सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
नियम ८-क :
१.(न्यायालय की कार्यवाही में राय देने या भाग लेने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को अनुज्ञात करने की शक्ति :
यदि वाद का विचारण करते समय न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का निकाय किसी ऐसी विधि के प्रश्न में हितबद्ध है जो किसी वाद में प्रत्यक्षत: या सारत: विवाद्य है और ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को उस विधि के प्रश्न पर अपनी राय देने के लिए अनुज्ञात करना लोकहित में आवश्यक है तो वह ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय को ऐसी राय देने के लिए और वाद की कार्यवाहियों में ऐसे भाग लेने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा जो न्यायालय विनिर्दिष्ट करे ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ५२ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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