सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
नियम १०-क :
१.(न्यायालय की उसको संबोधित करने के लिए किसी प्लीडर से अनुरोध करने की शक्ति :
यदि किसी वाद या कार्यवाही में विवाद्य विषय पर न्यायालय के विनिश्चय का किसी हित पर प्रभाव पडना संभव है और उस पक्षकार का जो ऐसा हित रखता है जिसका इस प्रकार प्रभावित होना संभव है, किसी प्लीडर द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है तो न्यायालय, स्वविवेकानुसार प्लीडर से यह अनुरोध कर सकेगा कि वह ऐसे हित के बारे में उसे सम्बोधित करे ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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