सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
नियम ८ :
१.( एक ही हित में सभी व्यक्तियों की ओर से एक व्यक्ति वाद ला सकेगा या प्रतिरक्षा कर सकेगा :
१) जहां एक ही वाद में एक ही हित रखने वाले बहुत से व्यक्ति है वहां,-
क) इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों की ओर से या उनके फायदे के लिए न्यायालय की अनुज्ञा से ऐसे व्यक्तियों में से एक या अधिक व्यक्ति वाद ला सकेंगे या उनके विरुद्ध वाद लाया जा सकेगा या वे ऐसे वाद में प्रतिरक्षा कर सकेंगे ;
ख) न्यायालय यह निदेश दे सकेगा कि इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों की ओर से या उनके फायदे के लिए ऐसे व्यक्तियों में से एक या अधिक व्यक्ति वाद ला सकेंगे या उनके विरुद्ध वाद लाए जा सकेंगे या वे ऐसे वाद में प्रतिरक्षा कर सकेंगे ।
२) न्यायालय ऐसे प्रत्येक मामलें में जहां उपनियम (१) के अधीन अनुज्ञा या निदेश दिया गया है, इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों को या तो वैयक्तिक तामील कराकर या जहां व्यक्तियों की संख्या या किसी अन्य कारण से ऐसी तामील युक्तियुक्त रुप से साध्य नहीं है वहां लोक विज्ञापन द्वारा, जैसा भी न्यायालय हर एक मामले में निर्दिष्ट करे, वाद के संस्थित किए जाने की सुचना वादी के खर्चे पर देगा ।
३) कोई व्यक्ति जिसकी ओर से या जिसके फायदे के लिए उपनियम (१) के अधीन कोई वाद संस्थित किया जाता है या ऐसे वाद में प्रतिरक्षा की जाती है, उस वाद में पक्षकार बनाए जाने के लिए न्यायालय को आवेदन कर सेकेगा ।
४) आदेश २३ के नियम १ के उपनियम (१) अधीन ऐसे वाद में दावे के किसी भाग का परित्याग नहीं किया जाएगा और उस आदेश के नियम १ के उपनियम (३) के अधीन ऐसे वाद का प्रत्याहरण नहीं किया जाएगा और उस आदेश के नियम ३ के अधीन ऐसे वाद में कोई करार, समझौता या तुष्टि अभिलिखित नहीं की जाएगी जब तक कि न्यायालय ने इस प्रकार हितबद्ध सभी व्यक्तियों को उपनियम (२) में विनिर्दिष्ट रीति से सूचना वादी के खर्चे पर न दे दी हो ।
५) जहां ऐसे वाद में वाद लाने वाला या प्रतिरक्षा करने वाला कोई व्यक्ति वाद या प्रतिरक्षा में सम्यक् तत्परता से कार्यवाही नहीं करता है वहां न्यायालय उस वाद में वैसा ही हित रखने वाले किसी अन्य व्यक्ति को उसके स्थान पर रख सकेगा ।
६) इस नियम के अधीन वाद में पारित डिक्री उन सभी व्यक्तियों पर आबद्धकर होगी जिनकी ओर से या जिनके फायदे के लिए, यथास्थिति, वाद संस्थित किया गया है या ऐसे वाद में प्रतिरक्षा की गई है ।
स्पष्टीकरण :
इस बात का अवधारण करने के प्रयोजन के लिए कि वे व्यक्ति जो वाद ला रहे है या जिनके विरुद्ध वाद लाया गया है या जो ऐसे वाद में प्रतिरक्षा कर रहे है, किसी एक वाद में वैसा ही हित रखते है या नहीं, यह साबित करना आवश्यक नहीं है कि ऐसे व्यक्तियों का वही वादहेतुक है जो उन व्यक्तियों का है जिनकी ओर से या जिनके फायदे के लिए, यथास्थिति, वे वाद ला रहे है या उनके विरद्ध वाद लाया जा रहा है या वे ऐसे वाद में प्रतिरक्षा कर रहे हैं ।)
------
१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) नियम ८ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।