दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३
अध्याय २ :
दण्ड न्यायालयों और कायालयों का गठन :
धारा ९ :
सेशन (सत्र) न्यायालय :
१)राज्य सरकार प्रत्येक सेशन खण्ड के लिए एक सेशन न्यायालय स्थापित करेगी ।
२)प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन (अध्यक्ष होना) होगा, जो उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा ।
३)उच्च न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीशों और सहायक सेशन न्यायाधीशें को भी सेशन न्यायालय में अधिकारिता का प्रयोग करने के लिए नियुक्त कर सकता है ।
४)उच्च न्यायालय द्वारा एक सेशन खण्ड के सेशन न्यायाधीश को दूसरे खण्ड का अपर सेशन न्यायाधीश भी नियुक्त किया जा सकता है और ऐसी अवस्था में वह मामलों को निपटाने के लिए दुसरे खण्ड के ऐसे स्थान या स्थानों में बैठ सकता है जिनका उच्च न्यायालय निर्देश दे ।
५) जहाँ किसी सेशन न्यायाधीश का पद रिक्त होचा है वहाँ उच्च न्यायालय किसी ऐसे शिघ्र (अर्जण्ट) आवेदन के, जो उस सेशन न्यायालय के समक्ष किया जाता है, अपर या सहायक सेशन न्यायाधीश द्वारा, अथवा यदि अपर या सहायक सेशन न्यायाधीश नहीं है तो सेशन खण्ड के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा निपटाए जाने के लिए व्यवस्था कर सकता है और ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को ऐसे आवेदन पर कार्यवाही करने की अधिकारिता होगी ।
६)सेशन न्यायालय सामान्यत: अपनी बैठक ऐसे स्थान या स्थानों पर करेगा जो उच्च न्यायालय अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे; किन्तु यदि किसी विशेष मामलें में, सेशन न्यायालय की यह राय है कि सेशन खण्ड में किसी अन्य स्थान में बैठक करने से पक्षकारों और साक्षियों को सुविधा होगी तो वह, अभियोजन और अभियुक्त की सहमति से उस मामले को निपटाने के लिए या उसमें साक्षी या साक्षियों की परीक्षा करने के लिए उस स्थान पर बैठक कर सकता है ।
स्पष्टीकरण :
इस संहिता के प्रयोजनों के लिए नियुक्ती के अंतर्ग सरकार द्वारा संघ या राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में किसी सेवा या पद पर किसी व्यक्ती की प्रथम नियुक्ति, पद स्थापना या पदोन्नति नहीं है, जहाँ किसी विधि के अधीन ऐसी नियुक्ति, पद-स्थापना या पदोन्नति सरकार द्वारा किए जाने के लिए अपेक्षित है ।
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश :
धारा ९ में उपधारा (५) के बाद अग्रलिखित उपधारा अन्त:स्थापित की जाएगी अर्थात :
(५-क) सेशन जज (न्यायाधीश) की मृत्यु, त्याग-पत्र, हटाये जाने या स्थानांतर की दशा में या बीमारी या अन्यथा कर्तव्यों के अनुपालन में असमर्थ हो जाने या उसके न्यायालय लगने के स्थान से अनुपस्थित रहने की दशा में वहाँ मौजूद अतिरिक्त सेशन जजों या सहायक सेशन जजों में सबसे वरिष्ठ और इनकी अनुपस्थिति में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) अपने सामान्य कर्तव्यों का त्याग किये बिना सेशन जज के पद का कार्यभार ग्रहण करेगा और तब तक कार्यभार ग्रहण करेगा, जब तक की सेशन जज द्वारा पुन: कार्यभार ग्रहण न कर लिया जाये अथवा इस हेतु नियुक्त अधिकारी द्वारा कार्यभार ग्रहण न कर लिया जाये तता वह इस संहिता के उपबंधो और उच्च न्यायलय द्वारा इस संबंध में बनाये गये नियमों के अध्यधीन सेशन जज के किन्हीं भी अधिकारों का प्रयोग करेगा ।
धारा ९ में उपधारा (६) में निम्नलिखित परन्तुक अन्त:स्थापित करे अर्थात :
परन्तु या कि आंतरिक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के विचार से जहाँ ऐसा करना समीचीन प्रतीत हो, सेशन कोर्ट किसी विशेष मामले में सेशन डिवीजन के किसी स्थान में अपनी बैठकें कर सकेगा या उच्च न्यायालय निर्देश कर सकेगा कि सेशन कोर्ट अपनी ऐसी बैठकें करें और एसे मामलें में अभियोजन(पक्षचालन) या अभियुक्त(जिस पर आरोप हो) की सहमति आवश्यक नहीं होगी ।
Code of Criminal Procedure 1973 in Hindi section 9.
section 9 Cr.P.C 1973 in hindi,crpc 1974 section 9 in hindi .
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