दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय ३२ :
ख - कारावास
धारा ४१७ :
कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति :
१)तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा जैसा उपबंधित है उसके सिवाय राज्य सरकार निदेश दे सकती है कि किसी व्यक्ति को, जिसे इस संहिता के अधीन कारावासित किया जा सकता है या अभिरक्षा के लिए सुपुर्द किया जा सकता है, किसी स्थान में परिरुद्ध किया जाएगा ।
२)यदि कोई व्यक्ति, जिसे इस संहिता के अधीन कारावासित किया जा सकता है या अभिरक्षा के लिए सुपुर्द किया जा सकता है, सिविल जेल में परिरुद्ध है तो कारावास या सुपुर्दगी के लिए आदेश देने वाला न्यायालय या मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के दांडिक जेल में भेजे जाने का निदेश दे सकता है ।
३)जब उपधारा (२) के अधीन कोई व्यक्ति दांडिक जेल में भेजा जाता है तब वहाँ से छोड दिए जाने पर उसे उस दशा के सिवाय सिविल जेल को लौटाया जाएगा जब या तो -
क)दांडिक जेल में भेजे जाने से तीन वर्ष बीत गए है; जिस दशा में वह, यथास्थिति, सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) की धारा ५८ या प्रांतीय दिवाला अधिनियम, १९२० (१९२० का ५) की धारा २३ के अधीन सिविल जेल से छोडा गया समझा जाएगा; या
क)सिविल जेल में उसके कारावास का आदेश देने वाले न्यायालय द्वारा दांडिक जेल के भारसाधक अधिकारी को यह प्रमाणित करके भेज दिया गया है कि वह यथास्थिति, सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) की धारा ५८ या प्रांतील दिवाला अधिनियम, १९२० (१९२० का ५) की धारा २३ के अधीन छोडे जाने का हकदार है ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 417.
section 417 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 417 in hindi .
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