सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
आदेशों की अपील
धारा १०४ :
वे आदेश जिनकी अपील होगी :
१) निम्नलिखित की अपील होगी -
१.(***)
२.(चच) धारा ३५-क के अधीन आदेश;)
३.(चचक) धारा ९१ या धारा ९२ के अधीन, यथास्थिति, धारा ९१ या धारा ९२ में निर्दिष्ट प्रकृति के वाद को संस्थित करने के लिए इजाजत देने से इंकार करने वाला आदेश ;)
छ) धारा ९५ के अधीन आदेश ;
ज) इस संहिता के उपबंधों में से किसी के भी अधीन ऐसा आदेश, जो जुर्माना अधिरोपित करता या किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी या सिविल कारागार में निरोध निर्दिष्ट करता है, वहां के सिवाय जहां कि ऐसी गिरफ्तारी या निरोध किसी डिक्री के निष्पादन में है ;
झ) नियमों के अधीन किया गया कोई ऐसा आदेश जिसकी अपील नियमों द्वारा अभिव्यक्त रुप से अनुज्ञात है,
और इस संहिता के पाठ में या तत्समाय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय किन्हीं भी अन्य आदेशों की अपील नहीं होगी :
४.(परन्तु खण्ड (चच) में विनिर्दिष्ट किसी भी आदेश की कोई भी अपील केवल इस आधार पर ही होगी कि कोई आदेश किया ही नहीं जाना चाहिए था या आदेश कम रकम के संदाय के लिए किया जाना चाहिए था ।)
२) इस धारा के अधीन अपील में पारित किसी भी आदेश की कोई भी अपील नहीं होगी ।
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१. १९४० के अधिनियम सं. १० की धारा ४९ और अनुसूची ३ द्वारा खण्ड (क) से (च) तक का लोप किया गया ।
२. १९२२ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३ द्वारा अन्त:स्थापित । पूर्वोक्त धारा ३५-क का पाद-टिप्पण भी देखें ।
३. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ४१ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
४. १९२२ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३ द्वारा अन्त:स्थापित । पूर्वोक्त धारा ३५-क का पाद-टिप्पण भी देखें ।
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