महामारी अधिनियम १८९७
१.(१८९७ का अधिनियम संख्यांक ३)
(४ फरवरी १८९७)
खतरनाक महामारियों के प्रसार की बेहतर रोकथाम का उपबन्ध करने के लिए अधिनियम
खतरनाक महामारियों के प्रसार की बेहतर रोकथाम का उपबन्ध करना समीचीन है; अत: इसके द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित किया जाता है :-
धारा १ :
संक्षिप्त नाम और विस्तार :
१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम महामारी अधिनियम १८९७ है ।
२.(२) इसका विस्तार, ३.(उन राज्यक्षेत्रों के सिवाय, जो १ नवम्बर १९५६ के ठीक पूर्व भाग ख राज्यों में समाविष्ट थे) सम्पूर्ण भारत पर है ।)
४.(***)
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१. यह अधिनियम,-
१) महामारी (पंजाब संशोधन) अधिनियम १९४४ (१९४४ का पंजाब अधिनियम ३) द्वारा पंजाब में; १९४७ के पूर्व पंजाब अधिनियम १ द्वारा पूर्व पंजाब में;
२) मध्य प्रान्त और बरार महामारी (संशोधन) अधिनियम १९४५ (१९४५ का मध्य प्रान्त और बरार अधिनियम सं. ४) द्वारा मध्य प्रान्त और बरार में; संशोधित रुप से लागू किया गया ।
अधिनियम का निम्नलिखित पर विस्तार किया गया :-
१) १९५८ के मध्य प्रदेश अधिनियम सं.२३ द्वारा (अधिसूचना की तारीख से) सम्पूर्ण मध्य प्रदेश पर,
२) १९६१ के पंजाब अधिनियम सं.८ द्वारा पंजाब के अंतरित राज्यक्षेत्रों पर,
३) १९६३ के विनियम सं.६ की धारा २ और अनुसूची द्वारा (१-७-१९६५ से) दादरा और नागर हवेली पर,
४) १९६५ के निनियम सं.८ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा (१-१०-१९६७ से) लक्षद्वीप पर,
५) १९६८ के अधिनियम सं. २६ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा संघ राज्यक्षेत्र पांडिचेरी पर,
१९५५ के मैसूर अधिनियम सं. १४ द्वारा बेल्लारी जिले पर लागू होने से निरसित किया गया ।
२. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा प्रतिस्थापित ।
३. विधि अनुकूलन (सं. २) आदेश १९५६ द्वारा भाग ख राज्य के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. १९१४ के अधिनियम सं. १० की धारा ३ और अनुसूची २ द्वारा उपधारा (२) के अंत में शब्द और और उपधारा (३) निरसित ।
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