सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा ६२ :
निवास-गृह में सम्पत्ति का अभिग्रहण :
१) कोई भी व्यक्ति इस संहिता के अधीन जंगम संपत्ति का अभिग्रहण निर्दिष्ट या प्राधिकृत करने वाली किसी आदेशिका का निष्पादन करते हुए किसी निवास-गृह में सूर्यास्त के पश्चात् और सूर्योदय के पूर्व प्रवेश नहीं करेगा ।
२) निवास-गृह का कोई भी बाहरी द्वार तब तक तोडकर नहीं खोला जाएगा जब तक कि ऐसा निवास-गृह निर्णीत-ऋणी के अधिभोग में न हो और वह उस तक पहुंच होने देने से मना न करता हो या पहुंच होने देना किसी भांति निवारित न करता हो, किन्तु जबकि ऐसी किसी आदेशिका का निष्पादन करने वाले व्यक्ति ने किसी निवास-गृह में सम्यक् रुप से प्रवेश कर लिया है, तब वह किसी ऐसे कमरे का द्वारा तोड सकेगा जिसके बारे में उसे यह विश्वास करने का कारण है कि उसमें ऐसी कोई सम्पत्ति है ।
३) जहां निवास-गृह का कमरा किसी ऐसी स्त्री के वास्तविक अधिभोग में है जो देश की रुढियों के अनुसार लोगों के सामने नहीं आती है वहां आदेशिका का निष्पादन करने वाला व्यक्ति ऐसी स्त्री को यह सूचना देगा कि वह वहां से हट जाने के लिए स्वतंत्र है और उसे हट जाने के लिए उसे युक्तियुक्त सुविधा देने के पश्चात् और साथ ही उस सम्पत्ति के छिपा कर हटाए जाने के निवारण करने के लिए ऐसी हर एक पूर्वावधानी बरत करके, जो इन उपबंधों से संगत है, वह सम्पत्ति के अभिग्रहण के प्रयोजन से ऐसे कमरे में प्रवेश कर सकेगा ।
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