सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८
परिशिष्ट क :
लिखित कथन
प्ररुप संख्यांक ५ :
उपेक्षापूर्वक गाडी चलाने से हुई क्षतियों के लिए वादों में प्रतिरक्षा :
१. प्रतिवादी इस बात से इन्कार करता है कि वादपत्र में वर्णित गाडी प्रतिवादी की गाडी थी और वह प्रतिवादी के सेवकों के भारसाधन या नियंत्रण में थी । गाडी ------------ गली, कलकत्ता के --------- की थी, जो भाडे पर घोडा देने के लिए अस्तबल चलाते है तथा जिन्हें प्रतिवादी को गाडियों और घोडों का प्रदाय करने के लिए प्रतिवादी ने नियोजित किया है और वह व्यक्ति जिसके भारसाधन और नियंत्रण में उक्त गाडी थी उक्त ------------- का सेवक था ।
२. प्रतिवादी यह स्वीकार नहीं करता है कि उक्त गाडक्ष मिडिलटन स्ट्रीट से या तो उपेक्षापूर्वक, सहसा या चेतावनी दिए बिना या तेज या खतरनाक गति से मोडी गई ।
३. प्रतिवादी का कहना है कि युक्तियुक्त सावधानी और तत्परता बरत कर वादी उक्त गाडी को अपनी और आते हुए देख सकता था और उससे टक्कर बचा सकता था ।
४. प्रतिवादी वादपत्र के पैरा ३ में अन्तर्विष्ट कथनों को स्वीकार नहंीं करता ।
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