सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
भाग ७
अपीलें
मूल डिक्रियों की अपीलें
धारा ९६ :
मूल डिक्री की अपील :
१) वहां के सिवाय जहां इस संहिता के पाठ में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा अभिव्यक्त रुप से अन्यथा उपबन्धित है, ऐसी हर डिक्री की, जो आरम्भिक अधिकारिता का प्रयोग करने वाले किसी न्यायालय द्वारा पारित की गई है, अपील उस न्यायालय में होगी जो ऐसे न्यायालय के विनिश्चयों की अपीलों को सुनने के लिए प्राधिकृत है ।
२) एकपक्षीय पारित मूल डिक्री की अपील हो सकेगी ।
३) पक्षकारों की समहति से जो डिक्री न्यायालय ने पारित की है उसकी कोई अपील नहीं होगी ।
१.(४) लघुवाद न्यायालयों द्वारा संज्ञेय वाद में किसी डिक्री से कोई अपील, यदि ऐसी डिक्री की रकम या उसका मूल्य २.(दस हजार रुपए) से अधिक नहीं है तो, केवल विधि के प्रश्न के संबंध में ही होगी ।
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ३३ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
२. १९९९ के अधिनियम सं. ४६ की धारा ९ द्वारा (१-७-२००२ से) तीन हजार रुपए के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
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