धारा २ : परिभाषाएँ : दण्ड प्रक्रिया संहिता..
दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय १ :
प्रारम्भिक :
धारा २ :
परिभाषाएँ :
इस सहिंता में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
क) जमानतीय अपराध :
जमानतीय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जो प्रथम अनुसूची में जमानतीय के रुप में दिखाया गया है या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जमानतीय बनाया गया है और अजमानतीय अपराध से को ई अन्य अपराध अभिप्रेत है;
ख)आरोप :
आरोप के अन्तर्गत, जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हो, आरोप का कोई भी शीर्ष है;
ग) संज्ञेय अपराध :
संज्ञेय अपराध से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और संज्ञेय मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमें, पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अनुसार वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकता है;
घ) परिवाद (शिकायत) :
परिवाद से इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट द्वारा कार्यवाही किए जाने की दृष्टि से मौखिक या लिखित रुप में उससे किया गया यह अभिकथन अभिप्रेत है कि किसी व्यक्ती ने, चाहे वह ज्ञात हो या अज्ञात अपराध किया है, किन्तु इसके अन्तर्गत पुलिस रिपोर्ट नहीं है;
स्पष्टीकरण :
ऐसे किसी मामले में, जो अन्वेषण के पश्चात् किसी असंज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट करता है, पुलिस अधिकारी द्वारा की गई रिपोर्ट परिवाद समझी जाएगी और वह पुलिस अधिकारी जिसके द्वारा ऐसी रिपोर्ट की गई है, परिवादी समझा जाएगा;
ङ) उच्च न्यायालय :
उच्च न्यायालय से अभिप्रेत है-
एक) किसी राज्य के सम्बन्ध में, उस राज्य का उच्च न्यायालय;
दो) किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में जिस पर किसी राज्य के उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार विधि द्वारा किया गया है, वह उच्च न्यायालय;
तीन) किसी अन्य संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में, भारत के उच्चतम न्यायालय से भिन्न, उस संघ राज्यक्षेत्र के लिए दाण्डिक अपील का सर्वोच्च न्यायालय;
च) भारत :
भारत से वे राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है, जिन पर इस संहिता का विस्तार है;
छ) जाँच :
जाँच से विचारण से भिन्न, ऐसी प्रत्येक जाँच जो इस संहिता के अधीन मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वार की जाए अभिप्रेत है;
ज)अन्वेषण :
अन्वेषण के अन्तर्गत वे सब कार्यवाहियाँ है, जो इस संहिता के अधीन पुलिस अधिकारी द्वारा या (मजिस्ट्रेट से भिन्न) किसी भी ऐसे व्यक्ती द्वारा जो मजिस्ट्रेट द्वारा इस निमित्त (कार्यवाही) प्राधिकृत किया गया है, साक्ष्य एकत्र करने के लिए की जाएँ;
झ)न्यायिक कार्यवाही :
न्यायिक कार्यवाही के अन्तर्गत कोई ऐसी कार्यवाही है, जिसके अनुक्रम में साक्ष्य वैध रुप से शपथ पर लिया जाता है या लिया जा सकता है;
ञ)स्थानीय अधिकारिता :
किसी न्यायालय या मजिस्ट्रेट के सम्बन्ध में स्थानीय अधिकारिता से वह स्थानीय क्षेत्र अभिप्रेत है, जिसके भीतर ऐसा न्यायालय या मजिस्ट्रेट इस संहिता के अधीन अपनी सभी या किन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और ऐसे स्थानीय क्षेत्र में संपूर्ण राज्य या राज्य का कोई भाग समाविष्ट हो सकता है जो राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे;
ट)महानगर क्षेत्र :
महानगर क्षेत्र से वह क्षेत्र अभिप्रेत है, जो धारा ८ के अधीन महानगर क्षेत्र घोषित किया गया है या घोषित समजा गया है;
ठ)असंज्ञेय अपराध :
असंज्ञेय अपराध या असंज्ञेय मामला से ऐसा अपराध या मामला अभिप्रेत है, जिसमें पुलिस अधिकारी को वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने का प्राधिकार नहीं होता है;
ड)अधिसूचना :
अधिसूचना से राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना अभिप्रेत है;
ढ)अपराध :
अपराध से कोई ऐसा कार्य या लोप(गलती/चूक) अभिप्रेत है जो तत्समय प्रवृत्त विधिद्वारा दण्डनीय बना दिया गया है और उसके अन्तर्गत कोई ऐसा कार्य भी है, जिसके बारे में पशु अतिचार अधिनियम, १८७१ (१८७१ का १) की धारा २० के अधीन परिवाद (शिकायत) किया जा सकता है;
ण)पुलिस थाने का भारसाधक(प्रभारी) अधिकारी :
पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी के अन्तर्गत, जब पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी थाने से अनुपस्थित हो या बिमारी या किसी अन्य कारन से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो, तब थाने में उपस्थित ऐसा पुलिस अधिकारी है, जो ऐसे अधिकारी से पंक्ति में ठीक नीचे है और कान्स्टेबल की पंक्ति से ऊपर है, या जब राज्य सरकार ऐसा निर्देश दे तब, इस प्रकार उपस्थित कोई अन्य पुलिस अधिकारी भी है;
त)स्थान :
स्थान के अन्तर्गत गृह, भवन, तम्बू, यान और जलयान भी शामील है;
थ)प्लीडर (वकिल / अभिवक्ता) :
किसी न्यायालय में किसी कार्यवाही के बारे में प्रयोग किए जाने पर प्लीडर से, ऐसे न्यायालय में तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विधि-व्यवसाय करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ती अभिप्रेत है, और इसके अन्तर्गत कोई भी अन्य व्यक्ती है, जो कार्यवाही में कार्य करने के लिए न्यायालय की अनुज्ञा से नियुक्त किया गया है;
द)पुलिस रिपोर्ट :
पुलिस रिपोर्ट से पुलिस अधिकारी द्वारा धारा १७३ की उपधारा (२) के अधीन मजिस्ट्रेट को भेजी गई रिपोर्ट अभिप्रेत है;
ध)पुलिस थाना :
पुलिस थाना से कोई भी चौकी या स्थान अभिप्रेत है, जिस राज्य सरकार द्वारा साधारणत: या विशेषत: पुलिस थाना घोषित किया गया है और इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई स्थानीय क्षेत्र भी है;
न)विहित :
विहित से इस संहिता के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
प)लोक अभियोजक (पक्षचालक) :
लोक अभियोजक से धारा २४ के अधीन नियुक्त व्यक्ती अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत लोक अभियोजक के निदेशों के अधीन कार्य करने वाला व्यक्ती भी है;
फ)उपखण्ड :
उपखण्ड से जिले का उपखण्ड अभिप्रेत है;
ब)समन-मामला :
समन-मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है, जो किसी अपराध से सम्बन्धित है और जो वारण्ट मामला नहीं है;
बक)पीडित :
पीडित से ऐसा व्यक्ती अभिप्रत है जो किसी ऐसे कार्य या लोप (गलती /चूक) के कारण कारित किसी हानि या क्षति से पीडित है जिसके लिए अभियुक्त व्यक्ती को अरोपित किया गया है तथा पद पीडित में सम्मिलित है उसकी या उसका संरक्षक या विधिक उत्तराधिकारी;
भ)वारण्ट-मामला :
वारण्ट-मामला से ऐसा मामला अभिप्रेत है, जो मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध से सम्बन्धित है;
म) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं है, किन्तु भारतीय दण्ड संहिता (१८६० का ४५) में परिभाषित है, वही अर्थ हों, जो उनके उस संहिता में है ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 2.
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