दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय १ :
प्रारम्भिक :
धारा ३ :
निर्देशों का अर्थ लगाना :
१)इस संहिता में -
क)विशेषक शब्दों के बिना मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का अर्थ, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
एक) महानगर क्षेत्र के बाहर किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश के रुप में लगाया जाएगा;
दो)महानगर क्षेत्र के सम्बन्ध में महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश के रुप में लगाया जाएगा;
ख)द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का महानगर क्षेत्र के बाहर किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति और महानगर क्षेत्र के सम्बन्ध में महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है;
ग)प्रतम वर्ग मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का-
एक) किसी महानगर क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा की वह उस क्षेत्र में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है;
दो)किसी अन्य क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस क्षेत्र में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है ।
घ)मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का किसी महानगर क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस क्षेत्र
कि वह उस क्षेत्र में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है ।
२)इस संहिता में जब तक की संदर्भ से अन्यता अपेक्षित न हो, न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय के प्रति निर्देश का महानगर क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस क्षेत्र के महानगर मजिस्ट्रेट के न्यायालय के प्रति निर्देश है।
३)जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो इस संहिता के प्रारंभ के पूर्व पारित किसी अधिनियमिति में -
क) प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है;
ख)द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट या तुतीय वर्ग मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है;
ग)प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट या मुख्य प्रेसिडेंसी के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह क्रमश: महानगर मजिस्ट्रेट या मुख्य महानगर या मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है;
घ)महानगर क्षेत्र में सम्मिलित किसी क्षेत्र के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह ऐसे महानगर क्षे िके प्रति निर्देश है और प्रथम वर्ग या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश का ऐसे क्षेत्र के सम्बन्ध में यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस क्षेत्र में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले महानगर मजिस्ट्रेट के प्रति निर्देश है ।
४)जहाँ इस संहिता से भिन्न किसी विधिके अधीन, किसी मजिस्ट्रेट द्वारा प्रयोग किए जा सकने वाले कृत्य ऐसे मामलों से संबंधित है-
क) जिनमें साक्ष्य का अधिमूल्यन अथवा सूक्ष्म परिक्षण या कोई ऐसा विनिश्चय करना अंतर्वलित है, जिससे किसी व्यक्ती को किसी दण्ड या शास्ति की अथवा अन्वेषण, जाँच या विचारण होने तक अभिरक्षा में निरोध की संभावना हो सकती है या जिसका प्रभाव उसे किसी न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए भेजना होगा, वहाँ वे कृत्य इस संहिता के उपबंधो के अधीन रहते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा किए जा सकतें है, या
ख) जो प्रशासनिक या कार्यपालक प्रकार के हैं जैसे अनुज्ञप्ति का निलंबन या रद्द किया जाना, अभियोजन (कार्यवाई) की मंजूरी या अभियोजन वापस लेना, वहाँ वे यतापूर्वोक्त के अधीन रहते हुए, कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा किए जा सकते है ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 3.
section 3 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1974 section 3 in hindi .
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