर फेडरल न्यायालय में लंबित सभी सिविल या दांडिक वाद, अपील और कार्यवाहियां, उच्चतम न्यायालय को अंतरित हो जाएंगी और उच्चतम न्यायालय को उनको सुनने और उनका अवधारण करने की अधिकारिता होगी और फेडरल न्यायालय द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले सुनाए गए या दिए गए निर्णयों और आदेशों का वही बल और प्रभाव होगा मानो वे उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए गए हों या दिए गए हों ।
३)इस संविधान की कोई बात भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर किसी न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री या आदेश की या उसके संबंध में अपीलों और याचिकाओं को निपटाने के लिए सपरिषद् हिज मजेस्टी द्वारा अधिकारिता के प्रयोग को वहां तक अविधिमान्य नहीं करेगा जहां तक ऐसी अधिकारिता का प्रयोग विधि द्वारा प्राधिकृत है और ऐसी अपील या याचिका पर इस संविधान के प्रारंभ के पश्चात् किया गया सपरिषद् हिज मजेस्टी का कोई आदेश सभी प्रयोजनों के लिए ऐसे प्रभावी होगा मानो वह उच्चतम न्यायालय द्वारा उस अधिकारिता के प्रयोग में जो ऐसे न्यायालय को इस संविधान द्वारा प्रदान की गई है, किया गया कोई आदेश या डिक्री हो ।
४)इस संविधान के प्रारंभ से ही पहली अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट किसी राज्य में प्रिवी कौंसिल के रूप में कार्यरत प्राधिकारी की उस राज्य के भीतर किसी न्यायालय के किसी निर्णय, डिक्री या आदेश की या उसके संबंध में अपीलों और याचिकाओं को ग्रहण करने या निपटाने की अधिकारिता समाप्त हो जाएगी और उक्त प्राधिकारी के समक्ष ऐसे प्रारंभ पर लंबित सभी अपीलें और अन्य कार्यवाहियां उच्चतम न्यायालय को अंतरित कर दी जाएंगी और उसके द्वारा निपटाई जाएंगी ।
५) इस अनुच्छेद के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए संसद् विधि द्वारा और उपबंध कर सकेगी ।
# Indian Constitution in Hindi article 374.
# Constitution of India in hindi article 374.
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