ओषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम १९४०
धारा ३३झ :
२.(इस अध्याय के उल्लंघन में आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी ओषधि के विनिर्माण, विक्रय आदि के लिए शास्ति :
जो कोई स्वयं या अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा,-
(१) ३.(क) किसी आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी औषधि का-
(एक) जो धारा ३३ङ के अधीन मिथ्या छाप वाली समझी गई है,
(दो) जो धारा ३३ङङ के अधीन अपमिश्रित समझी गई है, या
(तीन) धारा ३३ङङग के अधीन यथा अपेक्षित विधिमान्य अनुज्ञप्ति के बिना या उसकी किसी शर्त के अतिक्रमण में, विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो बीस हजार रुपए या अधिहृत ओषधियों के मूल्य का तीन गुना, इनमें से जो भी अधिक हो, से कम का नहीं होगा, दंडनीय होगा;)
(ख) किसी ऐसी आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी औषधि का, जो धारा ३३ङङक के अधीन नकली समझी गई है, विक्रयार्थ या वितरणार्थ करेगा, वह कारावास से जो एक वर्ष से कम का न होगा, किन्तु जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने से जो ३.(पचास हजार रुपए या अधिहृत ओषधियों के मूल्य का तीन गुना, इनमें से जो भी अधिक हो) से कम न होगा, दण्डनीय होगा:
परन्तु न्यायालय निर्णय में वर्णित किए जाने वाले किन्हीं पर्याप्त और विशेष कारणों से, एक वर्ष से कम अवधि के कारावास का और १.(पचास हजार रुपए या अधिहृत ओषधियों के मूल्य का तीन गुना. इनमें से जो भी अधिक हो) से कम के जुर्माने का दण्ड अधिरोपित कर सकेगा; या
४.(ग) किसी ऐसी आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी औषधि का, जो धारा ३३ङङघ के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना के उपबंधों के उल्लंघन में पाई गई है, विक्रयार्थ या वितरणार्थ विनिर्माण करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए या अधिहृत ओषधियों के मूल्य के तीन गुना, इनमें से जो भी अधिक हो, तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।)
(२) इस अध्याय के या धारा ३३ज द्वारा यथा लागू धारा २४ के या इस अध्याय के अधीन बनाए गए किसी नियम के किन्हीं अन्य उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह कारावास से जो छह मास तक का हो सकेगा और जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम न होगा, दण्डनीय होगा।)
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१. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा २ द्वारा (१-२-१९८३ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९८२ के अधिनियम सं० ६८ की धारा ३३ द्वारा (१-२-१९८३ से) धारा ३३झ और ३३ञ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. २००८ के अधिनियम सं० २६ की धारा १५ द्वारा प्रतिस्थापित ।
४. २००८ के अधिनियम सं० २६ की धारा १५ द्वारा अंत:स्थापित ।
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