भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२
अध्याय २ :
न्यायालयों के निर्णय कब सुसंगत है :
धारा ४१ :
प्रोबेट (संप्रभाव /वसीयतनामा) इत्यादि विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति :
किसी सक्षम न्यायालय के प्रोबेट विषयक, विवाह विषयक, नावधिकरण (जल सेना से संबंधित) विषयक या दिवाला विषयक अधिकारिता के प्रयोग में दिया हुआ अंतिम निर्णय, आदेश या डिक्री, जो किसी व्यक्ति को, या से कोई विधिक हैसियत प्रदान करती है या ले लेती है या जो सर्वत: न कि किसी विनिर्दिष्ट व्यक्ति के विरुद्ध किसी व्यक्ति को ऐसी किसी हैसियत का हकदार या किसी विनिर्दिष्ट चीज का हकदार घोषित करती है, तब सुसंगत है जबकि ऐसी विधिक हैसियत, या किसी ऐसी चीज पर किसी ऐसे व्यक्ति के हक का अस्तित्व सुसंगत है ;
ऐसा निर्णय, आदेश या डिक्री इस बात का निश्चायक सबूत है -
कि कोई विधिक हैसियत, जो वह प्रदत्त करती है, उस समय प्रोद्भूत (अर्जित) हुई, जब ऐसा निर्णय, आदेश या डिक्री प्रवर्तन में आई;
कि कोई विधिक हैसियत, जिसके लिए वह किसी व्यक्ति के हकदार घोषित करती है, उस व्यक्ति को उस समय प्रोद्भूत (अर्जित) हुई जो समय ऐसे निर्णय आदेश या डिक्री द्वारा घोषित है कि उस समय वह उस व्यक्ति को प्रोद्भूत (अर्जित) हुई;
कि कोई विधिक हैसियत, जिसे वह किसी ऐसे व्यक्ति से ले लेती है, उस समय खत्म हुई, जो उस समय ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्रि द्वारा घोषित है कि उस समय से वह हैसियत खत्म हो गई ती या खत्म हो जानी चाहिए;
और कि कोई चीज, जिसके लिए वह किसी व्यक्ति को ऐसा हकदार घोषित करती है, उस व्यक्ति की उस समय संपत्ति थी, जो समय ऐसे निर्णय, आदेश या डिक्री द्वारा घोषित है कि उस समय से वह चीज उसकी संपत्ति थी या होनी चाहिए ।
Indian Evidence Act 1872 hindi section 41, section 41 The Evidence Act 1872 Hindi.
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