धारा ४८४ : निरसन और व्यावृत्तियाँ :
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय ३७ :
प्रकीर्ण :
धारा ४८४ :
निरसन और व्यावृत्तियाँ :
१)दण्ड प्रक्रिया संहिता, १८९८ (१८९८ का ५) इसके द्वारा निरसित की जाती है ।
२)ऐसे निरसन के होते हुए भी यह है कि--
क)यदि उस तारीख के जिसको यह संहिता प्रवृत्त हो, ठीक पूर्व कोई अपील, आवेदन, विचारण, जाँच या अन्वेषण लंबित हो तो ऐसी अपील, आवेदन, विचारण, जाँच या अन्वेषण को ऐसे प्रारंभ के ठीक पूर्व यथाप्रवृत्त दण्ड प्रक्रिया संहिता, १८९८ (१८९८ का ५) के (जिसे इसमें इसके पश्चात् पुरानी संहिता कहा गया है) उपबंधो के अनुसार, यथास्थिति, ऐसे निपटाया जाएगा, चालू रखा जाएगा या किया जाएगा मानो यह संहिता प्रवृत्त न हुई हो :
परन्तु यह कि पुरानी संहिता के अध्याय १८ के अधीन की गई प्रत्येक जाँच, जो इस संहिता के प्रारंभ पर लंबित है, इस संहिता के उपबंधो के अनुसार की और निपटायी जाएगी ;
ख)पुरानी संहिता के अधीन प्रकाशित समी अधिसूचनाएँ, जारी की गई सभी उद्घोषणाएँ, प्रदत्त सभी शक्तियाँ, विहित सभी प्ररुप, परिनिश्चित सभी स्थानिय अधिकारिताएँ, दिए गए सभी दण्डादेश, किए गए सभी आदेश, नियम और ऐसी नियुक्तियाँ जो विशेष मजिस्ट्रेटों के रुप में नियुक्तियाँ नहीं है और जो इस संहिता के प्रारंभ के तुरन्त पूर्व प्रवर्तन में है, क्रमश: इस संहिता के तत्स्थानी उपबंधो के अधीन प्रकाशित अधिसूचनाएँ, जारी की गर्स उद्घोषणाएँ, प्रदत्त शक्तियाँ, विहित प्ररुप, परिनिश्चित स्थानीय अधिकारिताएँ, दिए गए दण्डादेश और किए गए आदेश, नियम और नियुक्तीयाँ समझी जाएँगी;
ग)पुरानी संहिता के अधीन दी गर्स किसी ऐसी मंजूरी या सम्मति के बारे में, जिसके अनुसरण में उस संहिता के अधीन कोई कार्यवाही प्रारंभ न की गई हो, यह समझा जाएगा कि वह इस संहिता के तत्स्थानी उपबंधो के अधीन दी गई है और ऐसी मंजरी या सम्मति के अनुसरण में इस संहिता के अधीन कार्यवाहियाँ कि जा सकेगी;
घ)पुरानी संहिता के उपबंधों का संविधान के अनुच्छेट ३६३ के अर्थ के अन्तर्गत किसी शासक के विरुद्ध प्रत्येक अभियोजन की बाबत लागू होना चालू रहेगा ।
३)जहाँ पुरानी संहिता के अधीन किसी आवेदन या अन्य कार्यवाही के लिए विहित अवधि इस संहिता के प्रारंभ पर या उसके पूर्व समाप्त हो गई हो, वहाँ इस संहिता की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह इस संहिता के अधीन ऐसे आवेदन के किए जाने या कार्यवाही के प्रारंभ किए जाने के लिए केवल इस कारण समर्थ करती है कि उसके लिए इस संहिता द्वारा दीर्घतर अवधि विहित की गई है या इस संहिता में समय बढाने के लिए उपंबध किया गया है ।
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश :
धारा ४८४ में उपधारा (२) के खण्ड (क) में परन्तुक के पश्चात् आगे अग्रलिखित परन्तुक अन्त:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्-
परन्तु आगे यह कि इस सहिता की धारा ३२६ के उपबंध दण्ड प्रकिया संहिता (यू.पी.अॅमेंन्डमेंन्ट) एक्ट, १९७६ द्वारा यथासशोधित इस संहिता के प्रारंभ पर तथा अपराध प्रक्रिया संहिता (यू.पी.अॅमेंन्डमेंन्ट) एक्ट १९८३ के भी प्रारंभ पर सेशन न्यायालय में लंबित प्रत्येक विचारण को भी लागू होंगे ।
धारा ४८४ में उपधारा (२) में खण्ड (घ) के पश्चात् निम्नलिखित खण्ड अंत:स्थापित किया जाएगा और सदा ही अंत:स्थापित किया गया होना समझा जाएगा, अर्थात्-
ङ) युनाइटेड प्राविन्सेज बोर्सटल एक्ट, १९८३ (यु. पी. एक्त १९३८ का ८), युनाइटेड, प्रोविन्सेज फस्र्ट ओफेन्डर्स प्रोबेशन एक्ट, १९३८ (यु.पी एक्ट १९३८ का ६) और उत्तरप्रदेश चिल्ड्रन एक्ट (यु.पी. एक्ट १९५१ का १) के उपबंध उत्तरप्रदेश राज्य में जारी रहेंगे, जब तक की सक्षम विधायिका या अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा परिवर्तित या निरस्त या संशोधित नहीं कर दिए जाते और तद्नुसार इस संहिता की धारा ३६० के उपबंध इस राज्य को लागू नहीं होंगे औ धारा ३६१ के उपबंध राज्य में प्रभावशील तत्समान अधिनियमों में नामित केन्द्रीय अधिनियमों के प्रतिस्थापन के साथ लागू होंगे ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 484.
section 484 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1973 section 484 in hindi .
For Full Access Purchase Paid Membership : Price -150 / Yearly.
संपूर्णत: अॅक्सेस के लिए वेबसाईट के पेड मेंबर बने ।
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।
No feedback yet
Form is loading...