सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
धारा ९९ :
कोई भी डिक्री ऐसी गलती या अनियमितता के कारण जिससे गुणागुण या अधिकारिता पर प्रभाव नहीं पडता है न तो उलटी जाएगी और न उपान्तरित की जाएगी :
पक्षकारों या वादहेतुकों के ऐसे कुसंयोजन १.(या असंयोजन) के या बाद की किन्हीं भी कार्यवाहियों में ऐसी गलती, त्रुटि या अनियमितता के कारण जिससे मामले के गुणागुण या न्यायालय की अधिकारिता पर प्रभाव नहीं पडता है कोई भी डिक्री अपील में न तो उलटी जाएगी और न उसमें सारभूत फेरफार किया जाएगा और न कोई मामला अपील में प्रतिप्रेषित किया जाएगा :
१.(परन्तु इस धारा की कोई भी बात किसी आवश्यक पक्षकार के असंयोजन को लागू नहीं होगी ।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं. १०४ की धारा ३५ द्वारा (१-२-१९७७ से) अन्त:स्थापित ।
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