Category: "भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी"
धारा ४३१ : लोक सडक, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४३१ : लोक सडक, पुल, नदी या जलसरणी को क्षति पहुंचाकर रिष्टि : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : लोक सडक, पुल, नाव्य नदी अथवा नाव्य जल सरणी को क्षति पहुंचाने और उसे यात्रा या संपत्ति प्रवहण के लिए अगम्य या कम निरापद बना देने… more »
धारा ४३० : सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४३० : सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोडने द्वारा रिष्टि : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : कृषिक प्रयोजनों, आदि के लिए जल प्रदाय में कमी कारित करने द्वारा रिष्टि । दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास, या… more »
धारा ४२९ : किसी मूल्य के ढोर, आदि की या पचास रुपऐ के..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२९ : किसी मूल्य के ढोर, आदि की या पचास रुपऐ के मूल्य के किसी जीवजन्त (पशु) को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : किसी मूल्य के हाथी, ऊंट, घोडे, आदि को अथवा पचास रुपए या उससे अधिक… more »
धारा ४२८ : दस रुपए के मुल्य के जीवजन्तु (पशु) को वध करने..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२८ : दस रुपए के मुल्य के जीवजन्तु (पशु) को वध करने या उसे विकलांग करने द्वारा रिष्टि : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : दस रुपए या उससे अधिक मूल्य के किसी जीव-जन्तु को वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने… more »
धारा ४२७ : रिष्टि जिससे पचास रुपये का नुकसान होता है :
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२७ : रिष्टि जिससे पचास रुपये का नुकसान होता है : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : रिष्टि और तद्द्वारा पचास रुपए या उससे अधिक रकम का नुकसान कारित करना । दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो । संज्ञेय या… more »
धारा ४२६ : रिष्टि के लिए दण्ड : जो कोई रिष्टि..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२६ : रिष्टि के लिए दण्ड : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : रिष्टि । दण्ड :तीन मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो । संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय । जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय । शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति, जिसे… more »
धारा ४२५ : रिष्टि : जो कोई इस आशय..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : अध्याय १७ : रिष्टी के विषय में : धारा ४२५ : रिष्टि : जो कोई इस आशय से, या यह संभाव्य जानते हुए कि, वह लोक को या किसी व्यक्ती को सदोष हानि या नुकसान कारित करे, किसी संपत्ति का नाश या संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी… more »
धारा ४२४ : संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२४ : संपत्ति का बेईमानी से या कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति का कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना अथवा उसके करने में सहायता करना अथवा जिस मांग या… more »
धारा ४२३ : अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२३ : अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या (झुठा) कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन… more »
धारा ४२२ : ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी..
भारतीय दंड संहिता १८६० हिंदी : धारा ४२२ : ऋण को लेनदारों के लिए उपलब्ध होने से बेईमानी से या कपटपूर्वक निवारित करना : अपराध का वर्गीकरण : अपराध : अपराधी का अपने को शोध्य ऋृण या मांग का लेनदारों के लिए उपलब्ध किया जाना कपटपूर्वक निवारित करना । दण्ड :दो… more »