सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
नियम ३ :
१.(प्रतिवादियों के रुप में कौन संयोजित किए जा सकेंगे :
वे सभी व्यक्ति प्रतिवादियों के रुप में एक वाद में संयोजित किए जा सकेंगे जहां, -
क) एक ही कार्य या संव्यवहार या कार्यो या संव्यवहारों की आवली के बारे में या उससे पैदा होने वाले अनुतोष पाने का कोई अधिकार उनके विरुद्ध संयुक्तत: या पृथकत: या अनुकल्पत: वर्तमान होना अभिकथित है; और
ख) यदि ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध पृथक्-पृथक् वाद लाए जाते तो, विधि या तथ्य का सामान्य प्रश्न पैदा होता ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) क्रमश: नियम १ और ३ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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