दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय ३४ :
संपत्ति का व्ययन :
धारा ४५३ :
अभियुक्त के पास मिले धन का निर्दोष क्रेता को संदाय :
जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए, जिसके अन्तर्गत चोरी या चुराई हुई संपत्ति को प्राप्त करना है अथवा चोरी या चुराई हुई संपत्ति प्राप्त करने की कोटी में आता है, दोषसिद्ध किया जाता है और यह साबित कर दिया जाता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने चुराई हुई संपत्ति को, यह जाने बिना या अपने पास यह विश्वास करने का कारण हुए बिना कि वह चुराई हुई है, उससे क्रया किया है और सिद्ध दोष व्यक्ति की गिरफ्तारी पर उसके कब्जे में से कोई धन निकाला गया था तब न्यायालय ऐसे के्रता के आवेदन पर और चुराई हुई संपत्ति पर कब्जे के हकदार व्यक्ति को उस संपत्ति के वापर कर दिया जाने पर आदेश दे सकता है कि ऐसे क्रेता द्वारा दिए गए मूल्य से अनधिक राशि ऐसे धन में उसे परिदत्त की जाए ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 453.
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