धारा ३ : निर्वचन (प्रदत्त प्रसंग के आशय को पता करने वाली..
भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२
भाग १ :
तथ्यों की सुसंगति :
अध्याय १ :
प्रारंभिक :
धारा ३ :
निर्वचन (प्रदत्त प्रसंग के आशय को पता करने वाली रीति ) खण्ड :
इस अधिनियम में निम्नलिखित शब्दों और पदों का निम्नलिखित भावों में प्रयोग किया गया है, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल आशय प्रतीत न हो -
न्यायालय :
न्यायालय शब्द के अन्तर्गत सभी न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट तथा मध्यस्थों के सिवाय साक्ष्य लेने के लिए वैध रुप से प्राधिकृत सभी व्यक्ति आते है ।
तथ्य :
तथ्य से अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत आती है -
१)ऐसी कोई वस्तु, वस्तुओं की अवस्था, या वस्तुओं का संबंध जो इंद्रियों द्वारा बोधगम्य हो;
२)को मानसिक दशा; जिसका भान किसी व्यक्ति को हो ।
दृष्टांत :
क)यह कि अमुक स्थान में अमुक क्रम से अमुक पदार्थ व्यवस्थित है, एक तथ्य है ।
ख)यह कि किसी मनुष्य ने कुछ सुना या देखा, एक तथ्य है ।
ग)यह किसी किसी मनुष्य ने अमुक शब्द कहे, एक तथ्य है ।
घ)यह कि कोई मनुष्य अमुक राय रखता है, अमुक आशय रखता है, सद्भावपूर्वक या कपटपूर्वक कार्य करता है, या किसी विशिष्ट शब्द को विशिष्ट भाव में प्रयोग करता है, या उसे किसी विशिष्ट संवेदना का भान है या किसी विनिर्दिष्ट समय में था, एक तथ्य है ।
ङ)यह कि किसी मनुष्य की अमुक ख्याति है, एक तथ्य है ।
सुसंगत :
एक तथ्य दुसरे तथ्य से सुसंगत कहा जाता है, जबकि तथ्यों की सुसंगति से संबंधित इस अधिनियम के उपबंधो में निर्दिष्ट प्रकारों में से किसी भी प्रकार से वह तथ्य उस दुसरे तथ्ये से संसक्त हो ।
विवाद्यक (किस हेतुक में वादी और प्रतिवादी के अभियोग से विनिश्चय के लिए उत्पन्न कोई बिन्दु ।) तथ्य -
विवाद्यक तथ्य से अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत आता है :
ऐसा कोई भी तथ्या जिस अकेले ही से, या अन्य तथ्यों के संसर्ग में, किसी ऐसे अधिकार, दायित्व या निर्योग्यता के, जिसका किसी वाद या कार्यवाही में प्राख्यान (दृढता से कहना ) या प्रत्याख्यान (इन्कार / अस्वीकार ) किया गया है, अस्तित्व, अनस्तित्व, प्रकृति या विस्तार की उत्पत्ति अवश्यमेव होती है ।
स्पष्टीकरण :
जब कभी कोई न्यायालय विवाद्यक तथ्य को सिविल प्रक्रिया में संबंधित किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के उपबंधों के अधीन अभिलिखित करता है, तब ऐसे विवाद्यक के उत्तर में जिस तथ्य का प्राख्यान (दृढता से कहना ) या प्रत्याख्यान (इन्कार / अस्वीकार ) किया जाना है, विवाद्यक तथ्य है ।
दृष्टांत :
बी की हत्या का ऐ अभियुक्त है ।
उसके विचारण में निम्नलिखित तथ्या विवाद्य हो सकते है :-
यह कि ऐ से बी की मृत्यु कारित की,
यह कि ऐ का आशय बी की मृत्यु कारित करने का था,
यह कि ऐ को बी से गंभीर और अचानक प्रकोपन मिला था,
यह कि बी की मृत्यु कारित करने का कार्य करते समय ऐ चित्तविकृति के कारण उसे कार्य की प्रकृति जानने में असमर्थ था ।
दस्तावेज :
दस्तावेज से ऐसा कोई विषय अभिप्रेत है, जिसको किसी पदार्थ पर अक्षरों, अंको या चिन्हों के साधन द्वारा या उनमें से एक से अधिक साधनों द्वारा अभिव्यक्त या वर्णित किया गया है जो उस विषय के अभिलेखन के प्रयोजन से उपयोग किए जाने को आशयित हो या उपयोग किया जा सके ।
दृष्टांत :
लेख दस्तावेज है;
मुद्रित, शिला-मुद्रित या फोटोचित्रित शब्द दस्तावेज है;
मानचित्र या रेखांक दस्तावेज है;
धातुपट्ट या शिला पर उत्कीर्ण लेख दस्तावेज है;
उपहासांकन (हास्य जनक चित्र) दस्तावेज है ।
साक्ष्य :
साक्ष्य शब्द से अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत आते है -
१)वे सभी कथन जिनके, जांचाधीन तथ्यों के विषयों के संबंध में न्यायालय अपने सामने साक्षियों द्वारा किए जाने की अनुज्ञा देता है या अपेक्षा करता है;
ऐसे कथन मौखिक साक्ष्य कहलाते है
२)न्यायालय के निरीक्षण के लिए पेश की गई सब दस्तावेजें, जिनके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख भी है ऐसी दस्तावेजें दस्तावेजी साक्ष्य कहलाती है ।
साबित :
कोई तथ्य साबित हुआ कहा जाता है, जब न्यायालय अपने समक्ष के विषयों पर विचार करने के पश्चात् या तो यह विश्वास करे कि उस तथ्य का अस्तित्व है या उसके अस्तित्व को इतना अधिसंभाव्य (जिसके युक्ति-युक्ति (उचित) रुप से घटित होने या सत्य साबित करने की अपेक्षा की जा सकेगी ।) समझे कि उस विशिष्ट मामले की परिस्थितियों में किसी प्रज्ञावान (व्यवहार कुशल / प्रबुद्ध ) व्यक्ति को इस अनुमान पर कार्य करना चाहिए कि उस तथ्य का अस्तित्व है ।
नासाबित :
कोई तथ्य नासाबित हुआ कहा जाता है, जब न्यायालय अपेन समक्ष विषयों पर विचार करने के पश्चात् या तो यह विश्वास करे कि उसका अस्तित्व नहीं है, या उसके अनस्तित्व को इतना अधिसंभाव्य समझे कि उस विशिष्ट मामले की परिस्थितियों में किसी प्रज्ञावान (व्यवहार कुशल / प्रबुद्ध ) व्यक्ति को इस अनुमान पर कार्य करना चाहिए कि उस तथ्य का अस्तित्व नहीं है ।
साबित नहीं हुआ :
कोई तथ्य साबित नहीं हुआ कहा जाता है, जब वह न तो साबित किया गया हो और न नासबित ।
भारत :
भारत से जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय भारत का राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है ।
पद प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, इलेक्ट्रॉनिक चिन्हक, इलेक्ट्रॉनिक चिन्हक प्रमाणपत्र, इलेक्ट्रॉनिक रुप, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, सूचना, सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, सुरक्षित अंकीय चिन्हक और उपयोगकर्ता के वही अर्थ होंगे, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २००० में है ।
Indian Evidence Act 1872 hindi section 3, section 3 The Evidence Act 1872 Hindi.
For Full Access Purchase Paid Membership : Price -150 / Yearly.
संपूर्णत: अॅक्सेस के लिए वेबसाईट के पेड मेंबर बने ।
* नोट (सूचना) : इस वेबसाइट पर सामग्री या जानकारी केवल शिक्षा या शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, हालांकि इसे कहीं भी कानूनी कार्रवाई के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और प्रकाशक या वेबसाइट मालिक इसमें किसी भी त्रुटि के लिए उत्तरदायी नहीं होगा, अगर कोई त्रुटि मिलती है तो गलतियों को सही करने के प्रयास किए जाएंगे ।
No feedback yet
Form is loading...