सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
लिखित कथन
प्ररुप संख्यांक २ :
बन्धपत्रों पर वादों मे प्रतिरक्षा :
१. बन्धपत्र प्रतिवादी का बन्धपत्र नहीं है ।
२. प्रतिवादी ने बन्धपत्र की शर्तों के अनुसार नियत दिन पर वादी को संदाय कर दिया था ।
३. प्रतिवादी ने बन्धपत्र में वर्णित मूलधन और ब्याज का संदाय वादी को नामित दिन के पश्चात् और वाद के पूर्व कर दिया था ।
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