सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
लिखित कथन
प्ररुप संख्यांक ११ :
पुरोबन्ध के वाद में प्रतिरक्षा :
१. प्रतिवादी ने बन्धक निष्पादित नहीं किया था ।
२. बन्धक वादी को अन्तरित नहीं किया गया था (यदि एक से अधिक अन्तरणों का अभिकथन किया गया है तो यह बताइए कि किस अन्तरण का प्रत्याख्यान किया जाता है ।)
३. वाद १.(इण्डियन लिमिटेशन ऐक्ट १८७७ (१८७७ का १५)) की द्वितीय अनुसूची के अनुच्छेद ------- द्वारा वर्जित है ।
४. निम्नलिखित संदाए किए गए है, अर्थात् :-
(यहां तारीख लिखिए)-------------------------------१००० रुपए
(यहां तारीख लिखिए)-------------------------------५०० रुपए
५. वादी ने ता. ------- को कब्जा लिया था और वह तब से बराबर भाटक प्राप्त करता रहा है ।
६. वादी ने ता. ------- को ऋृण का निर्मोचन कर दिया था ।
७. प्रतिवादी ने अपना सब हित ता. ----------- की दस्तावेज द्वारा क ख को अन्तरित कर दिया था ।
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१. अब परिसीमा अधिनियम १९६३ (१९६३ का ३६) देखिए ।
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