सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
लिखित कथन
प्ररुप संख्यांक १२ :
मोचन के वाद में प्रतिरक्षा :
१. वादी का मोचन अधिकार १.(इण्डियना लिमिटेशन ऐक्ट १८७७ (१८७७ का १५) की द्वितीय अनुसूची के अनुच्छेद ------- द्वारा वर्जित है ।
२. वादी ने सम्पत्ति में अपना सब हित क ख को अन्तरित कर दिया ।
३. प्रतिवादी ने ता. ------------ की दस्तावेज द्वारा बन्धक ऋृण में तथा बन्धक में समाविष्ट सम्पत्ति में अपना सम हित क ख को अन्तरित कर दिया था ।
४. प्रतिवादी ने बन्धक सम्पत्ति का कब्जा कभी नहीं लिया था और न उसका भाटक प्राप्त किया है ।
(यदि प्रतिवादी केवल कुछ समय के लिए कब्जा स्वीकार करता है तो उसे उस समय का उल्लेख करना चाहिए और जो कुछ वह स्वीकार करता है उसके परे के कब्जे का प्रत्याख्यान करना चाहिए ।)
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१. अब परिसीमा अधिनियम १९६३ (१९६३ का ३६) देखिए ।
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