सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
लिखित कथन
प्ररुप संख्यांक १० :
न्यूसेंस सम्बन्धी वादों में प्रतिरक्षा :
१. वादी के प्रकाश मार्ग प्राचीन नहीं है (या उसके अन्य अभिकथित चिरभोगधिकारों का प्रत्याख्यान कीजिए ।)
२. वादी के प्रकाश में प्रतिवादी के निर्माणों से तत्वत: बाधा नहीं पुहंचेगी ।
३. प्रतिवादी इस बात का प्रत्याख्यान करता है कि वह उसके सेवक जल को प्रदूषित करते हैं (या वह करते हैं जिसका परिवाद किया गया है ।)
(यदि प्रतिवादी दावा करता है कि जिस बात का परिवाद किया गया है वह करने का अधिकार उसे चिरभोग द्वारा या अन्यथा प्राप्त है तो उसे ऐसा कहना चाहिए और अपने दावे के आधारों का कथन करना चाहिए अर्थात् यह कथन करना चाहिए कि वे अधिकार चिरभोग या अनुदान द्वारा हैं या किस आधार पर है ।)
४. वादी अतिविलम्ब का दोषी रहा है जिसकी विशिष्टियां निम्नलिखित है -
१८७० में वादी की मिल ने काम शुरु किया ।
१८७१ में वादी का कब्जा हुआ ।
१८८३ में पहला परिवाद किया गया ।
५. नुकसानी के लिए वादी के दावे की बाबत प्रतिवादी प्रतिरक्षा के उक्त आधारों पर निर्भर करेगा और उसका यह कहना है कि परिवादित कार्यों से वादी को कोई नुकसान नहींं हुआ है । (यदि अन्य आधारों पर निर्भर किया जाता है तो उनका, जैसे भूतकालिक नुकसान के बारे में परिसीमा, इत्यादि का कथन करना चाहिए ।)
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