सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा ४६ :
आज्ञापत्र :
१) जब कभी डिक्री पारित करने वाला न्यायालय डिक्रीदार के आवेदन पर ठीक समझे तब वह किसी ऐसे अन्य न्यायालय को जो उस डिक्री के निष्पादन के लिए सक्षम है, यह आज्ञापत्र निकाल सकेगा कि वह निर्णीत-ऋणी की उसी आज्ञापत्र में विनिर्दिष्ट कोइ भी सम्पत्ति कुर्क कर ले ।
२) वह न्यायालय, जिसे आज्ञापत्र भेजा जाता है, उस सम्पत्ति को ऐसी रीति से कुर्क करने के लिए कार्यवाही करेगा जो डिक्री के निष्पादन में सम्पत्ति की कुर्की के लिए विहित है :
परन्तु जब तक कि कुर्की की अवधि डिक्री पारित करने वाले न्यायालय के आदेश द्वारा बढा न दी गई हो या जब तक कि कुर्की के अवसान के पूर्व डिक्री कुर्की करने वाले न्यायालय को अन्तरित न कर दी गई हो और डिक्रीदार ने ऐसी सम्पत्ति के विक्रय के आदेश के लिए आवेदन न कर दिया हो, आज्ञापत्र के अधीन कोई भी कुर्की दो मास से अधिक चालू न रहेगी ।
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