भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२
अध्याय २ :
तथ्यों की सुसंगति के विषय में :
धारा १० :
सामान्य परिकल्पना के बारे में षडयंत्रकारी द्वारा कही या की गई बातें :
जहाँ कि यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार है कि दो या अधिक व्यक्तियों ने अपराद या अनुयोज्य (व्यवहार्य ) दोष करने के लिए मिलकर षडयंत्र किया है, वहाँ उनके सामान्य आशय के बारे में उनमें से किसी एक व्यक्ति द्वारा उस समय के पश्चात् जब ऐसा आशय उनमें से किसी एक ने प्रथम बार मन में धारण किया, कही गई कोई बात उन व्यक्तियों में से हर एक व्यक्ति के विरुद्ध, जिनके बारे में विश्वास किया जाता है, कि उन्होंने इस प्रकार षडयंत्र किया है, षडयंत्र का अस्तित्व साबित करने के प्रयोजनार्थ उसी प्रकार सुसंगत तथ्य है, जिस प्रकार यह दर्शित करने के प्रयोजनार्त कि ऐसा कोई व्यक्ति उसका पक्षकार था ।
दृष्टांत :
यह विश्वास करने का युक्तियुक्त (उचित) आधार है कि ऐ भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के षडयंत्र में सम्मिलित हुआ ैहै ।
बी ने उस षडयंत्र के प्रयोजनार्थ यूरोप में आयुध उपाप्त (सावधानी द्वारा प्राप्त करना )किए, सी ने वैसे ही उद्देश्य से कोलकाता में धन संग्रह किया, डी ने मुम्बई में लोगों को उस षडयंत्र में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया , इ ने आगरे में उस उद्देश्य के प्रक्षपोषण में लेख प्रकाशित किए और सी द्वारा कोलकाता में संग्रहित धन को एफ ने दिल्ली से जी के पास काबुल भेजा । इन तथ्यों और उस षडयंत्र का वृत्तांत देने वाले एच द्वारा लिखित पत्र की अन्तर्वस्तु में से हर एक षडयंत्र का अस्तित्व साबित करने के लिए तथा उसमें ऐ की सह-अपराधिता साबित करने के लिए भी सुसंगत है, चाहे वह उन सभी के बारे में अनभिज्ञ रहा हो और चाहे उन्हें करने वाले व्यक्ति उसके लिए अपरिचित रहें हो और चाहे वे उसके षडयं िमें सम्मिलित होने से पूर्व या उसके षडयंत्र से अलग हो जाने के पश्चात घटित हुए हो ।
Indian Evidence Act 1872 hindi section 10, section 10 The Evidence Act 1872 Hindi.
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