धारा १७३ : अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय १२ :
पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेषण करने की शक्तियाँ :
धारा १७३ :
अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट :
१)इस अध्याय के अधीन किया जाने वाला प्रत्येक अन्वेषण अनावश्यक विलम्ब के बिना पूरा किया जाएगा ।
१-क) १.(भारतीय दण्ड संहिता १८६० (१८६० का ४५ ) की धारा ३७६, धारा ३७६ क, धारा ३७६ कख, धारा ३७६ ख, धारा ३७६ ग, धारा ३७६ घ, धारा ३७६ घक, धारा ३७६ घख या धारा ३७६ ङ) के मामलें में थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा अभिलिखित सूचना के दिनांक से १(दो माह के अन्दर) अन्वेषण १(पूरा किया जाऐगा) ।
१-क)किसी बालिका के बलात्संग के मामलें में थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा अभिलिखित सूचना के दिनांक से तीन माह के अन्दर अन्वेषण पूरा किया जा सकेगा ।
२)एक)जैसे ही वह पूरा होता है, वैसे ही पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी, पुलिस रिपोर्ट पर उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार द्वारा विहित प्ररुप में एक रिपोर्ट भेजेगा, जिसमें निम्नलिखित बातें कथित होंगी -
क)पक्षकारों के नाम ;
ख)इत्तिला का स्वरुप ;
ग)मामले की परिस्थितियों से परिचित प्रतीत होने वाले व्यक्तियों के नाम;
घ)क्या कोई अपराध किया गया प्रतीत होता है और यदि किया गया प्रतीत होता है, तो किसके द्वारा;
ङ)क्या अभियुक्त गिरफ्तार कर लिया गया है;
च)क्या वह अपने बंधपत्र पर छोड दिया गया है और यदि छोड दिया गया है तो वह बंधपत्र प्रतिभुओं सहित है या प्रतिभुओं रहित;
छ) क्या वह धारा १७० के अधीन अभिरक्षा में भेजा जा चुका है ;
ज)जहाँ अन्वेषण भारतीय दण्ड संहिता, १८६० (१८६० का ४५) की धारा ३७६, २.(धारा ३७६-क, ३७६ कख, ३७६-ख, ३७६-ग, ३७६-घ, ३७६ घक, ३७६ घख) या धारा ३७६-ङ के अधीन अपराध से संबंधित है, क्या स्त्री की, चिकित्सीय परीक्षण की रिपोर्ट संलग्न की गई है ।
दो)वह अधिकारी अपने द्वारा की गई कार्यवाही की संसूचना, उस व्यक्ति को, यदि कोई हो, जिसने अपराध किए जाने के संबंध में सर्वप्रथम इत्तिला दी उस रीति से देगा, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए ।
३)जहाँ धारा १५८ के अधीन कोई वरीष्ठ पुलिस अधिकारी नियुक्त किया गया है वहाँ ऐसे किसी मामले में, जिसमें राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा ऐसा निदेश देती है, वह रिपोर्ट उस अधिकारी के माध्यम से दी जाएगी और वह, मजिस्ट्रेट का आदेश होने तक के लिए, पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को यह निदेश दे सकता है कि वह आगे और अन्वेषण करे ।
४)जब कभी इस धारा के अधीन भेजी गई रिपोर्ट से यह प्रतीत होता है कि अभियुक्त को उसके बंधपत्र पर छोड दिया गया है तब मजिस्ट्रेट उस बंधपत्र के उन्मोचन के लिए या अन्यथा ऐसा आदेश करेगा जैसा वह ठीक समझे ।
५) जब ऐसी रिपोर्ट का संबंध ऐसे मामले से है, जिसको धारा १७० लागू होती है, तब पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट के साथ-साथ निम्नलिखित भी भेजेगा :-
क) वे सब दस्तावेज या उनके सुसंगत उद्धरण, जिन पर निर्भर करने का अभियोजन का विचार है और जो उनसे भिन्न है जिन्हें अन्वेषण के दौरान मजिस्ट्रेट को पहले ही भेज दिया गया है;
ख)उन सब व्यक्तियों के, जिनकी साक्षियों के रुप में परीक्षा करने का अभियोजन का विचार है, धारा १६१ के अधीन अभिलिखित कथन ।
६)यदि पुलिस अधिकारी की यह राय है कि ऐसे किसी कथन का कोई भाग कार्यवाही की विषयवस्तु से सुसंगत नहीं है या उसे अभियुक्त को प्रकट करना न्याय के हित में आवश्यक नहीं है और लोकहित के लिए असमीचीन है तो वह कथन के उस भाग को उपदर्शित करेगा और अभियुक्त को दी जाने वाली प्रतिलिपि में से उस भाग को निकाल देने के लिए निवेदन करते हुए और ऐसा निवेदन करने के अपने कारणों का कथन करते हुए एक नोट मजिस्ट्रेट को भेजेगा ।
७)जहाँ मामले का अन्वेषण करने वाला पुलिस अधिकारी ऐसा करने सुविधापूर्ण समझता है वहाँ वह उपधारा (५) में निर्दिष्ट सभी या किन्हीं दस्तावेजों की प्रतियाँ अभियुक्त को दे सकता है ।
८)इस धारा की कोई बात किसी अपराध के बारे में उपधारा (२) के अधीन मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेज दी जाने के पश्चात् आगे और अन्वेषण को प्रवरित करने वाली नहीं समझी जाएगी तथा जहाँ ऐसे अन्वेषण पर पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को कोई अतिरिक्त मौखिक या दस्तावेजी साक्ष्य मिले वहाँ वह ऐसे साक्ष्य के संबंध में अतिरिक्त रिपोर्ट या रिपोर्टें मजिस्ट्रेट को विहित प्ररुप में भेजेगा, और उपधारा (२) से (६) तक के उपबंध ऐसी रिपोर्ट या रिपोर्टों के बारे में, जहाँ तक हो सके, ऐसे लागू होंगे, जैसे वे उपधारा (२) के अधीन भेजी गई रिपोर्ट के संबंध में लागू होते है ।
-----------
१. दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, २०१८ (क्र. २२ सन २०१८) की धारा १४(एक) द्वारा प्रतिस्थापित.(भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग-२, खंड १, दिनांक ११-८-२०१८) पर अंग्रेजी में प्रकाशित ।
२. दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, २०१८ (क्र. २२ सन २०१८) की धारा १४(दो) द्वारा प्रतिस्थापित.(भारत का राजपत्र, असाधारण, भाग-२, खंड १, दिनांक ११-८-२०१८) पर अंग्रेजी में प्रकाशित ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 173.
section 173 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 173 in hindi .
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।
No feedback yet
Form is loading...