सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा १०५ :
अन्य आदेश :
१) अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, किसी न्यायालय द्वारा अपनी आरंभिक या अपीली अधिकारिता के प्रयोग में किए गए किसी भी आदेश की कोई भी अपील नहीं होगी, किन्तु जहां डिक्री की अपील की जाती है वहां किसी आदेश में की ऐसी गलती, त्रुटि या अनियमितता, जिससे मामले के विनिश्चय पर प्रभाव पडता है, अपील ज्ञापन में आक्षेप के आधार के रुप में उपवर्णित की जा सकेगी ।
२) उपधारा (१) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां १.(***) प्रतिप्रेषण के ऐसे आदेश से, जिसकी अपील होती है, व्यथित कोई पक्षकार अपील नहीं करता है वहां वह उसके पश्चात् उसकी शुद्धता पर विवाद करने से प्रवारित रहेगा ।
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ४२ द्वारा (१-२-१९७७ से) कतिपय शब्दों का लोप किया गया ।
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