सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा ९८ :
जहां कोई अपील दो या अधिक न्यायाधीशों द्वारा सुनी जाए वहां विनिश्चय :
१) जहां कोई अपील दो या अधिक न्यायाधीशों के न्यायपीठ द्वारा सुनी जाती है वहां अपील का विनिश्चय ऐसे न्यायाधीशों की या ऐसे न्यायाधीशों की बहुसंख्या की (यदि कोई हो) राय के अनुसार होगा ।
२) जहां ऐसी बहुसंख्या नहीं है जो अपीलित डिक्री में फेरफार करने या उसे उलटने वाले निर्णय के बारे में सहमत है, वहां ऐसी डिक्री पुष्ट कर दी जाएगी :
परन्तु जहां १.(अपील सुनने वाले न्यायपीठ में दो या किसी अन्य समसंख्या में न्यायाधीश है और वे न्यायाधीश ऐसे न्यायालय के है जिस न्यायालय में उस न्यायपीठ के न्यायाधीशों से अधिक संख्या में न्यायाधीश है) और न्यायपीठ के न्यायाधीशों में किसी विधि के प्रश्न पर मतभेद है वहां वे उस विधि के प्रश्न का कथन करेंगे जिसके बारे में उनमें मतभेद है और तब अपील को अन्य न्यायाधीशों में से कोई एक या अधिक केवल उस प्रश्न के बारे में सुनेंगे और तब उस प्रश्न का विनिश्चय अपील सुनने वाले न्यायाधीशों की बहुसंख्या की, (यदि कोई हो), जिनके अन्तर्गत वे न्यायाधीश भी है जिन्होंने वह अपील सर्वप्रथम सुनी थी, राय के अनुसार किया जाएगा ।
२.(३) इस धारा की कोई बात किसी भी उच्च न्यायालय के लेटर्स पेटेन्ट के किसी भी उपबन्ध का परिवर्तन करने वाली या अन्यथा उस पर प्रभाव डालने वाली नहीं समझी जाएगी ।
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ३४ द्वारा (१-२-१९७७ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९२८ के अधिनियम सं. १८ की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा अन्त:स्थापित ।
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