महामारी अधिनियम १८९७
धारा २ :
१.(खतरनाक महामारी के विशेष उपाय करने और विनियम विहित करने की शक्ति :
१) जब २.(राज्य सरकार) का किसी समय यह समाधान हो जाए कि ३.(राज्य) या उसके किसी भाग में किसी खतरनाक महामारी का प्रकोप हो गया है, या होने की आशंका है तब २.(राज्य सरकार) यदि वह यह समझती है कि तत्समय प्रवृत्त विधि के साधारण उपबन्ध इस प्रयोजन के लिए पर्याप्त नहीं है तो, ऐसे उपाय कर सकेगी या ऐसे उपाय करने के लिए किसी व्यक्ति से अपेक्षा कर सकेगी या उसके लिए उसे सशक्त कर सकेगी, और जनता द्वारा या किसी व्यक्ति द्वारा या व्यक्तियों के किसी वर्ग द्वारा अनुपालन करने के लिए सार्वजनिक सूचना द्वारा ऐसे अस्थायी विनियम विहित कर सकेगी जिन्हें वह उस रोग के प्रकोप या प्रसार की रोकथाम के लिए आवश्यक समझे और वह यह भी अवधारित कर सकेगी कि उपगत व्यय (जिनके अन्तर्गत प्रतिकर, यदि कोई हों, भी है) किस रीति से और किसके द्वारा चुकाए जाएंगे ।
२) विशिष्टतया और पूर्वगामी उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना २.(राज्य सरकार) निम्नलिखित के लिए उपाय कर सकेगी और विनियम सहित विहित कर सकेगी :-
४.(*)
ख) रेल द्वारा या अन्य प्रकार से यात्रा करने वाले व्यक्तियों का निरीक्षण तथा उन व्यक्तियों का, जिनके बारे में निरीक्षक अधिकारी को यह शंका है कि वे ऐसे किसी रोग से संक्रमित हैं, किसी अस्पताल या अस्थायी आवास में या अन्यत्र अलग रखने के लिए;
५.(*)
----------
१. इस धारा के अधीन जारी अधिसूचनाओं के लिए विभिन्न स्थानीय नियम और आदेश देखिए ।
२. भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा (सपरिषद् गवर्नर जनरल) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा (भारत) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा पैरा (क) का लोप किया गया ।
५. १९२० के अधिनियम सं. ३८ की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा उपधारा (३) का लोप किया गया ।
INSTALL Android APP
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।